Makar Sankranti 2024: जानिए क्यों मकर संक्रांति को उड़ाई जाती है पतंग, तिलगुड़ के लड्डू का क्या है महत्त्व

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का त्योहार मौसम जाने और गर्मियों के आगमन का प्रतीक है। आइये जानते हैं कि इस दिन पतंग उड़ने से लेकर तिलगुड़ के लड्डू बनाने तक का क्या है महत्त्व।

Update:2023-12-28 21:39 IST

Makar Sankranti 2024 (Image Credit-Social Media)

Makar Sankranti 2024: सर्दियों के ख़त्म होने और दिन बड़े होने के साथ ही मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। ये हर साल 14 या 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है। इस समय सूर्य उतरायण में चला जाता है। वहीँ आपको इस दिन आकाश में बहुत सी रंगबिरंगी पतंग भी दिखनी शुरू हो जातीं हैं। वहीँ इस त्योहार की रौनक गुजरात राज्य में देखने तो खूब मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इस दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है आइये जानते हैं।

मकर संक्रांति को क्यों उड़ाई जाती है पतंग

मकर संक्रांति पतंग उड़ाने और तिल की मिठाइयाँ खाने के लिए जाना जाने वाला त्योहार है। ऐसा कहा जाता है कि ये दिन हमारे देश में सर्दियों की समाप्ति और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है, जो किसानों के लिए नई फसल प्राप्त करने की खुशी लाता है। इस त्यौहार के बाद से ही दिन बड़े और रातें छोटी होने लगतीं हैं।

मकर संक्रांति के दौरान पतंग उड़ाने की परंपरा पूरे देश में अपनाई जाती है और अब ये प्रथा पूरी दुनिया के कई हिस्सों में फैल गयी है। लेकिन यह त्योहार न सिर्फ मौज-मस्ती बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी लेकर आता है। पतंग उड़ाने से हमें सुबह से ही सूरज का स्वस्थ अनुभव मिलता है और सूरज की शुरुआती किरणें विटामिन डी का एक समृद्ध स्रोत मानी जाती हैं। चूंकि सर्दी बहुत सारी बीमारियाँ लेकर आती है, इसलिए सूरज की किरणें उन सभी को खत्म करने के लिए जानी जाती हैं। यही वजह है कि सभी इस दिन पतंग उड़ाते हैं।

इस त्यौहार के दौरान विशेष रूप से तिलगुड़ के लड्डू या गुड़ से बनी तिल की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। ये महाराष्ट्रीयन मिठाई 'तिलगुड़ घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला' कहावत के साथ प्रियजनों के बीच बांटी जाती है। इसका मतलब है, तिल और गुड़ की मिठाई खाओ और मीठे शब्द बोलो। इन मिठाइयों का वितरण बंधन और अतीत की बुराइयों को भूलने का प्रतीक है। तिल की मिठाई खाने का एक और वैज्ञानिक महत्व ये है कि ये हमारे शरीर को आवश्यक मात्रा में तेल प्रदान करके गर्म रखने में मदद करता है और सर्दियों के दौरान नमी भी प्रदान करता है।

वहीँ गुजरात राज्य हर साल अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज़ी महोत्सव का आयोजन भी करता है, जिसकी शुरुआत 1989 में हुई थी, जो दुनिया के बाकी हिस्सों में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए यूके, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, चीन, इंडोनेशिया और मलेशिया सहित 44 देशों के लगभग 150 प्रतिनिधि यहां पहुंचते हैं। पूरे भारत के साथ-साथ अहमदाबाद से भी बड़ी संख्या में पतंग प्रेमी पतंगों के अपने अनूठे संग्रह को प्रदर्शित करने के लिए यहां आते हैं। यही कारण है कि गुजरात राज्य बड़े पैमाने पर पतंगबाजी उत्सव से जुड़ा हुआ है।

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