-आचार्य अशोकानंद जी महाराज
लखनऊ। शरीर, मन और आत्मा हर स्तर पर स्वस्थ बने रहने के लिए ध्यानयोग और योग आसनों का अलग महत्व है। योग की ऐसी कई विधियां हैं जिनका नियमित अभ्यास करके आप हमेशा पूरी तरह स्वस्थ एवं निरोगी बने रह सकते हैं। यहंा तक कि यह आपको व आपके पूरे परिवार को निरोगी रखने में भी कारगर महसूस होगा। देश में प्रचलित योग विधियों में कई ऐसे आसन हैं, जो लगभग हर तरह के रोग को दूर करने की क्षमता रखते हैं।
योग के अभ्यास के लिए पुस्तकों में कई प्रकार की क्रियाओं और आसनों का वर्णन मिलता है। यदि आप पहले से इनका अभ्यास नहीं करते रहे हैं और योग क्रियाओं से बिलकुल अनजान हैं, तब हो सकता है कि आपको इनके बारे में अधिक जानकारी न हो। अगर ऐसा है तो बेहतर होगा कि आप केवल किताबी ज्ञान के आधार पर योग अभ्यास शुरू करने के बजाय किसी योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन में अभ्यास शुरू करें।
हताश लोगों की आस
आज देश के सभी प्रमुख शहरों, कस्बों और कई गांवों में योग से जुड़़ी कई तरह के योग कक्षाएं चल रही हैं। यहां आने वालों को उनकी परेशानियों के समाधान के लिए अलग-अलग तरह की योग विधियों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इस विषय में लोगों के सामने सबसे पहला प्रश्न यह होता है कि वे अपने लिए किन आसनों का चुनाव करें।
कैसे चुनें आसन
वस्तुत: योग का दायरा काफी बड़ा है और आसन भी सैकड़ों तरह के हैं। हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुकूल उसके स्वास्थ्य को बनाए रखने वाले कोई न कोई आसन जरूर हैं। हर व्यक्ति का अपना अलग व्यक्तित्व होता है और उसी के अनुसार उसकी आवश्यकताएं भी होती हैं। कुछ लोगों को बहुत ही अनुशासित आसन समूह की जरूरत होती है तो कई लोगों के लिए आसान आसन उपयुक्त होते हैं।
योग विशेषज्ञों के अनुसार हर व्यक्ति को अपने जीवन में योग अपनाना चाहिए, लेकिन कोई भी तरीका अपनाने से पहले यह पता कर लेना चाहिए कि उसे योग का कौन सा आसन सबसे अधिक सूट करेगा। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि आप योगासनों को अपनाने के क्रम में बिलकुल शुरुआती दौर में ही किसी ऐसे आसन का अभ्यास न शुरू कर दें, जो आपके लिए बहुत मुश्किल हो। उदाहरण के लिए यदि आप पहले से कोई अभ्यास किए बगैर योगासन शुरू ही करने जा रहे हैं तो आपके लिए आसान किस्म के आसन बेहतर होंगे। इनमें विशेष रूप से विनियोग का नाम भी लिया जा सकता है, जो मुख्य रूप से हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूॢत करता है।
यह भी पढ़ें: बदलते मौसम में रखें, अपने नाजुक से दिल का खास ख्याल
इसके अलावा आप अपने लिए किसी अन्य तरीके का चुनाव करना चाहते हैं तो बेहतर यह होगा कि आप शुरुआती दौर में दो या तीन प्रकार के आसन करें। इस दौरान आपको जो भी तरीका सबसे सुविधाजनक लगे, उसे अपना लें। हां, किसी आसन समूह को अपनाने से पहले अपने योग प्रशिक्षक की राय जरूर लें।
आध्यात्मिक विकास में भी सहायक
योग हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है। यह न केवल शारीरिक क्रियाओं को सही करता है बल्कि आपके आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होता है। इससे आप किसी भी बात या चीज पर आसानी से अपना ध्यान केंद्रित करना सीख जाते हैं। इससे आपकी सांस लेने की प्रक्रिया भी सही हो जाती है, जो जीवन में स्थिरता लाती है। साथ ही योग से आपका शरीर अधिक सुडौल भी बनता है। इस तरह आप एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
अयंगर के आसन
जो लोग भारी थकाऊ काम के बाद पसीने से लथपथ हालत में सांसों पर काबू पाने की कोशिश करते हैं और एक निश्चित आसन के जरिये सभी लाभ हासिल करना चाहते हैं,उनके लिए ये आसन उपयोगी हैं। इन आसनों से जागरूकता बढ़ती है, जिससे आप अपने दैनिक जीवन में रोज सामने आने वाली बातों से नई सीख हासिल करते हो। कई विशेषज्ञ चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल करते देखे जा सकते हैं, जिससे दमा, अस्थमा, गठिया, ऑर्थराइटिस आदि रोगों में काफी आराम मिलता है। इसके लिए भी कई स्थानों पर अलग-अलग कक्षाएं चल रही हैं।
पूरे हाथ वाले आसन
जो लोग खुद के भीतर अधिक लचीलापन लाते हुए तनाव को दूर करना चाहते हैं और इसके लिए योगासनों के आसान तरीकों को अपनाना चाहते हैं, उनके लिए यह आसन काफी उपयुक्त है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो सभी योगासन इसी विधि से प्रकट हुए हैं, लेकिन इनमें भी पूरे हाथ नामक आसनों की एक विशेष शाखा है। यह सरल तरीके का आसन है, जो आपके शरीर में लचीलापन बढ़ाकर आरामदेह स्थिति को बढ़ाता है। इन आसनों के दौरान आपको सांस से संबंधित प्राणायाम का लाभ स्वयं ही हासिल हो जाता है। इस आसन के लिए हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी अनेक कक्षाएं चल रही हैं।
संपूर्ण आसन
जो लोग योग के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा, हर स्तर पर अपना विकास चाहते हैं और इसके लिए एक संपूर्ण आसन की तलाश में होते हैं, उनके लिए यह आसन बिलकुल उपयुक्त है। इसमें हाथ पोस्चर का पूरा-पूरा उपयोग होता है, जो आरामदायक स्थिति के साथ शारीरिक क्रियाओं को संतुलित रखने तथा आध्यात्मिक अभिरुचि को बढ़ाने का काम करता है। इसमें आपको बिना किसी तनाव के सांस लेने के तरीके, गहरा आराम और मौन अध्यात्म के लिए लंबी कड़ी मिलेगी।
जागरण के लिए कुंडलिनी
इस योग को अपनाने का मुख्य उद्देश्य शरीर के भीतर ही मौजूद ऊ$र्जा को जागृत करना है। इसके लिए सांस की एक्सरसाइज तथा कई क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। कई तरीके ऐसे भी होते हैं, जो शुरू में तो उलझन लगती हैं मगर बाद में काफी आरामदेह साबित होते हैं। अत: योग अपनाकर स्वस्थ जीवन जियें।
(लेखक योगीराज बिसरख धाम, ग्रेटर नोएडा के योगाचार्य हैं)