Moral Story: परिवार में मंझले होने की दुर्दशा
Moral Story: आम तौर पर वह 'फ़ुटबाल ग्राउंड' के फ़ुटबाल की तरह होता है जिसे दोनों टीमों के खिलाड़ी लतियाते हैं; उसे गोल में भेजा जा सकता है। लेकिन वह गोल कर नहीं सकता।
Moral Story: परिवार में मंझले होने की दुर्दशा वही जानता है जिसने मंझलापन झेला हो। आम तौर पर वह 'फ़ुटबाल ग्राउंड' के फ़ुटबाल की तरह होता है जिसे दोनों टीमों के खिलाड़ी लतियाते हैं; उसे गोल में भेजा जा सकता है। लेकिन वह गोल कर नहीं सकता। वह पर्वतों के मध्य वृष्टिछाया के क्षेत्र की भाँति सदैव सूखे का शिकार रहता है। पौराणिक आख्यान रामायण में लक्ष्मण और भरत मंझले होने के कारण ही उपेक्षित और 'अन्डर-असेस' हुए।
मेरा विचार है कि संसार के समस्त मंझले लड़कों और लड़कियों को 'यूनियन' बनाकर अपनी दुर्दशा के विरुद्ध आवाज़ उठाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि बड़े या छोटे को कष्ट न होते हों, उनकी तकलीफ वे जानें परन्तु मैंने एक भाई का छोटा और एक का बड़ा बनकर भी देखा है- जो मुसीबत मंझले पर आती है वह अवर्णनीय है।
(आत्मकथा : 'कहाँ शुरू कहाँ खत्म ' का एक अंश)