Nag Panchami 2024: नाग पंचमी पर क्यों मनाई जाती है गुड़िया और क्यों है इसे पीटने का है रिवाज़
Nag Panchami 2024: नाग पंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के कई जगहों पर गुड़िया पीटने की प्रथा चली आ रही है आइये जानते हैं आखिर क्यों है ये रिवाज़।
Naag Panchami 2024: नागपंचमी का त्योहार हिन्दू धर्म में काफी महत्त्व रखता है। इसे श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है। वहीँ उत्तर प्रदेश में इस दिन गुड़िया का पर्व भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल नाग पंचमी 9 अगस्त,2024 को है। नागपंचमी की पूजा के बाद शाम के समय गली मोहल्लों चौराहों पर गुड़िया की डंडे से पिटाई की जाती है। आइये जानते हैं आखिर क्यों है ये रिवाज़ और इसके पीछे की वजह क्या है।
क्यों पीटी जाती है गुड़िया
उत्तर प्रदेश में नागपंचमी में जहाँ सुबह नाग देवता की आराधना की जाती है वहीँ शाम को गुड़िया पीटी जाती है। नाग पंचमी पर सर्प पूजन किया जाता है तो शाम को गुड़िया बनाकर पीटने का रिवाज़ है। इसकी डंडों से पिटाई की जाती है। वहीँ क्या आप जानते हैं कि बहनों द्वारा प्यार से सजा कर गुड़िया बनाने के बाद आखिर भाई इसे क्यों पीटते हैं। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? आइये जानते हैं क्या है ये परंपरा।
उत्तर प्रदेश की कई गांवों, कस्बों और शहरों में हर साल गुड़िया का पर्व मनाया जाता है और गुड़िया बनाकर पीटी जाती है। इस त्योहार को मानाने के लिए बहने काफी समय पहले से अपनी गुड़िया तैयार करना शुरू कर देती हैं। ज़्यादातर लड़कियां पुराने कपड़े से बनी गुड़िया बनाकर तैयार करतीं हैं। इसके बाद वो इसे किसी चौराहे या तालाब के पास रख देतीं हैं। जिसके बाद उनके भाई इसे डंडों से पीटते हैं।
क्या है इसके पीछे की कहानी
दरअसल गुड़िया की पिटाई क्यों की जाती है इसके पीछे एक कथा है। जिसके अनुसार, प्राचीन काल में महादेव नाम का एक लड़का था जो नाग देवता का परम भक्त था। वो प्रतिदिन सुबह उठकर शिवालय में जाकर भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी पूरे विधि विधान से आराधना करता था। नाग देवता उससे बेहद प्रसन्न थे और उसे हर दिन किसी न किसी रूप में दर्शन देते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि मंदिर में पूजा के दौरान कई नाग इस बालक के पैरों से लिपट जाया करते थे। लेकिन नाग देवता की कृपा से उसे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचते थे।
पौराणिक कथा के अनुसार जब एक दिन महादेव शिवालय में नाग देवता की भक्ति में लीन था तो हमेशा की ही तरह नाग उसके पैरों से लिपट गए। उसी समय महदेव की बहन वहां आ गयी नाग को अपने भाई के पैरों में इस तरह लिपटा देखकर वो बेहद डर गयी उसे लगा कि ये नाग उसके भाई को काट सकता है। तब अपने भाई को बचाने के लिए उसने एक डंडा उठाकर उस नाग को पीट-पीट कर मार डाला। इसके बाद जब महादेव का ध्यान टुटा तो उसने नाग को अपने पास मारा हुआ पाया। ये देखकर उसे बहन पर अत्यंत क्रोध आया इसका कारण पूछने पर बहन ने उसे पूरी सच्चाई बता दी। इसपर महादेव ने कहा कि तुमने एक नाग को मारा है इसका दंड तुम्हे भुगतना पड़ेगा। लेकिन बहन ने अनजाने में उस नाग को मारा था इसलिए उस दिन से प्रतीकात्मक गुड़िया को बनाकर उसे पीटा गया। इसे प्रतीकात्मक सजा माना गया। तभी से उस दिन से गुड़िया को पीटने का रिवाज़ प्रारम्भ हुआ।