Osho Video Viral: क्यों ओशो ने कहा 'तुम्हारे बच्चे कभी न हो ऐसा आशीर्वाद देना चाहिए'

Osho Video Viral: आध्यात्मिक गुरू ओशो का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वो कहते नज़र आ रहे हैं कि हमे समय के साथ बदलना ज़रूरी है।

Written By :  Shweta Srivastava
Update:2024-04-18 09:30 IST

Osho Video Viral  (Image Credit-Social Media)

Osho Video Viral: आध्यात्मिक गुरू ओशो हमेशा से ही अपने विचारों द्वारा लोगों को प्रेरित करते आये हैं और जीवन जीने का सन्देश देते रहे हैं। उनका एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे वो अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं और कह रहे हैं कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने क्या क्या कहा आइये जानते हैं।

आध्यात्मिक गुरू ओशो का पुराना वीडियो वायरल (Osho Video Viral)

आध्यात्मिक गुरू ओशो अपने भक्तों को जीवन में आगे बढ़ने और जीवन को सही तरह से जीने की सीख देते आये हैं। वहीँ उनका एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसमे वो अपने भक्तों को बता रहे हैं कि समय के साथ हमे भी बदलना चाहिए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए।

वीडियो में पहले वो अपने भक्त द्वारा पूछे गए प्रश्न को पढ़ते हैं। भक्त ने उनसे पूछा है, क्या जीवन मूल्य भी समय के अनुसार रूपांतरित होते हैं? इसका जवाब देते हुए ओशो कहते हैं, सत्यानंद, समय में जो पैदा होता है वह अनिवार्य रूप से रूपांतरित होता है। जीवन मूल्य भी समय की उत्पति है,उपज है। वैदिक ऋषियों के समय में जो सही था आज सही नहीं है। उन्होंने आगे कहा आज जो सही है शायद कल वो सही नहीं होगा। रोज़ जागरूकता से देखते रहना ज़रूरी है कि समय की धारा जब बदले तो हम भी बदलें। लेकिन हम कल में जीते हैं। और अस्तित्व सदा आज है। हम होते हैं कल में, बीते कल में और अस्तित्व है आज। हमारा ताल मेल टूट जाता है। इससे महा दुःख पैदा होता है। इससे नर्क निर्मित हो जाता है। क्योंकि हम हमेशा चूकते चले जाते हैं। वर्त्तमान से सम्बन्ध न हो पाए तो परमात्मा से सम्बन्ध हो नहीं सकता। क्योंकि वर्त्तमान परमात्मा है और हम रहते है अतीत में। हमारी धारणाएं अतीत की है। वो कितनी ही मूढ़तापूर्ण हो जाएं पर हम उन्हें दोहराते रहते हैं। हम कहते हैं कि ये हमारे बाप दादाओं के समय से चली आ रहीं हैं। कभी उनका महत्त्व रहा होगा ज़रूर रहा होगा। वो पैदा इसीलिए हुई होंगीं कि समय की मांग रही होगी। लेकिन अब उनका कोई मूल्य नहीं है।

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जैसे वैदिक ऋषि आशीर्वाद देते थे नव दम्पत्तियों को कि तुम्हारे बहुत बच्चे हों। आज अगर कोई ये आशीर्वाद देगा तो गलत होगा। आज तो ये आशीर्वाद होना चाहिए कि तुम्हारे बच्चे बिलकुल न हों। आज बहुत बच्चे हों ये आशीर्वाद नहीं ये अभिशाप हो जायेगा। समय बदल गया है स्थिति बदल गयी है। वैदिक ऋषियों के समय में पृथ्वी ज़्यादा थी लोग कम थे। आज पृथ्वी कम है और लोग ज़्यादा है। लोगों के बोझ से पृथ्वी दबी जा रही है,मिटी जा रही है। तो वही जीवन मूल्य नहीं रह सकते।

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