Pitra Paksh 2024 : पितृपक्ष में इन कामों से नाराज़ हो जाते हैं पितर, होते हैं भयावह परिणाम

Pitra Paksh 2024 : पितृ पक्ष के दौरान आपको कुछ बातों का ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत है आइये जानते हैं क्या।

Update:2024-09-12 13:10 IST

Pitra Paksh 2024 (Image Credit-Social Media)

Pitra Paksh 2024: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्त्व है वहीँ इन दिनों के कई नियम भी हैं जिनका पालन करना हर सनातन धर्मी को मानना ज़रूरी होता है। पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हो जाता है और आश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। ये समय होता है अपने पूर्वजों या पितरों को सम्मान देने का। ये समय होता पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान, पिंडदान और तर्पण करते हैं। वहीँ इस दौरान कुछ ख़ास नियम भी हैं जिनका पालन करना भी ज़रूरी है। आइये जानते हैं इस समय कौन सी चीज़ें भूलकर भी हमे नहीं करनी चाहिए।

पितरों को नाराज़ कर देते हैं ये काम

  • इस समय लोग अपने पूर्वजों को जल अर्पित करते हैं उन्हें भोजन अर्पित करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। इसके साथ ही उन्हें दान दक्षिणा देने का भी प्रावधान होता है। इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना की जाती है। लेकिन वहीँ आपको बता दें की पितृ पक्ष के दौरान कुछ ऐसे काम भी हैं जो नहीं करने चाहिए और अगर आप ऐसा कुछ करते हैं तो आपके पितृ नाराज़ हो सकते हैं। आइये विस्तार से जानते हैं कि आखिर किन कार्यों से नाराज़ हो जाते हैं पितृ।
  • ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में कोई भी नया सामान नहीं खरीदना चाहिए। इसके अलावा पितृ पक्ष में शादी, सगाई, मुंडन और उपनयन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इसके अलावा पितृ पक्ष में नए वस्त्र भी नहीं खरीदने चाहिए। ऐसा इसलिए है कि कपड़ों का दान पूर्वजों के लिए किया जाता है। वहीँ अगर आप पितृ पक्ष में कपड़े या वस्त्र दान करते हैं तो आपके पूर्वज इससे प्रसन्न होते हैं।
  • पितृ पक्ष में मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। कहते हैं इससे भी पूर्वज नाराज़ होते हैं। ऐसे में आपको सभी प्रकार के अनुष्ठानों को करना ज़रूरी है। इससे प्पके जीवन की कई तरह की परेशानियों का भी अंत होता है।
  • पितृ पक्ष की तिथिया

मंगलवार, 17 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध

बुधवार, 18 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध

गुरुवार, 19 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध

शुक्रवार, 20 सितंबर- तृतीया श्राद्ध

शनिवार, 21 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध

रविवार, 22 सितंबर- पंचमी श्राद्ध

सोमवार, 23 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध

मंगलवार, 24 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध

बुधवार, 25 सितंबर, नवमी श्राद्ध

गुरुवार, 26 सितंबर- दशमी श्राद्ध

शुक्रवार, 27 सितंबर- एकादशी श्राद्ध

शनिवार, 29 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध

रविवार, 30 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध

सोमवार, 1 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध

मंलगवार, 2 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

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