Premanand Ji Maharaj: क्यों प्रेमानंद जी ने घर छोड़कर इन्हे माना अपनी दूसरी माँ, ऐसे करते हैं उनकी आराधना
Premanand Ji Maharaj: क्या आप जानते हैं कि श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी के जीवन में क्या क्या उतार चढ़ाव आये, उनका असली नाम क्या है और क्यों वो गंगा को अपनी माँ मानते हैं। आइये हम आपको बताते हैं।
Premanand Ji Maharaj: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी के प्रवचन और उनकी ज्ञान भरी बातें सभी का मन मोह लेतीं हैं और साथ ही उनके भक्त अपनी कई समस्याओं के समाधान के लिए महाराज जी के पास दौड़े चले आते हैं। उन्हें विश्वास रहता है कि वो उनकी हर समस्या का समाधान निकाल देंगे। बहुत कम उम्र से ही प्रेमानंद जी ने अपना घर छोड़ दिया था और अध्यात्म की रह को उन्होंने चुन लिया था। उनके भक्तों की लिस्ट में टीम इंडिया के स्टार खिलाडी विराट कोहली और उनकी पत्नी और बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा भी शामिल हैं। कुछ समय पहले उनका उत्तर प्रदेश के वृन्दावन का वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। जहाँ ये कपल अपनी बेटी वामिका के साथ महाराज जी और उनका आशीर्वाद लेने आया था। क्या आप जानते हैं कि श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी के जीवन में क्या क्या उतार चढ़ाव आये, उनका असली नाम क्या है और क्यों वो गंगा को अपनी माँ मानते हैं। आइये हम आपको बताते हैं।
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी का जीवन
प्रेमानंद जी उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसौल के अखरी गांव के निवासी हैं। उनका जन्म एक सात्विक ब्राह्मण (पाण्डे) परिवार में हुआ था। उनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डे था। उनका झुकाव बचपन से ही अध्यात्म की ओर था। वहीँ उनके घर का माहौल भी ऐसा था जहाँ उनके दादा जी संन्यासी थे साथ ही उनके पिता भी आध्यात्मिक की ओर समर्पित थे। कुछ वर्षों के बाद उनके पिता शंभु पाण्डे जी ने भी सन्यास ले लिया था। वहीँ प्रेमानंद जी काफी छोटी उम्र से ही चालीसा का पाठ और पूजा विधि करने लगे थे। वो जब पांचवीं कक्षा में थे तभी उन्होंने "श्री राम जय राम जय जय राम" और "श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी" जैसे गीतों का जाप करना प्रारम्भ कर दिया था।
रात को घर छोड़ चल दिए थे अध्यात्म की ओर
जब प्रेमानंद जी कक्षा नौ में थे तक तक उन्होंने ये बात पूरी तरह समझ ली थी कि वो आध्यात्मिक जीवन ही जियेंगे। जिससे वो ईश्वर के बताये मार्ग पर चल कर उन्हें पा सकें। जिसके लिए उन्होंने घर त्यागने का निश्चय किया। लेकिन वो घर से जाते उससे पहले उन्होंने इस बात को अपनी माँ से कह दिया था। लेकिन माँ थोड़ी देर बाद ही अपने घर के कामों में मसरूफ हो गईं उन्हें लगा प्रेमानंद जी बस यूँ ही ऐसा बोल रहे हैं लेकिन वो इसके लिए काफी दृण थे और 13 साल की उम्र में सुबह के तीन बजे ही उन्होंने घर छोड़ दिया।
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गंगा को माना अपनी दूसरी मां
इसके बाद प्रेमानंद जी ने सन्यास को अपना लिया जिसके बाद उन्हें स्वामी आनंदाश्रम नाम दिया गया। अध्यात्म अपनाने के बाद उनका ज़्यादातर समय गंगा नदी के किनारे बीतता था। क्योकि उन्होंने आश्रम का पदानुक्रमित जीवन नहीं स्वीकार किया था। वो अपनी माँ के बेहद करीब थे और इसी वजह से गंगा नदी के समीप रहने की वजह से उन्होंने गंगा को अपनी दूसरी माँ के रूप में स्वीकार किया।