Premanand Ji Maharaj Motivational Quotes: प्रेमानंद जी महाराज ने क्रोध को शांत करने का अचूक उपाय बताया, आप भी आज़मा सकते हैं इसे

Premanand Ji Maharaj Motivational Quotes: प्रेमानंद जी महाराज के विचार आपका जीवन बदल सकते हैं बस ज़रूरत है आपके इसे अपनी ज़िन्दगी में आज़माने की। आइये जानते हैं उनके मोटिवेशनल थॉट्स।

Update:2023-12-12 10:21 IST

Premanand Ji Maharaj Motivational Quotes (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj Motivational Quotes: प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं साथ ही उनके विचार लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। उनकी रील्स को न सिर्फ बड़े बुज़ुर्ग पसंद करते हैं बल्कि नौजवान भी उनकी कही बातों को अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करते हैं। वो राधा रानी के अनन्य भक्त हैं साथ ही अपने सत्संग द्वारा महाराज जी लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक रूप से बदलाव लाये हैं। आज उनके द्वारा बताई कुछ मोटिवेशनल बातें हम यहाँ साझा करने जा रहे हैं।

प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार

1 . कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता

तुम्हारे कर्म

उस व्यक्ति के द्वारा

दुख के रूप में प्राप्त होते हैं।

2 . क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है

बजाय यह सोचने के कि

उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है?

हम यह सोचे कि

हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।

3 . क्रोध से आज तक कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है

यह आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है

इसलिए क्रोध की संगति से दूर रहें।

4 . दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए

दुखिया का जो मुखिया सुने तो तेरी गति क्या होए।


5. बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा

आज तुम बुरा कर रहे हो

तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं

जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए

अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा

त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचाए नहीं सकेगा।

6 . सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है

इससे घबराना नहीं चाहिए

यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है

जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो

वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।

7. स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो

यह जीवन जैसा भी है उनका दिया हुआ है

तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है

वह उनकी कृपा का प्रभाव है

तुम जिसका भोग कर रहे हो वह सब ईश्वर का है

ऐसे विचार के साथ कर्म करो,

जीवन यापन करो जीवन सुखमय होगा।


8. जब व्यक्ति का ध्यान प्रभु भागवत में लग जाता है

तब वह मोह से मुक्त होकर कार्य करता है,

गोविंद की कृपा से मोह का नाश होता है

और आनंदमय जीवन की प्राप्ति होती है।

9. देह भाव ही मोह है

जो अपने शरीर की सुंदरता को देखता है

वह ईश्वर की सुंदरता से विमुख हो जाता है।


10. आपका चंचल मन बिना बात के भी

बात की रचना कर सकता है

आपके मन के भीतर विषाद भर सकता है

इसलिए अपने चंचल मन को नियंत्रित करो

अपने गुरु के सानिध्य में रहकर

अपने मन को वश करने की उक्ति को जानो।

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