Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि क्या लड़कियों को पीरियड्स के दौरान करनी चाहिए पूजा- पाठ या नहीं

Premanand Ji Maharaj: आइये जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने लड़कियों को पीरियड्स के दौरान पूजा पाठ करना चाहिए या नहीं पर क्या कहा।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-11 04:52 GMT

Premanand Ji Maharaj (Image Credit- Social Media)

Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं उनके कई वीडियोस और रील्स पर आते ही वायरल हो जाते हैं। लोग उनके दरबार में अपनी कई दुविधाओं और समस्याओं को लेकर आते हैं जिनका को बेहद ख़ूबसूरती के साथ जवाब भी देते हैं। ऐसे में महाराज ने बताया कि क्या माहवारी के दौरान लड़कियों या महिलाओं को पूजा-पाठ करना चाहिए या नहीं। आइये जानते हैं इसका क्या उत्तर दिया महाराज जी ने।

लड़कियों व महिलाओं को माहवारी के दौरान मंदिर जाने और पूजा-पाठ करने की मनाही है ऐसा सालों से चलता आ रहा है। जिसके पीछे की वजह सभी की अपनी अपनी है। वहीँ प्रेमानंद जी महाराज ने इसके लिए क्या कहा आइये इसके बारे में भी जान लेते हैं।

दरअसल लड़कियों को पीरियड्स के दौरान काफी कमज़ोरी आ जाती है साथ ही वो अंदरूनी रूप से भी काफी कमज़ोर होतीं हैं। जिसकी वजह से उन्हें आराम करने की सलाह भी दी जाती है। लेकिन सदियों से इसे मंदिर और पूजा-पाठ से जोड़कर भी देखा जाता रहा है वहीँ कई जगहों पर महिलालों और लड़कियों को रसोई में भी नहीं जाने दिया जाता और उनके लिए इस समय एक अलग कमरे की व्यवस्था की जाती है। वहीँ इसपर प्रेमानंद जी महाराज ने अपने विचार रखे और बताया कि क्या लड़कियों को ऐसे समय में पूजा-पाठ करना चाहिए या नहीं।

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिर या पूजा पाठ नहीं करना चाहिए ये उनके लिए निषेध है। ऐसे समय में उन्हें किसी भी तरह का ईश्वरी अनुष्ठान भी नहीं करना चाहिए। महाराज जी के अनुसार इस समय महिलाओं को कोई साप्ताहिक अनुष्ठान भी नहीं करना चाहिए लेकिन वो भगवत चिंतन का गुणगान इस समय कर सकतीं हैं।

महाराज जी के अनुसार मासिक धर्म के समय महिलाओं को ग्रन्थ पढ़ना, ठाकुर जी की सेवा करना, रसोई बनाना,मंदिर जाना सब निषेध है। उनके अनुसार ये शास्त्र मर्यादा है। महाराज जी आगे कहते हैं कि मासिक धर्म के समय शरीर अपवित्र होता है तो आत्मा भी अपवित्र होती है और शरीर और आत्मा एक दूसरे से जुड़ी होती है तो दोनों को ही अपवित्र माना जाता है।

प्रेमानंद जी कहते हैं कि सभी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मन में ठाकुर जी का नाम जप करना चाहिए। इसके साथ भजन और भक्ति भी पूरे मन से करनी चाहिए किसी भी हालत में भक्ति नहीं छोड़नी चाहिए।

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