Premanand Ji Maharaj: जानिए प्रेमानंद जी महाराज ने क्रोध को शांत करने क्या उपाय बताया
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी के परम भक्त हैं वहीँ उनके विचार लोगों के लिए संजीवनी बूटी का काम करते हैं। जिससे उन्हें जीवन में एक नई दिशा भी मिलती है।
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानन्द जी महाराज अपने भक्तों को सही राह पर चलना और जीवन में आगे बढ़ना सीखते आये हैं। वहीँ उनके विचार अपने भक्तो को सफलता के मार्ग पर भी अग्रसर करते हैं। यहाँ हम आपको उनके द्वारा बताये कुछ विचारों को साझा कर रहे हैं। आइये एक नज़र डालते हैं प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचारों पर।
प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार (Premanand Ji Maharaj Ke Anmol Vichar)
1 सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है। जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो, वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
2 स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा।
3 ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
4 हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
5 कोई व्यक्ति तुम्हें दु:ख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दु:ख के रूप में प्राप्त होते हैं।
6 जिनके मुख में परमेश्वर का नाम नहीं है, वे जीवित तो हो सकते हैं, परन्तु मुंह से मरे हुए हैं।
7 डरो मत, गिरोगे भी तो आगे बढ़ना है, हजार बार भी गिरोगे तो भी आगे बढ़ना है।
8 इस भौतिक संसार में किसी के पास आपको पकड़ने की शक्ति नहीं है, आप ही हैं जो पकड़ते हैं और आप ही हैं जिन्हें
छोड़ना है।
9 क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है… बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
10 बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं। जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए, अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा, त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचा नहीं सकेगा।
11 जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है।
12 दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए।