Premanand Maharaj Ji: प्रेमानंद जी महाराज मानते हैं कि क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है, जानिए वो क्या है

Premanand Maharaj Motivational Thoughts: प्रेमानंद जी महाराज के जीवन को करीब से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि वो कितने लोगों को प्रेरित करते हैं। वहीँ आज हम ऐसे ही कुछ मोटिवेशनल थॉट्स आपसे शेयर करना चाहते हैं।

Update:2023-07-08 09:00 IST
Premanand Maharaj Motivational Thoughts (Image Credit-Social Media)

Premanand Maharaj Motivational Thoughts-: प्रेमानंद जी महाराज अपनी बातों से सभी को काफी प्रेरित करते हैं। उन्होंने बचपन में काफी गरीबी देखी है। लेकिन फिर भी उन्होंने कभी निराश होकर जीवन के बारे में नहीं सोचा। साथ ही आज महाराज जी लाखों करोड़ों लोगों को जीवन जीने का नया नजरिया बता रहे हैं। साथ ही उनके ये विचार न सिर्फ बड़े बुज़ुर्गों को पसंद आ रहे हैं बल्कि कई युवा भी इस ओर प्रेरित हुए हैं। आइये प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए सत्य मार्ग के बारे में जानते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज की प्रेरणादायक बातें

प्रेमानंद जी महाराज के जीवन को करीब से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि वो कितने लोगों को प्रेरित करते हैं। वहीँ आज हम ऐसे ही कुछ मोटिवेशनल थॉट्स आपसे शेयर करना चाहते हैं।

सभी समस्याओ से सुलझने का एक मात्रा उपाय है प्रभु को अपना वास्तविक मान लो,उनकी जगह पर किसी को मत बैठा लो।

मनुष्य जीवन सत्य मार्ग के लिए है अच्छे बनो, माँ बाप की सेवा क्यों बीमारों का सेवा करो जरूरतमंद का मद्द करो यही मनुष्य जीवन है।

हमे सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है किसी व्यक्ति से क्या होगा कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा ।

कौन क्या कर रहा है इस पर ध्यान मत दो केवल हमे सुधरना है इसपर ध्यान दो

प्रातः काल जब उठे तो गुरुदेव को प्रणाम करके निश्चय करें की आज हम पूरा का पूरा समय आराध्य देव में लगाने की पूरा का पूरा चेस्टा करेंगे ।

प्रातः काल जब उठे तो गुरुदेव को प्रणाम करके निश्चय करें की आज हम पूरा का पूरा समय आराध्य देव में लगाने की पूरा का पूरा चेस्टा करेंगे ।

जो ह्री का भक्त होता है उसे हमेशा जय की प्राप्ति होती है, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता ।

अगर हमको अपने मन को शांत करना है मन को स्थिर करना है तो एक उपाय है प्रभु के चरणों का दृढ़ता पूर्वक आश्रय और नाम जप करे ।

कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दुख के रूप में प्राप्त होते हैं ।

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