Puja Ke Niyam: जानिये ईश्वर आराधना के सर्वोतम नियम

Puja Ke Niyam: बहुत से लोग कहते है कि हमारी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण चाहकर भी पूजा नही कर पाते है। ऐसे लोगों की परेशानी को ध्यान मे रखकर आज हम पूजा करने के कुछ तरीके बताना चाहते है, जो सबके लिए सरल एवं सुलभ है।

Update: 2023-03-17 18:06 GMT

Puja Ke Niyam: अनेक लोगों को यह शिकायत रहती है कि, हमे तो पूजा पाठ करने का समय ही नही मिलता। बहुत से लोग कहते है कि हमारी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण चाहकर भी पूजा नही कर पाते है। ऐसे लोगों की परेशानी को ध्यान मे रखकर आज हम पूजा करने के कुछ तरीके बताना चाहते है, जो सबके लिए सरल एवं सुलभ है। जिसे करने मे आपका ना समय लगेगा और ना पैसे ही खर्च होंगे।
वस्तुतः भगवान को किसी वस्तु की आवश्यकता नही, वे तो भाव के भूखे हैं। आप उन्हे कुछ भी अर्पण करें या न करें, इससे उन्हे कोई फर्क नही पड़ता। सिर्फ आपका भाव समर्पण का होना जरूरी है।

1- जिनके पास धन एवं समय दोनों का अभाव हो, वैसे लोग हर समय मन मे भगवान के नाम का जप कर सकते हैं। नाम जप करने के लिए किसी भी नियम की, शुद्धि अशुद्धि की या समय देखने की आवश्कता नही है। यह खाते पीते, सोते उठते, तथा हर काम करते हुए किया जा सकता है। जो पुरूष सब समय भगवान का स्मरण करते रहते है वो संसार सागर से तर जाते हैं।
( गीता 7/14 )

2- जिनके पास थोड़ा समय तो है, पर धन का अभाव है। ऐसे लोग शास्त्रो मे वर्णित मानस पूजा कर सकते है। यह पूजा करने मे कुछ नियम का पालन करना होता है पर धन का खर्च बिल्कुल नही है।

मानस पूजा के नियम

सुबह में स्नान आदि करने के बाद किसी शान्त जगह पर आसन लगाकर बैठ जाए और भगवान का ध्यान करें कि सामने स्वर्ण सिंहासन पर भगवान विराजमान है। हम उन्हे गंगाजल से, पंचामृत से स्नान करा रहे है। वस्त्राभूषण, चन्दन, पुष्प, धूप दीप, फल, जल, नैवेध आदि अर्पण कर उनकी आरती कर रहे हैं। इस पूजा के मंत्र भी पुराणो मे वर्णित है।

3- जो लोग थोड़ा समय और धन खर्च कर सकते हैं, वो पंचोपचार विधि से पूजा करें। चंदन, फूल, धूप, दीप और नैवेध भगवान को अर्पण करें।

4- जो लोग संपन्न हैं, उन्हे षोड्सोपचार विधि से भगवान का पूजन करना चाहिए। पाध, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेध, आचमन, ताम्बुल, स्तवनपाठ, तर्पण और नमस्कार के द्वारा पूजन करें। संपन्न होते हुए भी गौण उपचारों से पूजा नही करनी चाहिए। भगवान का कथन है कि जो भक्त प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल मुझे अर्पण करता है उसे मैं सगुण रूप से प्रगट होकर खाता हूँ ।

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