Research On Happiness: 85 साल की रिसर्च, पता चल गया खुश रहने का राज

Research On Happiness: 1938 में शुरू की गयी ये स्टडी दुनिया भर में अब भी जारी है। ये स्टडी बताती है कि सबसे नाखुश वो लोग होते हैं जो अकेले में रहकर काम करते हैं।

Update:2023-03-28 17:33 IST
Research On Happiness (photo: social media )

Research On Happiness: हार्वर्ड विश्वविद्यालय में 85 साल चले एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने बताया है कि किस तरह का काम करने वाले लोग सबसे नाखुश होते हैं और खुश रहने का राज क्या है। 1938 में शुरू की गयी ये स्टडी दुनिया भर में अब भी जारी है। ये स्टडी बताती है कि सबसे नाखुश वो लोग होते हैं जो अकेले में रहकर काम करते हैं।

बातचीत न संपर्क

हार्वर्ड के अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों के पेशों में अन्य लोगों से बातचीत या संपर्क कम होता है, वे अपने काम में सबसे ज्यादा नाखुश रहते हैं। मतलब यह है कि जिन व्यवसायों में अन्य लोगों के साथ रिश्ते बनाने का मौका नहीं मिल पाता, या लोग अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे रिश्ते नहीं बना पाते, उन लोगों के नाखुश रहने की संभावना ज्यादा होती है।

पॉजिटिव रिश्ते ही हैं ख़ुशी का राज़

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि ज्यादा खुशनुमा, सेहतमंद और लंबे जीवन का राज पैसा, सफलता, व्यायाम या सेहतमंद खाना नहीं है। सिर्फ पॉजिटिव रिश्ते ही लोगों को खुश रखते हैं। यानी आपको खुश रहना है तो अपने आसपास सकारात्मक रिश्ते ही बनाए रखने होंगे। इससे बाहर की चीजें ख़ुशी नहीं दे सकती हैं। अध्ययन के अनुसार, यह हमारे पेशे और हमारी नौकरियों पर भी लागू होता है। अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि पॉजिटिव और अर्थपूर्ण रिश्ते एक महत्वपूर्ण सामाजिक आवश्यकता है जिसे हमारे जीवन के सभी पहलुओं में पूरा किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यदि आप लोगों से अधिक जुड़े हुए हैं, तो आप अपनी नौकरी से अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं और बेहतर काम करते हैं।

सबसे एकाकी पेशे

कुछ सबसे एकाकी पेशों में ऐसे काम शामिल हैं जो अकेले या स्वतंत्र रूप से किये जाते हैं या जिनमें रात भर की पाली की आवश्यकता होती है, जैसे ट्रक ड्राइविंग और रात की पाली वाले सिक्यूरिटी गार्ड। पैकेज और फ़ूड डिलीवरी सेवाओं सहित तकनीकी संचालित उद्योगों में एकाकी नौकरियां आम हैं, जहां लोगों के पास अक्सर कोई सहकर्मी नहीं होता है, या ऑनलाइन रिटेल का काम जहां काम इतना तेज़ और फोकस्ड होता है कि कर्मचारी एक ही वेयरहाउस में काम करते हुए एक-दूसरे का नाम भी नहीं जानते। हालांकि, अकेलापन सिर्फ अकेले काम करने वालों को ही पीड़ित नहीं करता है, यहां तक कि व्यस्त, सामाजिक नौकरियों वाले लोग भी अलग-थलग महसूस कर सकते हैं यदि उनके पास दूसरों के साथ सकारात्मक, सार्थक बातचीत नहीं होती है। मिसाल के तौर पर यदि कोई कोडिंग का काम करता है तो शायद उसे किसी से बातचीत करने की जरूरत ही न पड़ती हो। इन लोगों का अन्य लोगों या सहकर्मियों से बहुत कम वास्ता पड़ता है।

अहम मानवीय जरूरत

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. रॉबर्ट वाल्डिंगर ने बताया कि यह एक अहम मानवीय जरूरत है जो जिंदगी के सभी पहलुओं में पूरी होनी चाहिए। अगर आप लोगों से ज्यादा जुड़े हुए हैं तो आप अपने काम में ज्यादा संतुष्टि का अनुभव करते हैं और बेहतर काम करते हैं। वाल्डिंगर इसके प्रमुख उदाहरण के रूप में कस्टमर सर्विस नौकरियों का उदहारण देते हैं। उनका कहना है - हम जानते हैं कि कॉल सेंटरों में लोग अक्सर अपनी नौकरी से अत्यधिक तनाव में रहते हैं, क्योंकि वे पूरे दिन निराश, अधीर लोगों के साथ फोन पर रहते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जोखिम

हार्वर्ड के इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 724 लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड एकत्र किये और उनसे या उनके परिवारवालों से दो – दो साल के अंतराल पर उनके जीवन के बारे में विस्तृत सवाल पूछे। जैसे जैसे प्रतिभागियों की उम्र बढती गयी और वे मिडिल एज में प्रवेश कर गए, शोधकर्ताओं ने उनसे अक्सर रिटायरमेंट के बारे में पूछा। उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर ये बताया गया है कि रिटायरमेंट में लोगों को जिस सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, वह ये था कि काम के दौरान उनके जो सामाजिक सम्बन्ध थे वे रिटायरमेंट के बाद उनको बदलने और नए सम्बन्ध डेवलप करने में सक्षम नहीं थे। जब सेवानिवृत्ति की बात आती है, तो लोग अक्सर वित्तीय चिंताओं, स्वास्थ्य समस्याओं और देखभाल जैसी बातों पर जोर देते हैं। लेकिन जो लोग रिटायरमेंट के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जो सोशल कनेक्शन बना लेते हैं और इसके तरीके ढूंढते हैं। एक प्रतिभागी से जब पूछा गया कि उसने लगभग 50 वर्षों तक नौकरी करने के बाद सबसे ज्यादा क्या मिस किया है, तो उसने उत्तर दिया – खुद के काम के बारे में बिल्कुल कुछ भी नहीं मिस किया लेकिन मुझे लोगों और दोस्ती की याद आती है।

सबसे जरूरी – सोशल फिटनेस

ये जान लीजिये कि रिश्ते हमें शारीरिक रूप से प्रभावित करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके रिश्ते स्वस्थ और संतुलित हैं, सोशल फिटनेस का अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। हम सोचते हैं कि एक बार जब हम मित्रता और अंतरंग संबंध स्थापित कर लेते हैं, तो वे अपना ख्याल खुद रख लेंगे। लेकिन हमारा सामाजिक जीवन एक जीवित व्यवस्था है, और इसके लिए व्यायाम की आवश्यकता है।

काम पर दूसरों से अलग महसूस करना भी एक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि, जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, अकेलापन हमारी मृत्यु के जोखिम को उतना ही बढ़ा सकता है जितना कि धूम्रपान, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता। रिपोर्ट इस बात की ओर भी ध्यान दिलाती है कि अन्य पेशों में काम करने वाले लोग यदि अपने सहकर्मियों के साथ अर्थपूर्ण संवाद नहीं कर पाते तो वे भी अकेलापन महसूस कर सकते हैं। अध्ययन कहता है कि इसीलिए काम के दौरान लोगों से मिलना-जुलना और बातचीत करना कर्मचारियों की मानसिक सेहत के लिए अच्छा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि काम के दौरान आपसी मेलजोल के छोटे-मोटे मौके भी कर्मचारियों को तरोताजा रखने में कारगर साबित हो सकते हैं और वे अकेलेपन व असंतोष जैसी भावनाओं से निकल सकते हैं।

डॉ. रॉबर्ट वाल्डिंगर का कहना है कि इस अभ्यास के बारे में एक्स-रे की तरह सोचें - एक उपकरण जो आपको अपने सोशल यूनिवर्स की सतह के नीचे देखने में मदद करता है। इस प्रकार के सभी सोशल सपोर्ट आपको महत्वपूर्ण नहीं लगेंगे, लेकिन इस पर विचार करें कि उनमें से कौन सा है, और अपने आप से पूछें कि क्या आपको उन क्षेत्रों में पर्याप्त सपोर्ट मिल रहा है। आप महसूस कर सकते हैं कि आपके पास बहुत सारे लोग हैं जिनके साथ आप मज़े करते हैं, लेकिन विश्वास करने वाला कोई नहीं है। अपने जीवन में लोगों तक पहुंचने से घबराइए नहीं। ये जान लीजिये कि आपके लिए महत्वपूर्ण संबंधों को गहरा करने में कभी देर नहीं होती।

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