Robot Bees Farming: कहीं खो ना जाए मधुमक्खियों का वजूद, खेती पर छा रहा संकट, रोबोटिक कीट बन रहे विकल्प
Robot Bees Are Revolutionising Farming: क्या आप जानते हैं कि धीरे-धीरे मधुमखियों की संख्या में भारी कमी आ रही है साथ ही इससे खेती पर भी संकट छा रहा ऐसे में आइये जानते हैं कि रोबोटिक कीट कैसे विकल्प बन कर सामने आ रहे हैं।;
Robot Bees Are Revolutionising Farming: पर्यावरण में मधुमक्खियों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, और यह नुकसान उनकी कॉलोनियों की पुनर्जन्म क्षमता से कहीं अधिक है। जलवायु परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। मधुमक्खियां, दुनिया की कई फसलों के परागण में अहम भूमिका निभाती हैं। जिनके कम होने से कई खाद्य पदार्थों की पैदावार पर असर पड़ सकता है। सेब से लेकर बादाम तक, दुनिया भर की लगभग तीन-चौथाई फसल प्रजातियाँ मधुमक्खियों और अन्य कीटों द्वारा परागण पर निर्भर हैं। लेकिन कीटनाशकों , भूमि की सफाई और जलवायु परिवर्तन के कारण इनमें से कई जीवों की संख्या में गिरावट आई है, जिससे किसानों के लिए समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इस समस्या से उबरने के लिए अब रोबोटिक मधुमक्खियों का इस्तेमाल चलन में आ रहा है।
मधुमक्खियों की प्रजातियों में 44 प्रतिशत की आ चुकी है कमी
जलवायु परिवर्तन की वजह से मधुमक्खियों के आवास नष्ट हो रहे हैं। इस बदलाव के चलते मधुमक्खियों के घोंसले बनाने और सर्दियों के बाद इनके उभरने में दिक्कत आ रही है।
जलवायु परिवर्तन से कई फूल वक्त से पहले या बाद में खिलने लगे हैं, जिससे मधुमक्खियों को समय पर भोजन न उपलब्ध होने से उनकी मौत हो रही है। सिर्फ यही नहीं जलवायु परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों के अनुकूल फूलों की कमी भी होती जा रही है। इसके साथ ही खेत और बगीचों में बढ़ रहा कीटनाशकों का इस्तेमाल और हानिकारक परजीवियों से मधुमक्खियों की कॉलोनियां नष्ट हो रही हैं। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सभी प्रजातियों की मधुमक्खी कॉलोनियों में से अब 44 प्रतिशत की कमी आ चुकी है। यानी ये अनुकूल वातावरण न मिलने से मर रहीं हैं। जिनमें से एक प्रजाति वो भी शामिल है जो इस देश में वाणिज्यिक परागण के लिए आवश्यक है। मधुमक्खियों की अन्य प्रजातियाँ बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के करीब हैं, जिनमें रस्टी पैच बम्बल मधुमक्खी और हवाई पीले चेहरे वाली मधुमक्खियों की सात प्रजातियाँ शामिल हैं ।
वैज्ञानिक अब तलाश रहे रोबोटिक तकनीक का विकल्प
मधुमक्खियों के बिना दुनिया दूर की कौड़ी लग सकती है। लेकिन विशेषज्ञ पौधों को उनके बिना जीवित रहने में मदद करने के तरीके खोज रहे हैं। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक शोधकर्ता ईजीरो मियाको ने मधुमक्खियों के विकल्प के तौर पर एक ऐसा डिज़ाइन तैयार किया है जो उनके अनुसार एक दिन आंशिक समाधान हो सकता है। एक कीट के आकार का ड्रोन जो कृत्रिम परागण करने में सक्षम है। एक ड्रोन जो फूलों का परागण कर सकता है, एक दिन फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए मधुमक्खियों के साथ मिलकर काम कर सकता है। हालांकि ये पूर्ण रूप से खेती बारी के विस्तृत क्षेत्रों में सफल नहीं हुआ। मैन्युअल रूप से नियंत्रित ड्रोन 4 सेंटीमीटर चौड़ा है। इसका वजन 15 ग्राम है।
नीचे का हिस्सा घोड़े के बालों से ढका हुआ है, जिस पर एक खास चिपचिपा जेल लगा हुआ है। जब ड्रोन किसी फूल पर उड़ता है, तो पराग कण हल्के से जेल से चिपक जाते हैं, फिर अगले फूल पर रगड़कर निकल जाते हैं। इसके प्रयोगों में, ये ड्रोन जापानी लिली ( लिलियम जैपोनिकम ) का परागण करने में सक्षम था। इसके अलावा, जब ड्रोन फूलों पर उतरा तो नरम, लचीले जानवरों के बालों ने पुंकेसर या स्त्रीकेसर को नुकसान नहीं पहुँचाया।
अब कृत्रिम मधुमक्खियों से होगा परागण
पर्यावरण में घटती मधुमक्खियों की संख्या के चलते अब रोबोटिक बी का प्रयोग इस क्षेत्र में काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। फूल के नर परागकोष (ऍथर) से दूसरे पराग कणों को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाने का काम कीट-पतंगे, चमगादड़ करते हैं, जिसे परागण कहते हैं। लेकिन अब इस प्राकृतिक प्रक्रिया को रोबोटिक विधि से किया जाएगा। परागण को सटीक और सफल बनाने के लिए ब्रिटेन के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने खास तरह के रोबोटिक कीट तैयार किए हैं। ये छोटे हवाई कृत्रिम कीट सर्वश्रेष्ठ पराग कण वाहक मधुमक्खी की तरह तेजी से परागण ले जा सकेंगे। इससे पौधों में सुविधानुसार प्रजनन कराना आसान होगा। ये अगले कुछ वर्षों में व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध हींगे।
1,000 सेकंड तक आसमान में मंडरा सकते ये रोबोटिक कीट
वे रोबोटिक कीट 1,000 सेकंड तक आसमान में मंडरा सकते हैं। जबकि वैज्ञानिकों का लक्ष्य इनकी गति में विस्तार करके इसे 10,000 सेकंड तक पहुंचाना है। इन रोबोटिक कीटों का वजन एक पेपरक्लिप से भी हल्का है। ये मधुमक्खियां हवा में वास्तविक मधुमक्खियों की तरह ही कलाबाजी करते हुए तेजी से उड़ान भरने में सक्षम हैं। इनको टिकाऊ बनाने के लिए पंखों को बेहद नाजुक और लचीला बनाया गया है। इनमें लगी छोटी बैटरी और सेंसर इनको उड़ने में सक्षम बनाती है। अभी इन रोबोटिक मधुमक्खियों का प्रयोग केवल लैब में किया गया है।
मधुमक्खी की तरह सटीक और तीव्र उड़ान भरने में सक्षम हैं नए रोबोटिक कीट
कृत्रिम परागण के लिए अभी तक इस तरह के जो कृत्रिम कीट उपलब्ध थे, उनमें मधुमक्खी जैसे प्राकृतिक परागणों की तरह लचीलापन नहीं था। नए रोबोटिक कीट का डिजाइन इनको मधुमक्खी की तरह सटीक और तीव्र बनाता है। अभी तक जो कृत्रिम कीट थे, उनमें दो पंख थे, जो एक आयताकार उपकरण में संयोजित थे। ये एक माइक्रोकैसेट के आकार के होते थे, साथ ही समूह में उड़ान भरते थे। नए रोबोटिक कीट में आठ पंख हैं और केंद्र में एक ट्रांसमिशन की मदद से फड़फड़ाता हुआ पंख लगा है। यह पंख रोबोटिक कीट के केंद्र से बाहर की ओर बल लगाता है, जिससे पंख स्थिर रहते हैं और बेहद सरलता से उड़ान भरने में सहायक होते हैं। नया रोबोटिक कीट पुराने रोबोट की तुलना में ज्यादा कंट्रोल टॉर्क जनरेट कर सकता है। जिसकी सहायता से ये अनुकूल दिशा में अधिक सटीक उड़ान भरने में कामयाब होते हैं।
अब फल-सब्जियों की पैदावार में आएगी तेजी
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के रूप में इस नए उत्पाद रोबोटिक कीट की मदद से किसान फल और सब्जियां उगा सकेंगे। इससे फल और सब्जियों की उपज में वृद्धि होगी। इस तरह से मौसम के प्रतिकूल प्रभावों का भी असर पैदावार पर नहीं पड़ेगा, जो कि फल और सब्जियों के उत्पादन में सबसे बड़ी चुनौती होती है। साथ ही फसलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से भी छुटकारा मिलेगा। हालांकि अभी तक पुष्पों की कई प्रजातियां तैयार करने में मनुष्य द्वारा कृत्रिम परागण तकनीक अपनाई जा रही थी।
जिसमें पुष्पों के परागकणों कोअल स्वेच्छानुसार किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकान पर पहुंचाने की प्रक्रिया में अपरिपक्व द्विलिंगी पुष्प से उसके सभी पुंकेसरों को चिमटी की सहायता से सावधानीपूर्वक पृथक् कर दिया जाता है। वहीं स्व परागण में फूलों के पौधों में प्रजनन के लिए परागण की आवश्यकता होती है। नर फूल के हिस्से, या पुंकेसर, पराग का उत्पादन करते हैं जो मादा भागों, जिन्हें स्त्रीकेसर के रूप में जाना जाता है, को निषेचित करते हैं, जिससे बीज बनते हैं। स्व-परागण वाले फूलों में, पुंकेसर पराग को सीधे स्त्रीकेसर पर गिराता है।
हालाँकि, क्रॉस-परागण के लिए एक पौधे से दूसरे पौधे में पराग का स्थानांतरण आवश्यक है। यह मुख्य रूप से मधुमक्खियों और अन्य कीटों के शरीर पर पराग के चिपक जाने पर निर्भर करता है, जब वे फूलों पर भोजन करते हैं, और फिर अगले पौधे पर जमा हो जाते हैं। स्व-परागण की तुलना में इसके कुछ लाभ हैं, क्योंकि यह आनुवंशिक विविधता को बढ़ाता है और फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करता है।