Sharad Purnima ka Mahatva: शरद पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त में जरूर करें ये काम, खत्म हो जाएंगे शरीर के सारे रोग-कृष्ट

Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आकाश से अमृत वर्षा होती है।

Report :  Vidushi Mishra
Update:2022-10-09 10:15 IST

शरद पूर्णिमा (फोटो- सोशल मीडिया)

Sharad Purnima 2022 Kheer Importance: अश्विन महीने के आखिरी दिन शरद पूर्णिमा का विशेष पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व है। शास्त्रों में अश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा बताया गया है। शास्त्रों में ये भी बखान है कि इस पूर्णिमा को इसलिए इन नामों से बुलाया जाता है क्योंकि इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था।  

शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आकाश से अमृत वर्षा होती है। इसलिए शरद पूर्णिमा पर रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विशेष महत्व है। चलिए आपको शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त बताते हैं।

शरद पूर्णिमा कब है?
sharad purnima 2022 date and time

शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर दिनर रविवार को है।

शरद पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि 09 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। इसके बाद अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।

ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 AM से 05:29 AM।

अभिजित मुहूर्त- 11:45 AM से 12:31 PM।

विजय मुहूर्त- 02:05 PM से 02:51 PM।

गोधूलि मुहूर्त- 05:46 PM से 06:10 PM।

अमृत काल- 11:42 AM से 01:15 PM।

सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:18 AM से 04:21 PM

शरद पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग

असल में इस साल शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में ध्रुव योग शाम 06 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 31 मिनट से शाम 04 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

शरद पूर्णिमा पर क्या है विधान

ऐसा बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती के बहुत ज्यादा पास होता है। साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए अपने भक्तों की दुख-तकलीफें दूर करती हैं। ये दिन सुख-समृद्धि के मायने से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन रात के समय खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विधान है। यहां जाने खीर रखने का क्या महत्व है।

शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का लाभ
Sharad Purnima Kheer Benefit

शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। वहीं श्रीमद्भागवत महापुराण के मुताबिक, चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की रोशनी को जरूर ग्रहण करना चाहिए। इस दिन स्वास्थ्य के लिए चंद्रमा की रोशनी बहुत शुभकारी होती है।

इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे थोड़ी देर समय जरूर बिताना चाहिए। साथ ही शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चावल और दूध से बनी खीर हल्की महीन कपड़े से ढक्कर रखी जाती हैं। इस तरह से रखा जाता है जिससे खीर पर चंद्रमा की किरणें पड़ सके। फिर ये खीर खाने से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

ये भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन में खीर रखे, इसके बाद उसका सेवन करने से लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता दोगुनी हो जाती हैं। साथ ही सभी रोगों का नाश हो जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण देखें तो चांदी के बर्तन में खाने से प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है। साथ ही विषाणु दूर रहते हैं। ऐसे में इस दिन चांदी के बर्तन में खीर रखने के बाद खाने से खीर अमृत समान हो जाती है।

शरद पूर्णिणा की रात को 10-12 बजे के बीच चंद्रमा अधिक प्रभावशाली रहता है। इसलिए इस दौरान चंद्रमा का दर्शन जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आंखों की बीमारियां, सांस की बीमारियों समेत कई बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है।



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