Shri Krishna Ka Gyan: श्रीकृष्ण से जरूर लें ये 5 सीख, जिंदगी होगी बेहतर

Shri Krishna Se Kya Seekh Lein: भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा ही अपने हर रिश्तों को बखूबी निभाया है। आप उनकी जिंदगी से कई सीख ले सकते हैं, जो आपके भी जीवन को बेहतर बनाएंगी।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-18 04:30 GMT

Shri Krishna (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Shri Krishna Ka Gyan: भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात में 12 बजे हुआ था। कान्हा जन्म के तुरंत बाद ही अपनी माता देवकी और पिता वासुदेव से बिछड़ गए थे, जिसके बाद उनका पालन-पोषण यशोदा मां और नंद बाबा ने किया था। कृष्ण ने अपने जीवन में सभी रिश्तों को बड़ी ईमानदारी से निभाया है। उन्होंने जिसका भी साथ दिया, उसका बेड़ा पार लगाया है। उनके जीवन से कई सीख आप ले सकते हैं, जो आपकी जिंदगी को भी बेहतर बनाने का काम करेंगे।

श्रीकृष्ण के जीवन से लें ये सीख (Shri Krishna Ki Jivani)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1- भगवान कृष्ण की जिंदगी हमेशा संघर्षों से भरी रही। बचपन से लेकर बड़े होने तक उन्होंने कई मुश्किलों और षड्यंत्र का सामना किया, लेकिन इन सभी बाधाओं से वह कभी विचलित नहीं हुए। उन्होंने हर कठिनाईयों का मुस्कुराकर सामना किया। ऐसे में आपको भी जिंदगी से निराश हुए बिना तकलीफों का सामना करना चाहिए और फल की चिंता किए बिना अपना कर्म करना चाहिए।

2- जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा श्रीकृष्ण की जिंदगी में काफी सारे संघर्ष थे, लेकिन उन्होंने इन सभी तकलीफों के बाद भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा। हमेशा उन्होंने अपने चेहरे की मुस्कुराहट बरकरार रखी। ऐसे में आपको भी जिंदगी में जब भी मौका मिले, मुस्कुराना चाहिए। उदासी के साथ-साथ आपके पास खुश होने की भी कई वजहें होती हैं, लेकिन अक्सर हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।

3- सच्चे प्यार की असली परिभाषा क्या होती है, ये भगवान श्रीकृष्ण ने ही सिखाया है। वो न केवल राधा रानी से बेहद प्रेम करते थे, बल्कि उनका सम्मान भी करते थे। उन्होंने गोपियों और अपनी पत्नियों के प्रेम को भरपूर सम्मान दिया, लेकिन अपने दिल में सदैव राधा को ही स्थान दिया। इसलिए आज भी उनके साथ केवल राधा रानी का नाम लिया जाता है। ऐसे में सच्चा प्यार करना आप कान्हा से सीख सकते हैं।

4- आजकल जहां हर किसी की दोस्ती स्वार्थ और ईर्ष्या से भरी हुई है, वहीं दूसरी ओर कृष्ण ने बताया कि दोस्ती कैसे निभाते हैं। उन्होंने अपनी और सुदामा की दोस्ती को हमेशा ही ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी की पाबंदियों से दूर रखा। उन्होंने जब सुदामा को उनकी जरुरत हुई, वह वहां हमेशा उपलब्ध रहे। ऐसे में आपको भी दोस्ती जैसे रिश्ते को ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी जैसी चीजों से दूर रखना चाहिए।

5- श्री कृष्ण ने अपने बेटे होने का भी किरदार बखूबी निभाया। पैदा होते ही उन्हें कंस से दूर करने के लिए पिता वासुदेव और माता देवकी ने खुद से दूर कर दिया। जिसके बाद यशोदा और नंद ने उन्हें खूब प्रेम और स्नेह दिया। ऐसे में भगवान कृष्ण ने भी दोनों मांओं को बराबर का स्थान दिया और दोनों पिता के प्रति भी अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया।

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