Some Rules Of Eating: भोजन संबंधी कुछ आवश्यक नियम, follow कर लेंगे तो नहीं होगा कोई रोग

Some Rules Of Eating: अगर भोजन को सही ढंग और सही समय पर ग्रहण न किया जाय तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन को सही समय और सही नियम से ग्रहण जरूरी है।

Report :  Network
Update:2022-11-01 09:39 IST

भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम: Photo- Social Media

Some Rules Of Eating: मनुष्य का शरीर एक मशीन की तरह ही है जिसको चलने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है। मनुष्य अपनी यह आवश्यकता भोजन (food) से प्राप्त करता है। ऐसे में मनुष्य के लिए ताजा, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन आवश्यक है। लेकिन अगर भोजन को सही ढंग और सही समय पर ग्रहण न किया जाय तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन को सही समय और सही नियम से ग्रहण करने के लिए Newstrack.Com आपको कुछ अच्छे टिप्स (Eating Tips) यहां दे रहा है जिसको follow करके आप अपना स्वास्थ्य ठीक रख सकते हैं।

1-पांच अंगो-दो हाथ, दो पैर व मुख, को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करें।

2-गीले पैरों के साथ खाना खाने से आयु में वृद्धि होती है।

3-प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है ।

4-पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुँह करके ही खाना चाहिए ।

5-दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है ।

6-पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके किये हुए भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है ।

7- शैय्या पर, हाथ पर रख कर, टूटे-फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए।

8- मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वट वृक्ष के नीचे, भोजन नहीं करना चाहिए ।

9-परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए ।

10-खाने से पूर्व अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके, उनका धन्यवाद देते हुए, तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए।

11-भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले तीन रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालों को खिलाये ।

12-ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीन भाव, द्वेष भाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है ।

13-आधा खाया हुआ फल, मिठाईयां आदि पुनः नहीं खाना चाहिए ।

14-खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए ।

15-भोजन के समय मौन रहें।

16-भोजन को बहुत चबा चबा कर खाएँ।

17-रात्रि में भरपेट न खाएँ।

18-गृहस्थ को बत्तीस ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए ।

19-सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन और अंत में कडुवा खाना चाहिए ।

20-सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ और अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करे ।

21-थोड़ा खाने वाले को -आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुन्दर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है ।

22-जिसने ढिंढोरा पीट कर खिलाया हो वहाँ कभी न खाएँ।

23-कुत्ते का छुवा, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राध का निकाला, बासी, मुंह से फूंक मारकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन, अनादर युक्त, अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करें।

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