Swami Vivekananda Jayanti 2023: स्वामी विवेकानंद के सुविचारों पर चलने का करें प्रयास, जानिये उनके 90 अनमोल वचन
Swami Vivekananda Jayanti Quotes and Whatsapp Status: स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं।
Swami Vivekananda Jayanti Quotes and Whatsapp Status: हम भारत में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। यह समाज में युवाओं के योगदान को चिह्नित करने का दिन है। यह दिन युवाओं को दृढ़ रहने और जीवन में बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करने के बारे में भी है। यदि देश के युवा अधिक से अधिक भलाई के लिए खुद को समर्पित करते हैं, तो देश आगे बढ़ने के लिए बाध्य है।
देखे स्वामी विवेकानंद के विचार
भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस भी स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम स्वामी विवेकानंद जयंती को युवाओं को समर्पित दिन के रूप में मनाते हैं। लेकिन उनके और युवाओं के बीच क्या संबंध है? एक आध्यात्मिक और धार्मिक नेता युवाओं से कैसे जुड़ा होता है?
स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं। उनके ओजस्वी भाषण, उनके द्वारा दिए गए प्रेरणादाई उपदेश जीवन में आगे बढ़ने के लिए और जीवन में सफलता हासिल करने में सहायता प्रदान करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जी भारत के महान विचारकों में से एक हैं
स्वामी विवेकानंद जी वेदों और उपनिषदों के महान ज्ञाता और एक प्रखर वक्ता रहे हैं। उनका सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वभर में वेदांत दर्शन का प्रसार किया और पूरे विश्व को सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराया। ये स्वामी जी की शिक्षा का ही असर था कि भारत की गुलामी के समय में लोगों के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को बल मिला और इस भावना ने ही लोगों में एकता स्थापित की। जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद जी ने कर्म योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग जैसी किताबों के माध्यम से अपने विचारों को हम तक पहुंचाया है।
स्वामी विवेकानंद के उन्हीं महान विचारों में से कुछ विचार यहां प्रस्तुत किए गए हैं कृपया इन अच्छे विचारों को पढ़े और अपने जीवन में आत्मसात् करने का पूरा प्रयास करें :
स्वामी विवेकानंद के विचार -:
1. शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
2. वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।
3. जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
4. सत्य को स्वीकार करना जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है।
5. मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
6. बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु।
7. मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।
8. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
9. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
10. चिंतन करो, चिंता नहीं; नए विचारों को जन्म दो।
11. ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है।
12. भय और अपूर्ण वासना ही समस्त दुःखों का मूल है। समस्त प्रकृति आत्मा के लिए है, आत्मा प्रकृति के लिए नहीं।
13. पवित्रता, धैर्य और उद्यम – ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं।
14. आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।
15. हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
16. मेहनत से जीवन की हर मुश्किल से बाहर निकला जा सकता है।
17. हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर स्थित है।
18. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
19. अगर स्वाद की इंद्रिय को ढील दी, तो सभी इन्द्रियां बेलगाम दौड़ेगी।
20. जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।
21. मध्य युग में चोर डाकू अधिक थे अब छल कपट करने वाले अधिक है।
22. उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।
23. अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो।
24. जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
25. उठो, जागो और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये तब तक मत रुको।
26. वो मजबूत आदमी है। जो कहता है कि मैं अपनी किस्मत स्वयं बनाऊंगा।
27. जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।
28. संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।
29. जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है। यह अग्नि का दोष नहीं है।
30. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
31.हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति।
32. वह आदमी अमरत्व तक पहुंच गया है जो किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होता है।
33. दुनिया एक महान व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
34. शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।
35. जीवन में संबंध होना बहुत जरूरी है। पर उससे भी जरूरी है उन संबंधों में जीवन होना।
36. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।
37. मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
38. संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आप की ऊंचाई को खत्म भी कर सकती है।
39. एक पुस्तकालय महान व्यायामशाला है जहाँ हम अपने मन को मजबूत बनाने के लिए जाते हैं।
40. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।
41. पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है।
42. तुम अपनी मंजिल को तो रातों-रात नहीं बदल सकते परंतु अपनी दिशा को रातों रात बदल सकते हैं।
43. केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।
44. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक। उसे जहर की तरह त्याग दो।
45. किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।
46. मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा।
47. यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।
48. हमें हमारे विचार ही बनाते हैं। इसलिए शब्दों पर नहीं अपनी सोच पर ध्यान दें। विचार हमेशा जिंदा रहते हैं।
49. दिन-रात अपने मस्तिष्क को, उच्चकोटि के विचारो से भरो। जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा।
50. इच्छा का समुद्र हमेशा अतृप्त रहता है । उसकी माँगे ज्यों-ज्यों पूरी की जाती है, त्यों-त्यों और गर्जन करता है।
51. दिन में कम से कम एक बार खुद से बात जरूर करें वरना आप दुनिया के बेहतरीन इंसान से नहीं मिल पाएंगे।
52. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
53. हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उनको अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।
54. दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।
55. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
56. जिसने ने भी किसी का साथ ढूंढा समझ लो उससे सफलता पीछे छूट गई। क्योंकि भीड़ कभी शिखर पर नहीं पहुंचती।
57. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
58. जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो। उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस पर ध्यान मत दो।
59. कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा। परन्तु उसके बारे में अभी मत सोचो।
60. जीने के साथ लगातार सीखते भी जाना चाहिए इस भरोसे पर नहीं रहना चाहिए कि उम्र अपने साथ बुद्धि भी लेकर आएगी।
61. मुझे इस बात का विश्वास नहीं है कि वह भगवान जो मुझे यहाँ रोटी नहीं दे सकता वही मुझे स्वर्ग में अनंत खुशी दे सकता है।
62. हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही ज्यादा शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे।
63. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
64. हे महाऋषियों! आप ठीक ही कहते थे। जो किसी व्यक्ति विशेष के आश्रय रहता है। वह सत्य रूपी प्रभु की सेवा नहीं कर सकता।
65. कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।
66. हमे ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके।
67. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, कि तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
68. हम हमेशा अपनी कमज़ोरी को अपनी शक्ति बताने की कोशिश करते हैं,अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं और अपनी कायरता को धैर्य।
69. तुच्छ वस्तुओं के लिए कभी प्रार्थना ना करें। यदि आप केवल शारीरिक आराम की ही आकांक्षा करते हो तो पशु और मनुष्य में क्या अंतर है।
70. धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती।
71. पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता। एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
72. यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है, अपने अंतर्मन में राष्ट्रभक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।
73. जो आपकी मदद कर रहा है उन्हें न भूलें। जो आपको प्यार कर रहे हैं उनसे नफरत न करें। जो आप पर विश्वास कर रहे हैं उन्हें धोखा ना दें।
74. जब तक मनुष्य के जीवन में सुख – दुख नहीं आएगा तब तक मनुष्य को यह एहसास कैसे होगा कि जीवन में क्या सही है? और क्या गलत है?
75. आप जोखिम लेने से भयभीत न हो। यदि आप जीतते हैं तो आप नेतृत्व कर सकते हैं। यदि हारते हैं तो आप दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
76. धर्म कल्पना की चीज नहीं है, प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है। जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है।
77. मनु ने सन्यासियों के लिए कहा है कि अकेले रहो और अकेले चलो। सारा संसार बच्चे का खेल मात्र है। – प्रचार करना, शिक्षा देना तथा सभी कुछ।
78. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांत आज हो या युग में, परंतु तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न होना।
79. अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि संगठन के बिना संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।
80. दुनिया में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि विपरीत परिस्थितियां आने पर उनका साहस टूट जाता है और वह भयभीत हो जाते हैं।
81. जिस क्षण मैंने ईश्वर को हर इंसान में बैठे महसूस किया है, उसी क्षण से में हर इंसान के सामने सम्मान से खड़ा होता हूँ और उनमे ईश्वर को देखता हूँ।
82. यदि अच्छी चीजें आएं तो उनका स्वागत है। यदि वो जाती हैं तो भी उनका स्वागत है। जाने दो! जब वह आती है, तो भी धन्य है जब जाती हैं तो भी धन्य है।
83. अभय हो! अपने अस्तित्व के कारक तत्व को समझो, उस पर विश्वास करो। भारत की चेतना उंसकी संस्कृति है। अभय होकर इस संस्कृति का प्रचार करो।
84. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
85. हमारे विचार चीजों को खूबसूरत या बदसूरत बनाते हैं। सारी दुनिया हमारे मन में ही है। इसलिए चीजों को नई रोशनी में सकारात्मकता से देखना सीखें।
86. यदि संसार में कहीं कोई पाप है तो वह है दुर्बलता। हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए। दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के समान है।
87. नेतृत्व करते समय सबके दास हो जाओ। निस्वार्थ हो और कभी एक दोस्त को पीठ पीछे दूसरे की निंदा करते मत सुनो। अनंतत: सफलता तुम्हारे हाथ लगेगी।
88. हमारे व्यक्तित्व की उत्पत्ति हमारे विचारों में है, इसलिए ध्यान रखें कि आप क्या विचारते हैं, शब्द गौण हैं विचार मुख्य हैं, और उनका असर दूर तक होता है।
89. मनुष्य जाति को इस प्रकार पुकारना है कि जागो, उठो और धैर्य की उपलब्धि के बिना रुको नहीं। यही एकमात्र कर्म है। त्याग ही धर्म का सार है और कुछ नहीं।
90. क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढतापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए।