Holi 2023: लट्ठमार होली से लेकर फूल वाली होली तक, देश भर में इस तरह मनाया जाता है ये रंगों का त्यौहार!

Holi 2023: हिन्दू परम्परा में होली मनाने के कई प्रकार हैं। आज हम आपको देश भर में मनाये जाने वाली होली की अनूठी परम्पराओं से आपको अवगत करवाएंगे।

Update:2023-03-08 06:50 IST

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

Holi 2023: होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। रंगों का ये त्यौहार सबसे लोकप्रिय वसंत उत्सवों में से एक है। जो लोगों को याद दिलाता है कि वो गिले-शिकवे छोड़कर आनंद और प्रेम फैलाने के लिए एक साथ आते हैं। जहाँ सभी ढोल की थाप पर नाचते हुए दोस्तों और परिवार के लोगों को रंग लगाने और पानी के छींटे मारने के लिए एक साथ आते हैं। वहीँ हिन्दू परम्परा में होली मनाने के कई प्रकार हैं। आज हम आपको देश भर में मनाये जाने वाली होली की अनूठी परम्पराओं से आपको अवगत करवाएंगे।

देशभर में मनाये जाने वाली होली की अनूठी परंपराएं

होली, हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा एक प्रसिद्ध भारतीय त्यौहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। जबकि पूरा देश वसंत उत्सव मनाता है, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी परंपराएं और दिन मनाने के विशेष तरीके हैं। इस साल होली 8 मार्च को मनाई जाएगी, लेकिन भगवान कृष्ण के बचपन के दिनों की भूमि वृंदावन में उत्सव शुरू हो चुका है।

होलिका दहन (Holika Dahan)

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

 पौराणिक मान्यताएं हैं कि होलिका दहन राक्षस राजा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका की कथा को याद करता है, जो भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को चिता में जलाने की कोशिश करते हुए भस्म हो गई थी। ये होली की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग हर साल होलिका दहन के दिन, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, पवित्र अलाव के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, भजन गाते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। आम धारणा है कि अलाव के सामने मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं। कहा जाता है कि अलाव हमें सभी नकारात्मकता से छुटकारा दिलाता है। होलिका दहन होली से एक दिन पहले शाम को सामूहिक अलाव के साथ मनाया जाता है।

लट्ठमार होली (Lathmar Holi)

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में देवी राधा की जन्मस्थली मानी जाने वाली बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। बरसाना में होली के उत्सव का नाम इस दिन को मनाने के अनोखे तरीके से रखा गया है। गाँव की महिलाएँ होली के अवसर पर पुरुषों को बड़ी-बड़ी लाठियों से पीटती हैं जिन्हें लाठी कहा जाता है। रंग और गुलाल की बौछार के बीच पुरुष लकड़ी की ढाल से अपना बचाव करते नज़र आते हैं। लट्ठमार होली में हर साल भारत और विदेश से लाखों लोग आते हैं।

डोल जात्रा (Dol Jatra)

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

 होली को पूर्वी भाग में डोल जात्रा के रूप में मनाया जाता है, मुख्यतः ओडिशा और पश्चिम बंगाल में ये त्यौहार भगवान कृष्ण की पूजा के साथ शुरू होता है, और भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों को झूलों पर रखा जाता है, भक्त उन्हें झूला झुलाने का मौका पाने की कोशिश करते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। लोग एक दूसरे के चेहरे पर लाल और गुलाबी रंग का पाउडर लगाते हैं जिसे 'अबीर' कहा जाता है। लोग पारंपरिक संगीत या लोक गीतों के साथ गाते हैं और नृत्य भी करते हैं। होली के सप्ताह में कई जगहों पर भगवान राधा-कृष्ण की मूर्तियों को पालकी में बिठाकर जुलूस भी निकाला जाता है।

वाराणसी में भस्म होली (Bhasm Holi)

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

भगवान विश्वनाथ की भूमि वाराणसी में चिता की राख से होली खेलने की अनोखी परंपरा है। इस होली की परंपरा संतों, अघोरियों और नागा साधुओं में अधिक प्रचलित है। जैसा कि नाम से पता चलता है, चिता भस्म होली या मसान होली, वाराणसी के श्मशान घाट में चिता की राख मलकर मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव इस दिन भस्म होली मनाने के लिए वाराणसी के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट श्मशान घाट पर आते हैं। अघोरी और नागा साधु भगवान विश्वनाथ को प्रणाम करने के लिए राख से होली खेलते हैं।

फूल वाली होली (Phool Wali Holi)

HOLI 2023 (Image Credit-Social Media)

 पवित्र शहर वृंदावन आने वाले पर्यटकों के बीच फूल वाली होली काफी लोकप्रिय है। होली के दिन से पहले फूल वाली होली मनाई जाती है। इस वर्ष पंचांग के अनुसार वृंदावन के प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में फूल वाली होली 3 मार्च को मनाई गयी। इस दिन मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों पर रंग-बिरंगे फूलों की पंखुड़ियां बरसाई गईं। और हर साल इसे ऐसे ही मनाया जाता है। 

Tags:    

Similar News