Vasant Panchami: वसन्त पंचमी का शौर्य, मत चूको चौहान

Prithviraj Chauhan Death Full Story: बसंत पंचमी वो ही दिन है, जब हिन्द शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान ने गौरी का वध करके अपने प्राण त्याग दिए थे।;

Newstrack :  Network
Update:2025-02-11 10:00 IST

Vasant Panchami (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Vasant Panchami: बसंत पंचमी, हिंदू धर्म का एक खास पर्व है। इसी दिन से बसंत ऋतु (Spring Season) की शुरुआत भी हो जाती है। वसंत पंचमी का दिन हिन्द शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। यहां पढ़ें बसंत पंचमी से जुड़ी ये दिलचस्प कहानी।

चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण,

ता उपर सुल्तान है, चूको मत चौहान।

वसंत पंचमी का दिन हमें हिन्द शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान (Shiromani Prithviraj Chauhan) की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी इस्लामिक आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया।

पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ बंदी बनाकर काबुल अफगानिस्तान ले गया और वहाँ उनकी आंखें फोड़ दीं। पृथ्वीराज का राजकवि- चंद्रवरदाई पृथ्वीराज से मिलने के लिए काबुल पहुंचे। वहां पर कैद खाने में पृथ्वीराज की दयनीय हालत देखकर चंद्रवरदाई के हृदय को गहरा आघात लगा और उसने गौरी से बदला लेने की योजना बनाई।

चंद्रवरदाई ने गौरी को बताया कि हमारे राजा एक प्रतापी सम्राट हैं। ये शब्दभेदी बाण, आवाज की दिशा में लक्ष्य को भेंदने, चलाने में पारंगत हैं, यदि आप चाहें तो इनके शब्दभेदी बाण से लोहे के सात तवे बेधने का प्रदर्शन आप स्वयं भी देख सकते हैं।

इस पर गौरी तैयार हो गया और उसके राज्य में सभी प्रमुख ओहदेदारों को इस कार्यक्रम को देखने हेतु आमंत्रित किया गया। पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पहले ही इस पूरे कार्यक्रम की गुप्त मंत्रणा कर ली थी कि उन्हें क्या करना है।

निश्चित तिथि को दरबार लगा और गौरी एक ऊंचे स्थान पर अपने मंत्रियों के साथ बैठ गया। चंद्रवरदाई के निर्देशानुसार, लोहे के सात बड़े-बड़े तवे निश्चित दिशा और दूरी पर लगवाए गए, चूँकि पृथ्वीराज की आँखें निकाल दी गई थीं और वे अंधे थे, अतः उनको कैद एवं बेड़ियों से आजाद कर बैठने के निश्चित स्थान पर लाया गया और उनके हाथों में धनुष बाण थमाया गया।

चंद्रवरदाई ने इस तरह पृथ्वीराज को किया अवगत

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इसके बाद चंद्रवरदाई ने, पृथ्वीराज के वीर गाथाओं का गुणगान करते हुए बिरूदावली गाई तथा गौरी के बैठने के स्थान को इस प्रकार चिन्हित कर पृथ्वीराज को अवगत करवाया-

चार बांस, चैबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण,

ता ऊपर सुल्तान है, चूको मत चौहान।

अर्थात् चार बांस, चैबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।

इस संदेश से पृथ्वीराज को गौरी की वास्तविक स्थिति का आंकलन हो गया, तब चंद्रवरदाई ने गौरी से कहा कि पृथ्वीराज आपके बंदी हैं, इसलिए आप इन्हें आदेश दें, तब ही यह आपकी आज्ञा प्राप्त कर अपने शब्द भेदी बाण का प्रदर्शन करेंगे।

इस पर ज्यों ही गौरी ने पृथ्वीराज को प्रदर्शन की आज्ञा का आदेश दिया, पृथ्वीराज को गौरी की दिशा मालूम हो गई और उन्होंने तुरन्त बिना एक पल की भी देरी किये अपने एक ही बाण से गौरी को मार गिराया।

गौरी उपर्युक्त कथित ऊंचाई से नीचे गिरा और उसके प्राण पखेरू उड़ गए। चारों और भगदड़ और हा-हाकार मच गया, इस बीच पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार एक-दूसरे को कटार मार कर अपने प्राण त्याग दिये। आत्मबलिदान की यह घटना भी 1192 ई. वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।

(साभार- फेसबुक/Rupesh Kumar Gupta)

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