Baba Harbhajan Singh Story: भारतीय सेना का वो जवान, जो शहादत के बाद भी निभा रहा है अपनी ड्यूटी! जानिए बाबा हरभजन सिंह की अनोखी कहानी
Baba Harbhajan Singh Ki Rahasyamai Kahani: बाबा हरभजन सिंह की रहस्यमय कहानी आज भी हमें हैरान कर देती है और गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।;
Baba Harbhajan Singh (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Mysterious Story Of Baba Harbhajan Singh: भारत के इतिहास में कई ऐसे वीर योद्धा हुए हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। ऐसे ही एक अमर वीर थे बाबा हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh), जो शहादत के बाद भी मातृभूमि की रक्षा करने वाले अनोखे सैनिक के रूप में पूजे जाते हैं। भारतीय सेना (Indian Army) में उनकी उपस्थिति सिर्फ एक नाम भर नहीं, बल्कि एक जिंदा आस्था है।
कहा जाता है कि शहादत के बाद भी उनकी आत्मा आज भी चीन सीमा पर पहरा देती है, सैनिकों को सतर्क करती है और राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। ड्यूटी के प्रति उनकी अटूट निष्ठा, रहस्यमयी किंवदंतियाँ और असाधारण सम्मान उन्हें भारतीय सेना के इतिहास में अमर बना देते हैं। बाबा हरभजन सिंह केवल एक सैनिक नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और बलिदान की जीवंत मिसाल हैं, जिनकी गाथा आज भी हर भारतीय के दिल में गर्व और श्रद्धा जगाती है।
प्रारंभिक जीवन और सेना में भर्ती (Harbhajan Singh Biography In Hindi)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) का जन्म 30 अगस्त, 1946 को (अब पाकिस्तान में) गुजरांवाला, पंजाब, ब्रिटिश भारत (Gujranwala, Punjab, British India) में हुआ था। वह एक साधारण परिवार से थे और शुरू से ही राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत थे। शिक्षा पूरी होने के बाद, 9 फरवरी 1966 को उन्होंने भारतीय सेना में 23वीं पंजाब (Punjab) रेजिमेंट में एक सैनिक के रूप में शामिल हुए। वे एक अनुशासित, मेहनती और ईमानदार जवान थे, जो अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाते थे।
रहस्यमयी मृत्यु (Mysterious Death)
हरभजन सिंह की पोस्टिंग भारत-चीन सीमा (India-China Border) पर सिक्किम (Sikkim) में थी। यह क्षेत्र अत्यधिक ठंडा, दुर्गम और खतरनाक माना जाता है। 4 अक्टूबर 1968 को, एक दिन जब वे अपने कुछ साथियों के साथ एक महत्वपूर्ण सामान की आपूर्ति करने जा रहे थे, वे रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए। जब काफी समय तक उनका कोई पता नहीं चला, तो सेना ने उनकी खोजबीन शुरू की।
तीन दिन बाद, सेना के जवानों को उनका शरीर एक तेज बहाव वाली जलधारा में मिला। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, फिसलकर गिरने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी। हालांकि, इसके बाद जो घटनाएँ घटीं, उन्होंने सभी को अचंभित कर दिया।
बाबा हरभजन सिंह की चमत्कारी उपस्थिति (Harbhajan Singh Miraculous Presence)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
कहा जाता है कि हरभजन सिंह अपने एक साथी सैनिक के सपने में आए और उन्होंने अपनी मृत्यु की सच्चाई बताते हुए यह संकेत दिया कि उनकी समाधि एक विशेष स्थान पर बनाई जाए। जब यह बात वरिष्ठ अधिकारियों को बताई गई, तो उन्होंने इसे केवल एक संयोग माना, लेकिन जब कई सैनिकों ने इसी तरह के अनुभव साझा किए, तो सेना ने इसे गंभीरता से लिया।
उनकी इच्छानुसार, उनकी समाधि उसी स्थान पर बनाई गई जहाँ उनका निधन हुआ था। इसके बाद से ही, भारतीय सैनिकों ने उन्हें ‘बाबा हरभजन सिंह’ (Baba Harbhajan Singh) के रूप में मानना शुरू कर दिया और उनकी समाधि पर श्रद्धा प्रकट करने लगे। कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक, बाबा हरभजन सिंह की आत्मा वहाँ मौजूद रहती है और भारतीय सैनिकों की सुरक्षा करती है।
सैनिकों की रक्षा और अदृश्य गश्त (Harbhajan Singh Invisible Patrol)
भारतीय सैनिकों का मानना है कि बाबा हरभजन सिंह आज भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। कई बार सैनिकों ने यह अनुभव किया है कि कोई अदृश्य शक्ति उनकी सहायता कर रही है।
चीन के सैनिकों की मान्यता: यह कहा जाता है कि भारत-चीन सीमा पर तैनात चीनी सैनिक भी बाबा हरभजन सिंह की शक्ति को मानते हैं। चीन और भारत के बीच जब भी फ्लैग मीटिंग होती है, तो चीनी अधिकारी विशेष रूप से बाबा हरभजन की कुर्सी खाली रखते हैं।
रहस्यमयी गश्त: ऐसा माना जाता है कि बाबा हरभजन सिंह आज भी भारत-चीन सीमा पर गश्त करते हैं और सैनिकों को दुश्मनों की हर गतिविधि से पहले ही सतर्क कर देते हैं। कई बार सैनिकों को उनके बूटों के निशान और अन्य अदृश्य संकेत मिले हैं। कई जवानों ने उनके दर्शन की बात कही है, और कहा जाता है कि उनके संकेतों के कारण कई बार भारतीय सेना ने संभावित खतरों को टालने में सफलता पाई है।
चमत्कारी भविष्यवाणियाँ: कई जवानों ने यह दावा किया है कि बाबा हरभजन सिंह ने उन्हें सपनों में आकर संभावित खतरों के बारे में पहले ही आगाह कर दिया, जिससे सैनिक समय रहते सतर्क हो सके।
बाबा हरभजन सिंह का मंदिर (Temple of Baba Harbhajan Singh)
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बाबा हरभजन सिंह की समाधि सिक्किम के नाथूला पास के पास स्थित है, जो ‘बाबा हरभजन सिंह मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारतीय सेना और स्थानीय लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ हर दिन भारतीय सैनिक बाबा को सलामी देते हैं और उनका पूरा सम्मान करते हैं।
सेना द्वारा मंदिर की देखभाल: इस मंदिर की देखभाल भारतीय सेना द्वारा की जाती है और यहाँ हर रोज़ पूजा-अर्चना की जाती है।
सैनिकों की आस्था: सैनिकों का मानना है कि बाबा हरभजन सिंह की कृपा से उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी साहस और सुरक्षा प्राप्त होती है।
एक विशेष परंपरा: बाबा हरभजन सिंह के नाम से हर साल 15 सितंबर को एक विशेष समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें भारतीय सेना के जवान उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
छुट्टी पर जाने की परंपरा (Unique Tradition Followed by Army)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
माना जाता है कि उनकी आत्मा आज भी सेना के साथ रहकर सीमा की सुरक्षा करती है, और इसी विश्वास के चलते उन्हें हर वर्ष 21 सितंबर से 15 अक्टूबर तक 'छुट्टी' दी जाती है। इस दौरान, उनकी वर्दी, बूट और अन्य आवश्यक सामान एक विशेष गाड़ी में रखकर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गाँव कपूरथला- पंजाब (Kapurthala) भेजा जाता है। भारतीय सेना (Indian Army) इस परंपरा को पूरी श्रद्धा और अनुशासन के साथ निभाती है।