Motivational Story: जीवन में उलझन क्यों हैं?
Motivational Story: तुम्हारा रस काम में नही है, आज में नहीं है, कल में है, परिणाम में है, भविष्य में है
Motivational Story: क्योंकि तुम जो भी काम करते हो उसमें रस नहीं लेते। सारे काम तुम करते हो- धन के लिए, इच्छाओं की पूर्ति हेतु ( वासना के लिए ), पद और प्रतिष्ठा के लिये।काम के लिए काम करते ही नहीं।काम में रस ही नही है तुमको।तुमको आज में रस ही नहीं आता।तुम्हारा रस है कल में- धन में, पद में, प्रतिष्ठा में, जो आज नहीं मिलने वाला है।कल मिलेगा।भविष्य में जीते हो तुम।भविष्य में रस है तुम्हें।तो आज कहाँ से आनंद को उपलब्ध होंगे? तुम अपने काम में रस नहीं लेते जीवन में रस कहाँ से आएगा? जीवन नीरस हो जाएगा।जीवन बोरिंग हो जाएगा।काम में रस नहीं है फिर भी करना मजबूरी है।तुम्हारा रस काम में नहीं है - तुम्हे रस है काम के परिणाम में।
तुम्हे रस है काम के फल में - धन पद प्रतिष्ठा में।भगवद्गीता में श्री कृष्ण इसीलिये कहते हैं-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
अर्थात् तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं।इसलिए तू कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो।इसलिए उलझन होगी।इसीलिए उलझन होती है।तुम्हारा रस काम में नही है, आज में नहीं है।कल में है, परिणाम में है, भविष्य में है।और भविष्य कभी आता नहीं।आएगा तो आज के रूप में ही आएगा।लेकिन इसी में जीवन उलझ जाता है।उलझ जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं है।या तो काम में रस पैदा करो।या वही करो जिसमें रस हो आपका।यही मात्र दो तरीके हैं - जीवन को रसपूर्ण बनाने का।उलझन बेचैनी अवसाद बोरियत आदि से मुक्त होने का।
( लेखक धर्म व अध्यात्म के अध्येता एवं भोजन प्रसाद प्रकल्प के संयोजक हैं।)