World Braille Day 2025: विश्व ब्रेल दिवस का इतिहास, महत्व व मनाने का तरीक़ा
World Braille Day 2025: अपने स्कूल के दौरान, लुई ब्रेल ने सेना में उपयोग की जाने वाली एक कूटलिपि प्रणाली के बारे में सीखा। यह प्रणाली सैनिकों को अंधेरे में संदेश पढ़ने में मदद करती थी।;
World Braille Day 2025: विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन नेत्रहीनों और दृष्टिहीन व्यक्तियों की शिक्षा, अधिकार और उनकी विशेष भाषा ‘ब्रेल लिपि’ ( Braille lipi)के महत्व को रेखांकित करने के लिए समर्पित है। ब्रेल लिपि ने दृष्टिहीन व्यक्तियों को सशक्त बनाया है। उनके लिए पढ़ाई, कामकाज, और स्वतंत्र जीवन जीने की राह आसान की है। यह दिन लुई ब्रेल की जन्मतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था।
लुई ब्रेल (Lui Braille)का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रांस के एक छोटे से गांव कुप्रे में हुआ। उनके पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोड़ों के लिए काठी और जीन बनाने का काम करते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद तंग थी, जिसके कारण लुई ब्रेल तीन साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ काम में हाथ बंटाने लगे।
दुर्घटना और दृष्टिहीनता
तीन साल की उम्र में एक दुर्घटना में उनकी एक आंख में चाकू घुस गया, जिससे उनकी दृष्टि बाधित हो गई। समय पर उचित इलाज न हो पाने के कारण, धीरे-धीरे उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी जाती रही और आठ साल की उम्र में वे पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए।लुई ब्रेल ने अपनी शारीरिक सीमाओं के बावजूद हार नहीं मानी।
उन्होंने नेत्रहीनों के लिए विशेष स्कूल में दाखिला लिया।वहां शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी रुचि और प्रतिभा को विकसित किया।
ब्रेल लिपि (Braille LIPI)का आविष्कार
अपने स्कूल के दौरान, लुई ब्रेल ने सेना में उपयोग की जाने वाली एक कूटलिपि प्रणाली के बारे में सीखा। यह प्रणाली सैनिकों को अंधेरे में संदेश पढ़ने में मदद करती थी।
इसने लुई को प्रेरित किया कि नेत्रहीनों के लिए भी एक सरल और प्रभावी प्रणाली बनाई जा सकती है।
ब्रेल लिपि की रचना
1824 में, मात्र 15 वर्ष की आयु में, लुई ब्रेल ने एक ऐसी लिपि विकसित की जो नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में मदद कर सकती थी। यह प्रणाली उभरे हुए बिंदुओं पर आधारित थी, जिन्हें उंगलियों से महसूस किया जा सकता था। इसे बाद में ब्रेल लिपि के नाम से जाना गया।ब्रेल लिपि उभरे हुए बिंदुओं (डॉट्स) के समूहों पर आधारित है।इन बिंदुओं को 'सेल' कहा जाता है, जिसमें कुल छह बिंदु होते हैं।प्रत्येक बिंदु का स्थान एक अक्षर, संख्या, या विशेष चिह्न को दर्शाता है।
वास्तव में, 1844 में, इसे पेरिस में नेत्रहीन युवाओं के संस्थान में प्रदर्शित किया गया था। इसे 1878 में पेरिस में कांग्रेस द्वारा दृष्टि बाधित लोगों के लिए लिखने की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के रूप में अपनाया गया था।
अमेरिका ने 1917 में ब्रेल मानक को अपनाया, जिसका प्रयोग बाद में अंग्रेजी-भाषी देशों द्वारा किया जाने लगा। आज, ब्रेल का प्रयोग विश्व भर में कई भाषाओं में व्यापक रूप से किया जाता है।संगठन और प्रौद्योगिकी, ब्रेल और स्पर्शनीय ग्राफिक्स प्रदान करने वाली प्रौद्योगिकी को उन्नत करने पर काम करना जारी रखे हुए हैं।
ब्रेलराइटर टाइपराइटर जैसी मशीन है, जो ब्रेल लिपि लिखने में मदद करती है।स्टायलस और स्लेट पारंपरिक उपकरण हैं, जो ब्रेल लिपि को लिखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। आज, ब्रेल लिपि डिजिटल उपकरणों में भी उपयोग की जा रही है। मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल डिवाइस ब्रेल डिस्प्ले की सहायता से नेत्रहीनों को उपयोग के लिए सुलभ बनाए जा रहे हैं।
विश्व ब्रेल दिवस की स्थापना
संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्वभर में लगभग 39 मिलियन लोग पूरी तरह दृष्टिहीन हैं।करीब 253 मिलियन लोग किसी न किसी दृष्टि विकार से पीड़ित हैं।नेत्रहीनों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और ब्रेल लिपि के महत्व को रेखांकित करने के लिए, 6 नवंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया।
विश्व ब्रेल दिवस का मुख्य उद्देश्य दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके लिए समावेशी समाज का निर्माण करना है। यह दिन ब्रेल लिपि के महत्व को रेखांकित करता है। नेत्रहीनों की शिक्षा और रोजगार में इसकी भूमिका को उजागर करता है। ब्रेल लिपि दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए एक स्वतंत्र जीवन जीने का माध्यम है। यह उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सहभागिता के समान अवसर प्रदान करती है।विश्व ब्रेल दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों, जैसे ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ और ‘असमानताओं को कम करना’ को प्राप्त करने में सहायक है।
विश्व ब्रेल दिवस कैसे मनाया जाता है
विभिन्न स्कूलों और संस्थानों में ब्रेल लिपि पर कार्यशालाएं और प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। ब्रेल लिपि की पुस्तकों और उपकरणों की प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं।दृष्टिहीन व्यक्तियों को ब्रेल लिपि सिखाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाते हैं।मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से ब्रेल लिपि के महत्व पर जोर दिया जाता है।
इस दिन नई ब्रेल तकनीकों और उपकरणों को प्रदर्शित किया जाता है।डिजिटल प्लेटफार्मों पर ब्रेल लिपि को लागू करने के प्रयासों पर जोर दिया जाता है।
ब्रेल लिपि और आधुनिक युग
आज ब्रेल डिस्प्ले उपकरणों का उपयोग कंप्यूटर और मोबाइल फोन के साथ किया जाता है।डिजिटल पुस्तकें अब ब्रेल लिपि में भी उपलब्ध हैं।ब्रेल लिपि ने नेत्रहीन छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल होने का मौका दिया है। यह उन्हें स्वतंत्र रूप से पढ़ाई करने और अपनी क्षमताओं को विकसित करने में मदद करती है।ब्रेल लिपि दृष्टिहीन व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है। इसका उपयोग कई पेशों में किया जाता है, जैसे कि टेलीफोन ऑपरेटर, अनुवादक और शिक्षक।
ब्रेल लिपि की चुनौतियां और समाधान
कई क्षेत्रों में ब्रेल लिपि के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी है।ब्रेल लिपि की किताबें और उपकरण कई देशों में उपलब्ध नहीं हैं। डिजिटल उपकरणों में ब्रेल लिपि के उपयोग के लिए अधिक संसाधन और निवेश की आवश्यकता है।
सरकारों को ब्रेल लिपि को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और कार्यक्रम लागू करने चाहिए।समाज को दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों और आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए।तकनीकी नवाचारों के माध्यम से ब्रेल लिपि को और अधिक सुलभ और उपयोगी बनाया जा सकता है।
भारत में ब्रेल लिपि का महत्व
भारत में कई संस्थान दृष्टिहीन छात्रों के लिए ब्रेल लिपि में शिक्षण सामग्री प्रदान करते हैं। ब्रेल लिपि दृष्टिहीन व्यक्तियों को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोजगार पाने में मदद करती है।भारत सरकार ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें ब्रेल लिपि को बढ़ावा दिया गया है।
लुई ब्रेल का आविष्कार न केवल नेत्रहीनों की शिक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और समान अवसर प्रदान करता है।आज, ब्रेल लिपि ने दुनिया भर में दृष्टिहीन व्यक्तियों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। यह लिपि उनकी शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक सहभागिता का अभिन्न हिस्सा बन गई है।
विश्व ब्रेल दिवस का महत्व
ब्रेल दिवस केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों, उनकी आवश्यकताओं और उनके योगदान को समझने और सम्मानित करने का एक अवसर है। ब्रेल लिपि ने नेत्रहीनों को शिक्षा, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार प्रदान किया है। इस दिन का उद्देश्य समाज को उनके प्रति संवेदनशील बनाना और उनकी समस्याओं को समझना है।
लुई ब्रेल, जिनका नाम नेत्रहीनों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है, ने ऐसी लिपि का आविष्कार किया जो नेत्रहीनों के लिए वरदान साबित हुई। उनकी कहानी साहस, समर्पण और नवीनता का प्रतीक है। हर साल 4 जनवरी को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है, ताकि उनके योगदान को याद किया जा सके और दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।