World Theatre Day History: वर्ल्ड थिएटर डे (विश्व रंगमंच दिवस)कैसे मनाया जाता है, क्या है इसका महत्व

World Theatre Day History: र्ल्ड थिएटर डे की शुरुआत 1961 में फ्रांस के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) द्वारा की गई थी।;

Update:2025-03-26 15:53 IST

World Theatre Day History 

World Theatre Day History: वर्ल्ड थिएटर डे हर साल 27 मार्च को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।इसका उद्देश्य रंगमंच कला को बढ़ावा देना और समाज में इसकी भूमिका को उजागर करना है।यह दिवस 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) द्वारा घोषित किया गया था।इस दिन विश्वभर में थिएटर से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन होता है, जैसे – नाटक प्रदर्शन, संगोष्ठी और रंगमंच पर चर्चाएं।हर साल एक प्रसिद्ध नाटककार या कलाकार द्वारा एक ‘वर्ल्ड थिएटर डे मैसेज’ जारी किया जाता है, जो इस दिवस का मुख्य आकर्षण होता है।

वर्ल्ड थिएटर डे का इतिहास

वर्ल्ड थिएटर डे की शुरुआत 1961 में फ्रांस के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) द्वारा की गई थी।ITI की स्थापना 1948 में हुई थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न देशों में थिएटर को बढ़ावा देना था।पहला विश्व रंगमंच दिवस 1962 में मनाया गया था।फ्रांस के प्रसिद्ध नाटककार जीन कोक्टो ने पहला ‘थिएटर डे मैसेज’ लिखा था।इस पहल का मुख्य उद्देश्य थिएटर को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाना था।


थिएटर का महत्व

थिएटर समाज का दर्पण होता है, जो समाज में व्याप्त कुरीतियों, सामाजिक मुद्दों और मानव जीवन की विभिन्न भावनाओं को प्रदर्शित करता है।यह एक प्रभावी माध्यम है, जो मनोरंजन के साथ-साथ जागरूकता भी फैलाता है।थिएटर:सांस्कृतिक संरक्षण में मदद करता है।लोगों में समावेशिता और सहिष्णुता का भाव पैदा करता है।सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लोगों तक पहुंचाने का प्रभावशाली जरिया है।भाषा, साहित्य और कला के संरक्षण में योगदान देता है।

रंगमंच के प्रमुख रूप

थिएटर को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. प्राचीन रंगमंच - प्राचीन रंगमंच की उत्पत्ति धार्मिक अनुष्ठानों से हुई थी।ग्रीक थिएटर सबसे पुराना माना जाता है।इसमें मुख्यतः देवताओं, मिथकों और नायकों की कहानियों का मंचन होता था।भारत में संस्कृत रंगमंच प्राचीन थिएटर का उदाहरण है।

2. आधुनिक रंगमंच - आधुनिक रंगमंच में यथार्थवादी और प्रयोगात्मक नाटक प्रमुख हैं।इसमें सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत मुद्दों को मंचित किया जाता है।आधुनिक थिएटर में लाइटिंग, म्यूजिक, और विशेष प्रभावों का उपयोग होता है।

3. क्षेत्रीय और लोक रंगमंच - भारत में क्षेत्रीय स्तर पर लोक रंगमंच की अलग-अलग परंपराएं हैं:

4 - उत्तर भारत – नौटंकी, रामलीला, और स्वांग।


महाराष्ट्र – तमाशा।

गुजरात – भवाई।

कर्नाटक – यक्षगान।

बंगाल – जात्रा।

5. विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य - थिएटर कलाकारों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाना।नाटक और रंगमंच के माध्यम से समाज को जागरूक करना।सांस्कृतिक विविधता और कला को बढ़ावा देना।थिएटर कलाकारों की समस्याओं पर चर्चा करना।नाट्यकला में नए प्रयोग और तकनीकों को शामिल करना।

6. थिएटर के विकास में प्रसिद्ध नाटककारों का योगदान - थिएटर के विकास में विभिन्न नाटककारों का अहम योगदान रहा है:

विलियम शेक्सपियर – अंग्रेजी थिएटर के जनक माने जाते हैं। उनके प्रसिद्ध नाटक: ‘हेमलेट’, ओथेलो’, मैकबेथ’।

आर्थर मिलर – अमेरिकी रंगमंच के प्रमुख नाटककार, ‘डेथ ऑफ ए सेल्समैन’ के लिए प्रसिद्ध।


बर्टोल्ट ब्रेख्त – जर्मन नाटककार, जिन्होंने एपिक थिएटर को लोकप्रिय बनाया।

गिरिश कर्नाड – भारतीय नाटककार, जिन्होंने कन्नड़ भाषा में थिएटर को नई पहचान दी।

हबीब तनवीर – भारतीय रंगमंच को लोक संस्कृति से जोड़ने वाले प्रसिद्ध नाटककार।

7. भारत में रंगमंच का इतिहास - भारत में रंगमंच का इतिहास संस्कृत नाट्यकला से जुड़ा है।भारत में प्राचीन थिएटर का उल्लेख ‘नाट्यशास्त्र’ में मिलता है, जिसे भरत मुनि ने लिखा था।

प्रमुख नाटककार:कालिदास – ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ और ‘मेघदूत’ जैसे प्रसिद्ध नाटक लिखे।भवभूति – ‘उत्तररामचरित’ और ‘मालती-माधव’ जैसे नाटकों के लिए प्रसिद्ध।आधुनिक युग में थिएटर का विकास भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ।

प्रसिद्ध रंगमंच समूह:इप्टा (IPTA) – इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन, जो सामाजिक मुद्दों को मंचित करता है।राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) – नई दिल्ली स्थित, रंगमंच को बढ़ावा देने वाली प्रमुख संस्था।

8. भारतीय थिएटर के प्रमुख कलाकार - गिरिश कर्नाड – कन्नड़ थिएटर में महत्वपूर्ण योगदान।

हबीब तनवीर – छत्तीसगढ़ी लोक रंगमंच को आधुनिक थिएटर से जोड़ा।

शंकर नाग – कन्नड़ थिएटर के प्रसिद्ध कलाकार।

प्रो. रतन थियाम – मणिपुरी थिएटर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

9. रंगमंच के समक्ष चुनौतियां - वित्तीय संकट: थिएटर को सरकारी सहायता और वित्तीय सहयोग की कमी है।

प्रचार की कमी: थिएटर को फिल्मों की तुलना में कम प्रचार और दर्शक मिलते हैं।

तकनीकी चुनौती: डिजिटल युग में थिएटर की लोकप्रियता में गिरावट आई है।

प्रतिभा की कमी: थिएटर में नए और युवा कलाकारों की संख्या कम हो रही है।

10. रंगमंच का भविष्य और संभावनाएं

डिजिटल युग में थिएटर को नए माध्यमों से जोड़ने की आवश्यकता है।

थिएटर में ऑनलाइन मंचन और वर्चुअल थिएटर की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

सरकार द्वारा अधिक प्रोत्साहन देने से थिएटर को नई ऊर्जा मिल सकती है।

वर्ल्ड थिएटर डे रंगमंच कला को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है।यह न केवल कला को संजोने का मंच है, बल्कि समाज को जागरूक करने का माध्यम भी है।थिएटर को संरक्षण और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, ताकि यह कला रूप अपनी गरिमा बनाए रखे।समाज के हर वर्ग को थिएटर से जुड़कर इसकी समृद्धि और विविधता को बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए।

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