Lok Sabha Election:महाराष्ट्र में चार नेताओं का सियासी भविष्य तय करेगा चुनाव, उद्धव, शिंदे, शरद और अजित की साख दांव पर
Lok Sabha Election 2024: शिवसेना में बगावत के बाद दो गुट बन चुके हैं। एक गुट की अगुवाई मुख्यमंत्री शिंदे के हाथों में है जबकि दूसरे गुट की अगुवाई उद्धव ठाकरे कर रहे हैं।
Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद पूरे देश में प्रचार अभियान तेज हो गया है। महाराष्ट्र में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोर आजमाइश के लिए नेताओं ने कमर कस ली है। महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में इस बार चार दिग्गज नेताओं का सियासी भविष्य तय होने वाला है। ये चारों नेता सियासत में अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और लोकसभा चुनाव के नतीजे इनकी ताकत का संकेत देंगे।
शिवसेना में बगावत के बाद दो गुट बन चुके हैं। एक गुट की अगुवाई मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों में है जबकि दूसरे गुट की अगुवाई पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। इसी तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी दो फाड़ हो चुकी है। एक गुट की कमान दिग्गज नेता शरद पवार के हाथों में है जबकि दूसरे गुट की अगुवाई अजित पवार कर रहे हैं। दोनों राजनीतिक दलों में टूट के बाद यह पहला चुनाव हो रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे इन नेताओं की सियासी ताकत का फैसला करेंगे।
शिंदे ने दिया था उद्धव को झटका
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार की अगुवाई उद्धव ठाकरे के हाथों में थी मगर शिवसेना में हुई टूट के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बगावत की अगुवाई करने वाले एकनाथ शिंदे ने भाजपा से हाथ मिलाकर राज्य में नई सरकार का गठन किया था। भाजपा ऐसे मौके की ताक में थी और इसीलिए भाजपा ने तुरंत समर्थन देकर मुख्यमंत्री पद पर शिंदे की ताजपोशी करा दी थी।
उद्धव और शिंदे के लिए चुनाव नतीजे होंगे अहम
अब शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली शिवसेना की मान्यता मिल चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) की अगुवाई कर रहे हैं मगर वे शिवसेना का चुनाव निशान भी गंवा बैठे हैं। शिंदे भाजपा और अजित पवार गुट के साथ मिलकर चुनाव मैदान में कूदे हैं जबकि उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ मिलकर अपनी ताकत दिखाएंगे।
उद्धव ठाकरे समय-समय पर कहते रहे हैं कि जनता की अदालत में ही इस बात का फैसला होगा कि असली शिवसेना कौन है। उनका कहना है कि दलबदल के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने वाले शिंदे को चुनाव में अपनी ताकत का पता चल जाएगा। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं।
शरद पवार और अजित की होगी अग्निपरीक्षा
शिवसेना की तरह एनसीपी में भी दो गुट बन चुके हैं। एनसीपी की स्थापना शरद पवार ने की थी मगर पिछले साल उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत करके उनको करारा झटका दिया था। बगावत के बाद अजित पवार ने भाजपा और शिंदे गुट से हाथ मिला लिया था और राज्य में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। शरद पवार को यह बात कही कचोटने वाली थी कि उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक भी अजित पवार गुट में शामिल हो गए थे। बाद में शरद पवार को उस समय भी करारा झटका लगा था जब एनसीपी का मूल नाम और चुनाव निशान भी उनसे छिन गया था। अब लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों गुट अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे हैं।
शरद पवार के लिए चुनौती काफी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि उन्हें यह साबित करना है कि जनता की अदालत में अभी भी उनकी अगुवाई वाली एनसीपी को ही समर्थन हासिल है। सियासी जानकारों का मानना है कि यह लोकसभा चुनाव शरद पवार के लिए वजूद की आखिरी जंग साबित हो सकता है।
बारामती में शरद के वजूद की लड़ाई
पवार फैमिली का गढ़ माने जाने वाले बारामती लोकसभा क्षेत्र में भी इस बार दिलचस्प जंग होगी। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले इस लोकसभा सीट से तीन बार की सांसद हैं और शरद पवार ने एक बार फिर उन्हें इस सीट से ही चुनाव मैदान में उतारा है।
बारामती में सुप्रिया सुले को चुनौती देते हुए डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
अजित पवार की पत्नी के चुनाव लड़ने के कारण पिछले तीन चुनावों में आराम से जीत हासिल करने वाली सुप्रिया सुले कड़े मुकाबले में फंस गई हैं। इस चुनाव के दौरान शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की ताकत की अग्निपरीक्षा होने वाली है। अगर बारामती के चुनाव में शरद पवार को शिकस्त मिली तो निश्चित रूप से उनका सबकुछ खत्म हो जाएगा। उनके बेटी के सियासी भविष्य पर भी सवालिया निशान लग सकता है।
विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा बड़ा असर
महाराष्ट्र का लोकसभा चुनाव भी इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे का विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ना तय माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजे से ही महाराष्ट्र के इन सियासी दिग्गजों और उनके राजनीतिक दलों की ताकत का संकेत मिलेगा।
लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना इन सियासी दिग्गजों के लिए इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है ताकि वे अपने गुट को एकजुट रख सके और विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों को लेकर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकें। सियासी जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र के चार सियासी दिग्गजों उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे शरद पवार और अजित पवार के सियासी भविष्य का फैसला करेंगे। लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाला नेता ही अपना सियासी वजूद बचाए रखने में कामयाब हो सकेगा।