Loksabha Election 2024: अकबरपुर लोकसभा सीट पर सपा और बसपा ने किया भाजपा के विजयरथ को रोकने की तैयारी, जाने समीकरण

Loksabha Election 2024 Akbarpur Seats Details: यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती यहां से सांसद रह चुकी हैं। कभी बसपा के गढ़ वाले अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने 2014 में पहली बार कमल खिलाया था।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update:2024-05-16 14:48 IST

Lok Sabha Election 2024: गंगा और यमुना के बीच में बसा अकबरपुर लोकसभा सीट की अपनी अलग राजनीतिक महता है। कानपुर देहात की खुद की कोई लोकसभा सीट नहीं हैं। कानपुर देहात की चारों विधानसभा सींटे जालौन, इटावा, कन्नौज और अकबरपुर में बंटी हुईं हैं। 2008 में परिसीमन के बाद कानपुर देहात और कानपुर नगर की विधानसभा सीटों को जोड़कर अकबरपुर लोकसभा सीट का गठन किया गया था। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती यहां से सांसद चुनी जा चुकी हैं। कभी बसपा के गढ़ वाले अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने 2014 में पहली बार कमल खिलाया था।

तब से यह सीट भाजपा के खाते में है। इस बार भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले यहां हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि सपा की ओर से पूर्व सांसद राजाराम पाल चुनावी मैदान में हैं। वहीं बसपा ने राजेश द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो इस सीट पर 14 उम्मीदवार मैदान में थे। यहां दिलचस्प मुकाबला भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले और सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार निशा सचान के बीच हुआ था। देवेंद्र सिंह भोले ने निशा सचान को 2,75,142 वोट से हराकर दूसरी बार जीत हासिल की थी। इस चुनाव में देवेंद्र सिंह भोले को 5,81,282 और निशा सचान को 3,06,140 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रहे राजाराम पाल को 1,08,341 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले ने बसपा के अनिल शुक्ला वारसी को 2,78,997 वोट से हराकर यह सीट भाजपा के खाते में डाला था। इस चुनाव में भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले को 4,81,584 और अनिल शुक्ला वारसी को 2,02,587 वोट मिले थे। जबकि सपा के लाल सिंह तोमर को 1,47,002 और कांग्रेस के राजाराम पाल को 96,827 वोट मिले थे।


Akbarpur Vishan Sabha Chunav 2022




Akbarpur Lok Sabha Chunav 2014


Akbarpur Vidhan Sabha 2017 Details


यहां जानें अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के बारे में

  • अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 44 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 2009 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन कानपुर देहात जिले के रनियां और कानपुर नगर जिले के बिठूर, कल्यानपुर, महाराजपुर व घाटमपुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • अकबरपुर लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर अपना दल (एस) का कब्जा है।
  • यहां कुल 17,66,121 मतदाता हैं। जिनमें से 8,01,333 पुरुष और 9,64,683 महिला मतदाता हैं।
  • अकबरपुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,26,633 यानी 58.13 प्रतिशत मतदान हुआ था।

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

अकबरपुर लोकसभा सीट का मुगल शासक अकबर से नाता रहा है। करीब 150 साल पहले इस परगना को पहले अकबरपुर, शाहपुर और अकबरपुर बीरबल के नाम से जाना जाता था। कानपुर की एक रपट माउण्टगोमरी ने लिखी थी जिसके अनुसार पहले शाहपुर का नाम था गुड़ईखेड़ा बताया जाता है। अकबर के दौर में रिसालदार कुंवरसिंह ने इस नए कस्बे का निर्माण कराया था। इसी गुड़ईखेड़ा को बाद में अकबरपुर कर दिया गया। यहीं पर जहानाबाद के नवाब अल्मास अली खान के आमिल शीतल शुक्ल ने 1563 में एक प्रसिद्ध तालाब बनवाया था। आगे चलकर 1857 के गदर में इसी शुक्ल तालाब के पास के एक नीम का पेड़ पर अंग्रेजों ने 7 लोगों को फांसी दे दी थी। अकबरपुर का कानपुर देहात जिला मुख्यालय है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पैतृक घर यहीं के डेरापुर इलाके में है। धार्मिक इतिहास से भी ये लोकसभा अपना रिश्ता रखती है। घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में बने मुक्ता देवी मंदिर भी आस्था का एक केंद्र माना जाता है।

अकबरपुर पहले था बिल्लौर लोकसभा सीट

अकबरपुर लोकसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन से पहले बिल्लौर सीट हुआ करता था। बिल्लौर लोकसभा सीट पर 1962 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के पन्ना लाल को जीत दर्ज की। 1967 में यह सीट रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में चली गई और रामजी राम सांसद बने। फिर 1971 में रामजी राम कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। देश में लगे इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर मंगल देव विषारद सांसद बने। फिर 1980 में भी जनता पार्टी (एस) के टिकट पर मंगलदेव विशारद सांसद बने। लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कराए गए चुनाव में कांग्रेस को सहानुभूति लहर का फायदा मिला और यह सीट फिर से उनके कब्जे में आ गई। राम प्यारे सुमन सांसद चुने गए। 1989 और 1991 के चुनाव में जनता दल के राम अवध ने जीत हासिल की। 1996 के चुनाव में बसपा की यहां पर जीत के साथ एंट्री हुई और उनके उम्मीदवार घनश्याम चंद्र खरवार को जीत मिली। इसके बाद 1998 के चुनाव में मायावती ने यहां पर अपनी उम्मीदवारी पेश की और जीत हासिल की. इसके बाद मायावती ने 1999 और 2004 के चुनाव में भी लगातार जीत हासिल कर शानदार हैट्रिक लगाई. हालांकि 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद जीत हासिल की और राजाराम पाल यहां से बने।

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण

अकबरपुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सामान्य वर्ग के 5,50,000 मतदाता हैं। ओबीसी मतदाता की बात करें तो 6,70,000 हैं। जबकि 4,50,000 संख्या एससी मतदाता की है और आखिर में 125000 मुस्लिम मतदाता हैं. जिसके चलते इस लोकसभा सीट पर ओबीसी, अल्पसंखयक और एससी मतदाताओं की भूमिका अहम बताई जाती है। यही मतदाता लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ा केंद्र रहता है।

यहां के चुनावी मुद्दे

अकबरपुर लोकसभा सीट में आने वाला क्षेत्र आज भी नाली-खंडजा, सड़क, पानी, बेराजगारी और किसानों समस्याओं से जुझ रहा है। यूपीए के कार्यकाल में शुरू हुआ 1980 मेगावाट का नवेली पावर प्लांट अभी भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है। इसके साथ ही कानपुर और कानपुर देहात वासियों को नए एयरपोर्ट टर्मिनल की सौगात जरूर मिल गई है। कानपुर में रिंगरोड का निमार्ण कराया जा रहा है। इसके साथ ही डिफेंस कॉरीडोर का कार्य तेजी से चल रहा है।

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से पन्नालाल 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • रिपब्लिक पार्टी ऑफ़ इंडिया से आर.जे.राम 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से रामजी राम 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय लोकदल से मंगल देव विषारद 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी (एस) से राम अवध 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से राम प्यारे सुमन 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से राम अवध 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से घनश्याम चन्द्र 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से मायावती 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • बसपा से त्रिभुवन दत्त 2002 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से शंखलाल मांझी 2004 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से मायावती 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • कांग्रेस से राजाराम पाल 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से देवेंद्र सिंह भोले 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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