Loksabha Election 2024: प्रयागराज लोकसभा पर कई दिग्गजों ने चखा हार और जीत का स्वाद, जानें यहां का समीकरण

Prayagraj Loksabha: इस सीट ने लाल बहादुर शास्त्री के रूप में देश को प्रधानमंत्री दिया। यह क्षेत्र पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह और समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र जैसे कई दिग्गजों की कर्मभूमि भी रही है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update:2024-05-09 14:00 IST

Lok Sabha Election 2024: कुंभ नगरी के नाम से प्रख्यात प्रयागराज यानी की इलाहाबाद लोकसभा सीट देश की चुनिंदा सीटों में से एक है। कभी यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। यह शहर कांग्रेस के इतिहास से भी गहरा संबंध रखता है। इस सीट ने लाल बहादुर शास्त्री के रूप में देश को प्रधानमंत्री दिया है। इसके अलावा यह क्षेत्र पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह और समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र जैसे कई दिग्गज नेताओं की कर्मभूमि भी रही है।

इलाहाबाद लोकसभा सीट से कई अन्य दिग्गजों ने भी अपनी किस्मत आजमाई, किसी को यहां की जनता ने सिर आंखों पर बैठाया तो किसी को हार का स्वाद भी चखाया है। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। इस बार भाजपा ने वर्तमान सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और यूपी के विधानसभा अध्यक्ष रहे पं. केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी को चुनावी रण में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने सियासत के महारथी रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल रमण को उतारकर कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है। वहीं बसपा ने पिछड़ा वर्ग के वोटबैंक को साधने के लिए रमेश पटेल को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां लड़ाई त्रिकोणीय है।

Allhabad Loksabha Chunav 2019




उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022




Allhabad Loksabha Chunav 2014


अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ भाजपा में आईं रीता बहुगुणा जोशी ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे राजेंद्र सिंह पटेल को 1,84,275 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में रीता बहुगुणा जोशी को 4,94,454 और राजेंद्र सिंह पटेल को 3,10,179 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के योगेश शुक्ला को महज 31,953 वोट ही मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा ने दिग्गज व्यवसायी श्यामाचरण गुप्ता को चुनावी रण में उतारा। उन्होंने सपा के वर्तमान सांसद रहे कुंवर रेवती रमण सिंह को 62,009 वोट से हराकर दस साल बाद यह सीट दुबारा भाजपा के खाते में डाल दी। इस चुनाव में श्यामाचरण गुप्ता को 3,13,772 और कुंवर रेवती रमण सिंह को 2,51,763 वोट मिले थे। जबकि बसपा के केशरी देवी पटेल को 1,62,073 और उस दौरान कांग्रेस में रहे नंद गोपाल गुप्ता नंदी को 1,02,453 वोट मिले थे।

यहां जानें इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र के बारे में

  • इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 52 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन प्रयागराज जिले के मेजा, करछना, प्रयागराज दक्षिण, बारा और कोरांव विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • इलाहाबाद लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और एक-एक पर अपना दल (सोनेलाल) व सपा का कब्जा है।
  • यहां कुल 17,16,160 मतदाता हैं। जिनमें से 7,75,850 पुरुष और 9,40,120 महिला मतदाता हैं।
  • इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 8,89,553 यानी 51.83 प्रतिशत मतदान हुआ था। 

इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती (गुप्त) नदियों का मिलन होता है। इसीलिए इसे त्रिवेणी संगम कहते हैं। प्रयागराज हिंदुओं के लिए यह बेहद पवित्र स्थल माना जाता है। प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।” अर्थात प्रयागराज में प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है। मान्यता के अनुसार, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूरा होने के बाद अपना पहला यज्ञ यहीं पर किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग यानी यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना है। जिस जगह पर ब्रह्मा ने सृष्टि का पहला यज्ञ किया था उसका नाम प्रयाग पड़ा। इस धार्मिक स्थली के अधिष्ठाता भगवान विष्णु खुद हैं और वे यहां माधव रूप में विराजमान हैं।

विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ की देश की चार स्थलियों में से प्रयागराज एक है, शेष तीन स्थल हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं। यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है। यह क्षेत्र प्रयाग सोम, वरूण और प्रजापति की जन्मस्थली रही है। प्रयाग का वर्णन वैदिक तथा बौद्ध शास्त्रों के पौराणिक पात्रों के सन्दर्भ में भी रहा है। इसके अलावा यह क्षेत्र महान ऋषि भारद्वाज, दुर्वासा और पन्ना की भी ज्ञानस्थली रही है। ऋषि भारद्वाज यहां लगभग 5000 ई०पू० में निवास करते थे। उस दौरान 10,000 से अधिक शिष्यों को पढ़ाया भी करते थे। वे प्राचीन विश्व के महान दार्शनिक भी थें। साल 1575 में इस जगह के सामरिक महत्व को देखते हुए मुगल बादशाह अकबर ने इसे ‘इलाहाबास’ (आज प्रयागराज) कर दिया, जिसका अर्थ अल्लाह का शहर है। लंबे समय के लिए यह शहर मुगलों की प्रांतीय राजधानी हुआ करती थी। लेकिन बाद में यह मराठाओं के कब्जे में आ गया। यह शहर शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाता है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चौथा सबसे पुराना यूनिवर्सिटी है।

इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 1984 के बाद नहीं मिली कांग्रेस को सफलता

इलाहाबाद लोकसभा सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव और 3 उपचुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज़्यादा यानी की 7 बार जीत दर्ज की है। जबकि भाजपा ने 5 बार ही जीत दर्ज की है। इस सीट पर लाल बहादुर शास्त्री, हेमवती नंदन बहुगुणा, मुरली मनोहर जोशी और जनेश्वर मिश्र जैसे दिग्गज नेता चुनाव लड़कर संसद पहुंचे और अपनी अलग विचारधारा और कार्यों को लेकर आज भी याद किए जाते हैं। सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन भी इलाहाबाद का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आजादी के बाद 1952 में हुए चुनाव में इस सीट पर स्वतंत्रता सेनानी रहे श्रीप्रकाश कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर पहले सांसद बने। लेकिन कुछ ही समय बाद श्रीप्रकाश को मद्रास का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

तब खाली सीट पर हुए उपचुनाव में पुरुषोत्तम दास टंडन को जीत मिली। फिर इस सीट का 1957 से 1962 तक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने संसद में प्रतिनिधित्व किया। 1967 में हरि कृष्ण शास्त्री और फिर 1971 में हेमवती नंदन बहुगुणा ने यहां जीत दर्ज की। इमरजेंसी के बाद 1977 में यहां कांग्रेस का वर्चस्व जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले जनेश्वर मिश्र ने ढहाया। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ प्रताप सिंह को करीब 90 हजार वोट से हराया, जिन्हें राजा मंडा के नाम से भी जाना जाता था। फिर 1980 के चुनाव में वीपी सिंह ने जीत दर्ज की। लेकिन 1981 में यह पर कराए गए उपचुनाव में कांग्रेस के कृष्ण प्रकाश तिवारी सांसद बने।

अमिताभ बच्चन बनें सांसद फिर लिया राजनीति से संन्यास 

1984 में कांग्रेस ने फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन को टिकट दिया। उनके सामने लोकदल से हेमवती नंदन बहुगुणा उम्मीदवार थे। बहुगुणा ने कांग्रेस में रहते हुए इस क्षेत्र के विकास के लिए कई बड़े काम किए थे, लेकिन अमिताभ बच्चन के स्टारडम के आगे उनकी राजनीतिक हैसियत छोटी पड़ गई। अमिताभ ने 1.88 लाख वोट से जीत हासिल की, जो इस इस सीट पर जीत का सबसे बड़ा आंकड़ा है। बाद में बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद अमिताभ ने राजनीति से संन्यास ले लिया। 1988 में हुए उपचुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के सुनील शास्त्री को करीब 1.10 लाख वोटों से शिकस्त दी। 1989 के चुनाव में जनता दल उम्मीदवार और छोटे लोहिया के रूप में मशहूर जनेश्वर मिश्र ने कांग्रेस की कमला बहुगुणा को करीब 39 हजार वोटों से हराया। 1991 में हुए आम चुनाव में यह सीट फिर जनता दल को मिली। जनता दल की सरोज दुबे ने भाजपा के उम्मीदवार श्यामा चरण गुप्ता को करीब 5000 वोट से शिकस्त दी।

1996 के बाद भाजपा और सपा को मिली सफलता

इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 1996 में भाजपा का खाता खुला। इस चुनाव में इलाहाबाद में अब तक का सबसे कम मात्र 37.10% मतदान प्रतिशत भी दर्ज किया गया। कम मतदान के बाद भी भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने जनता दल की सरोज दुबे को एक लाख से अधिक मतों से हराया। इस चुनाव में डॉ. जोशी व सरोज दुबे समेत कुल 73 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। बता दें कि इलाहाबाद लोकसभा सीट पर अब तक सबसे अधिक उम्मीदवार इसी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। इनमें 62 उम्मीदवार निर्दल थे और 58 निर्दल उम्मीदवार एक हजार से भी कम वोट पाकर सिमट गए थे। 1998 और 1999 में भी डॉ. जोशी ने यहां से संसद पहुंचकर जीत की हैट्रिक लगाई। लेकिन 2004 के चुनाव में यह सीट सपा के कुंवर रेवती रमण सिंह ने भाजपा के डॉ. जोशी को हराकर छीन ली। हार का अंतर तो लगभग 28,000 वोट का ही था, लेकिन इसके बाद डॉ. जोशी ने इलाहाबाद की राजनीति से लगभग संन्यास ही ले लिया। डॉ. जोशी के इस सीट से हटने के बाद सपा ने 2009 में भी यहां परचम फहराया।

इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण मतदाता हमेशा निर्णायक रहे हैं। इसके बाद पटेल, बनिया, कायस्थ और मुस्लिम मतदाता उम्मीदवारों की जीत तय करते हैं। बता दें कि कुर्मी और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 2 लाख से अधिक और ढाई लाख से अधिक दलित मतदाता हैं। सवा लाख यादव मतदाता और 2 लाख मुस्लिम मतादाता भी हैं।

इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से श्रीप्रकाश 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से पुरूषोत्तम दास टंडन 1952 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से लाल बहादुर शास्त्री 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से हरि कृष्ण शास्त्री 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से हेमवती नंदन बहुगुणा 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से जनेश्वर मिश्र 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस (आई) से विश्वनाथ प्रताप सिंह 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस (आई) से कृष्ण प्रकाश तिवारी 1980 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अमिताभ बच्चन 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल विश्वनाथ प्रताप सिंह 1988 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से जनेश्वर मिश्र 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से सरोज दुबे 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।
  • भाजपा से मुरली मनोहर जोशी 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से रेवती रमण सिंह 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से श्यामा चरण गुप्ता 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से रीता बहुगुणा जोशी 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।
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