Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह की बड़ी जीत के हैं बड़े मायने

Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह का चुनाव अभियान भी अलग तरह का रहा। उनके चुनाव अभियान से खालिस्तान शब्द गायब रहा और मुख्य रूप से फोकस नशा मुक्ति और सिख कैदियों की रिहाई पर रहा।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-05 12:08 GMT

असम की जेल में एनएसए के तहत बंद अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत लिया: Photo- Social Media

Amritpal Singh: असम की जेल में एनएसए के तहत बंद अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत लिया है। अमृतपाल सिंह की जीत न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके 41 सहयोगियों के लिए भी राहत की सांस लेकर आई है, जो पंजाब और असम की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। अमृतपाल की जीत चौंकाने वाली रही है क्योंकि कुछ समय पहले लगता था कि लोग उसे भूल चुके हैं लेकिन उसने 1,97,120 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।

14 महीने से भी कम समय पहले खालिस्तान समर्थक "वारिस पंजाब दे" संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह एक वांछित भगोड़ा था। लेकिन अब निर्वाचित जन प्रतिनिधि है।

चुनाव अभियान

अमृतपाल सिंह का चुनाव अभियान भी अलग तरह का रहा। उनके चुनाव अभियान से खालिस्तान शब्द गायब रहा और मुख्य रूप से फोकस नशा मुक्ति और सिख कैदियों की रिहाई पर रहा। अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर के अनुसार खडूर साहिब से चुनाव लड़ने का फैसला भी संगत ने ही लिया था और आगे के विधानसभा चुनाव के बारे में भी सांगत ही फैसला करेगी।

बीते 25 अप्रैल को अमृतपाल सिंह ने कई लोगों को चौंका दिया था जब उसने 2,700 किलोमीटर दूर असम की डिब्रूगढ़ की जेल में बैठकर खडूर साहिब सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। वारिस पंजाब दे के गुरमीत सिंह, पप्पलप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरजीत सिंह, बसंत सिंह, भगवंत सिंह, सरबजीत सिंह कलसी, गुरिंदर पाल सिंह और सरबजीत सिंह को भी डिब्रूगढ़ की जेल में बंद किया गया है। समूह के बत्तीस अन्य लोग कपूरथला, लुधियाना और अमृतसर की जेलों में बंद हैं।

पुलिस स्टेशन पर हमले के बाद कार्रवाई

पंजाब पुलिस ने कार्रवाई तब की जब पिछले साल 23 फरवरी को अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों ने कथित तौर पर बैरिकेड तोड़कर अमृतसर के अजनाला कस्बे में पुलिस स्टेशन में घुसकर अपने एक सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान की रिहाई की मांग को लेकर पुलिस से भिड़ंत की। इसके बाद काफी मशक्कत के बाद अमृतपाल को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उनके माता-पिता ने पूरे साल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया लेकिन अमृतपाल सिंह को कोई ख़ास समर्थन नहीं मिला। कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल (बादल) को छोड़कर, अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों की रिहाई के अभियान को बहुत कम समर्थन मिला। अमृतपाल सिंह के माता-पिता ने सिखों के सभी पांच तख्तों पर प्रार्थना की। उन्होंने आमरण अनशन भी किया लेकिन यह सरकार को हिला नहीं सका।

हालांकि, प्रत्यक्ष समर्थन अमृतपाल सिंह के माता-पिता की कल्पना से कहीं अधिक उदार तरीके से आया। चुनाव प्रचार शुरू होते ही ‘आप’ पार्टी के उम्मीदवारों को अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों की हिरासत को लेकर जनता के सवालों का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिनमें आप उम्मीदवारों से अमृतपाल सिंह की हिरासत के बारे में सवाल पूछे गए।

लोकसभा चुनाव लड़ने की योजना की घोषणा करते ही अमृतपाल सिंह के लिए समर्थन स्पष्ट रूप से दिखने लगा। उनके माता-पिता ने उनका चुनाव अभियान चलाया और लोग, खासकर युवा उनके साथ जुड़ गए। हालांकि, खालिस्तान शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया और चुनाव अभियान ड्रग्स की समस्या और अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों की रिहाई की मांग पर केंद्रित रखा गया। अमृतपाल सिंह के माता-पिता ने खालिस्तान का जिक्र तक करने से परहेज किया। साथ ही, अमृतपाल सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान जेल से कोई भड़काऊ बयान नहीं दिया।

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