जीत की हैट्रिक लगाने वाले पर कैसे भारी पड़े रामायण के राम, मेरठ से Arun Govil का क्या है नाता और क्या है संभावनाएं

Arun Govil: भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मेरठ में जीत की हैट्रिक लगाने वाले राजेंद्र अग्रवाल पर तरजीह देते हुए अरुण गोविल के नाम पर मुहर लगाई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-03-26 11:23 IST

Arun Govil  (photo: social media )

Arun Govil: भारतीय जनता पार्टी ने रविवार की देर रात उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है,उनमें मेरठ लोकसभा क्षेत्र से अरुण गोविल का नाम भी शामिल है। रामानंद सागर के बहुचर्चित सीरियल रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल का नाम काफी दिनों से चर्चाओं में था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मेरठ में जीत की हैट्रिक लगाने वाले राजेंद्र अग्रवाल पर तरजीह देते हुए अरुण गोविल के नाम पर मुहर लगाई है।

दरअसल भाजपा नेतृत्व ने इसके जरिए अपने धार्मिक एजेंडे को मजबूत बनाने के साथ ही मेरठ से अरुण गोविल के नजदीकी रिश्ते को भुनाने का प्रयास भी किया है। इसके साथ ही जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि अरुण गोविल भी अग्रवाल ही हैं। भाजपा के स्थानीय नेता राजेंद्र अग्रवाल के पक्ष में दिख रहे थे मगर उम्र उनके आड़े आ गई और भाजपा नेतृत्व को अरुण गोविल के जरिए मेरठ में अच्छी चुनावी संभावनाएं नजर आईं। अरुण गोविल की छवि को पार्टी अन्य सीटों पर भी भुनाने की कोशिश करेगी।

जीत की हैट्रिक लगाने वाले का कटा टिकट

राजेंद्र अग्रवाल की बदौलत ही भाजपा 2009 में मेरठ लोकसभा सीट बसपा से छीनने में कामयाब हुई थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में मेरठ में बसपा के शाहिद अखलाक ने जीत हासिल की थी। 2009 में भाजपा ने इस सीट पर प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रह चुके राजेंद्र अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा था।

2009 के लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दी थी।

2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर राजेंद्र अग्रवाल पर ही भरोसा जताया और उन्होंने इस बार भी विपक्षी दलों को हराने में कामयाबी हासिल की।

2019 के लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करते हुए राजेंद्र अग्रवाल ने हैट्रिक लगाई थी। हालांकि 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन के कारण राजेंद्र अग्रवाल करीब पांच हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सके थे।

इस बार इस सीट पर पहले से ही अरुण गोविल और कुमार विश्वास के नाम की चर्चाएं थीं और आखिरकार पार्टी नेतृत्व ने राजेंद्र अग्रवाल के दावेदारी को नकारते हुए अरुण गोविल के नाम पर मुहर लगा दी।


अरुण गोविल का मेरठ से नजदीकी रिश्ता

अरुण गोविल के नाम पर मुहर लगाने में भाजपा ने मेरठ से उनके नजदीकी रिश्ते का भी ख्याल रखा है। अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1952 को मेरठ के अग्रवाल परिवार में हुआ था। उनके पिता चंद्र प्रकाश गोविल मेरठ नगर निगम के जलकल विभाग में इंजीनियर थे जबकि उनकी मां शारदा देवी गृहणी थीं। अरुण गोविल की पूरी पढ़ाई मेरठ कॉलेज और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पूरी हुई है।


जब अरुण गोविल ने लिया मुश्किल फैसला

मेरठ में लंबा समय बिताने के बाद अभिनय की दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने के लिए अरुण गोविल मुंबई चले गए थे। मुंबई में लंबे समय तक वे अपने बड़े भाई विजय गोविल के साथ रहे जिनका अच्छा बिजनेस था।

अरुण गोविल के पास अपने भाई के बिजनेस में हाथ बंटाने का आसान रास्ता था मगर उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने का मुश्किल फैसला लिया।

उन्होंने अपनी भाभी तबस्सुम की तरह कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया। हालांकि इसके लिए उन्हें तमाम कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा।


रामायण ने बदल दी किस्मत

बॉलीवुड की दुनिया में तबस्सुम का नाम काफी जाना-पहचाना है। हालांकि तबस्सुम की वजह से अभिनय की दुनिया में अरुण गोविल को ज्यादा फायदा नहीं मिल सका।

वे अभिनय और कला के क्षेत्र में अपना योगदान देने की कोशिश में जुटे हुए थे मगर रामानंद सागर के बहुचर्चित सीरियल रामायण में उनकी किस्मत ही बदल कर रख दी।

वैसे उन्होंने 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया मगर उन्हें असली प्रसिद्धि रामायण सीरियल के जरिए ही मिली।


सीरियल ने दिलाई देश-दुनिया में प्रसिद्धि

टीवी सीरियल रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने के बाद अरुण गोविल केवल देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में चर्चित हो गए। रामायण के प्रसारण के समय देशभर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसी स्थिति दिखा करती थी और पूरा देश भक्ति भाव में डूबा नजर आता था।

यही कारण था कि इस टीवी सीरियल के प्रसारण के बाद अरुण गोविल भगवान राम के नाम से चर्चित हो गए। आज भी उनका चेहरा इसी रूप में जाना पहचाना जाता है।


भाजपा की सोची-समझी रणनीति

मेरठ लोकसभा क्षेत्र से अरुण गोविल को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है सियासी जानकारों का मानना है कि जीत की हैट्रिक लगाने वाले राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटने के बावजूद अरुण गोविल के जरिए भाजपा मेरठ के अलावा कई अन्य सीटों पर भी सियासी फायदा उठा सकती है।

सियासी समीकरण साधने की कोशिश

अरुण गोविल को चुनाव मैदान में उतारने के साथ भाजपा ने अपने धार्मिक एजेंडे को भी मजबूत बनाया है। हाल ही में अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर का उद्घाटन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर के उद्घाटन को भाजपा बिगशो बनाने में कामयाब हुई थी। अब भाजपा की ओर से भगवान राम के रूप में चर्चित अरुण गोविल को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतार दिया गया है।

अयोध्या में मंदिर के उद्घाटन के मौके पर अरुण गोविल भी अयोध्या में मौजूद थे। माना जा रहा है कि अरुण गोविल के जरिए भाजपा न केवल मेरठ है बल्कि कई अन्य सीटों पर सियासी समीकरण साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

जानकारों का मानना है कि पार्टी को इस काम में बड़ी कामयाबी भी हासिल हो सकती है।

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