मुरादाबाद में एसटी हसन के लिए महंगी पड़ी आजम की नाराजगी, 2019 में दिलवाया तो 2024 में कटवा दिया टिकट
Lok Sabha Election 2024: सीतापुर जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान के बिगड़े मुड़ के कारण सपा का शीर्ष नेतृत्व भी काफी हलकान दिखा।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की पहले चरण की दो सीटों मुरादाबाद और रामपुर में नामांकन के आखिरी दिन तक सपा प्रत्याशियों को लेकर घमासान की स्थिति बनी रही। सीतापुर जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान के बिगड़े मुड़ के कारण सपा का शीर्ष नेतृत्व भी काफी हलकान दिखा। आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में तो नामांकन के खत्म होने के 15 मिनट पहले तक प्रत्याशियों को लेकर खींचतान की स्थिति बनी रही।
नामांकन के आखिरी दिन तक मुरादाबाद में भी सपा प्रत्याशी को लेकर स्थिति साफ नहीं हो सकी थी। पहले एसटी हसन ने सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया मगर आखिरी दिन बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा सपा प्रत्याशी बन गईं और पार्टी ने उन्हें टिकट देने का ऐलान कर दिया। मजे की बात यह है कि आजम खान के दबाव के कारण ही 2019 में मुरादाबाद सीट से एसटी हसन को टिकट मिला था और इस बार आजम खान के दबाव की वजह से ही उनका टिकट कट गया। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या कारण थे कि आजम खान ने मुरादाबाद से एसटी हसन का टिकट कटवा कर अपनी करीबी रुचि वीरा को सपा का सिंबल दिलवा दिया।
आजम की पैरवी पर ही मिला था हसन को टिकट
यदि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो समाजवादी पार्टी ने उस चुनाव में मीट कारोबारी नासिर कुरैशी को मुरादाबाद से अपना प्रत्याशी घोषित किया था। नासिर कुरैशी को सपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद आजम खान इस बात पर अड़ गए थे कि कुरैशी का टिकट काटकर एसटी हसन को चुनाव मैदान में उतारा जाना चाहिए।
उस समय हसन को आजम खान का करीबी माना जाता था और आजम खान ने उनके टिकट के लिए अखिलेश यादव पर पूरा दबाव बना दिया था।
आजम खान के दबाव की वजह से ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नासिर कुरैशी का टिकट काटकर एसटी हसन को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया था। समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद इस मुस्लिम बहुल सीट पर एसटी हसन जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे।
आजम के जेल जाने पर बिगड़ गए थे रिश्ते
2019 के लोकसभा चुनाव के समय आजम खान समाजवादी पार्टी में काफी मजबूत स्थिति में थे। इसलिए उनके दबाव ने रंग दिखाया था। हालांकि इसके बाद धीरे-धीरे उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती गईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने रामपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी मगर बाद में यह सीट भी उनके हाथ से निकल गई और 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने इस सीट पर जीत हासिल की।
आजम खान के जेल जाने के बाद एसटी हसन के साथ आजम खान के रिश्तों में पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रही। धीरे-धीरे दोनों के रिश्ते लगातार बिगड़ते चले गए।
हसन ने आजम खान के समर्थन में दो-चार बयान जरूर जारी किए मगर उन्होंने आजम खान के लिए मजबूत लड़ाई लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। यही कारण था कि आजम खान की गुड बुक से एसटी हसन का नाम कट गया और आजम खान मौके की ताक में लगे रहे।
अखिलेश पर आजम खान ने बनाया दबाव
पिछले दिनों सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जब आजम खान से सीतापुर जेल जाकर मुलाकात की तो आजम खान ने रामपुर और मुरादाबाद दोनों सीटों को लेकर अपनी बात रखी।
रामपुर लोकसभा सीट के लिए उनका कहना था कि इस सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव को खुद चुनाव मैदान में उतरना चाहिए ताकि सपा कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो सके और भाजपा को कड़ा जवाब दिया जा सके।
दूसरी ओर मुरादाबाद लोकसभा सीट को लेकर भी उन्होंने बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को टिकट देने का दबाव बनाया।
हालांकि सपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से एसटी हसन का नाम प्रत्याशी के रूप में घोषित किया जा चुका था मगर आजम खान को हसन का नाम कतई मंजूर नहीं था। मुरादाबाद लोकसभा सीट के समीकरण सपा के अनुकूल माने जाते हैं और आजम खान का कहना था कि इस सीट पर रुचि वीरा को चुनाव मैदान में उतारा जाना चाहिए।
नामांकन करने के बाद भी कट गया टिकट
आखिरकार आजम खान के दबाव ने रंग दिखा दिया। एसटी हसन मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर चुके थे मगर नामांकन के आखिरी दिन बुधवार को रुचि वीरा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया।
नामांकन के लिए पहुंचने पर मीडिया के सवालों के जवाब में रुचि वीरा का कहना था कि मुझे पार्टी का सिंबल मिल चुका है और मैं ही मुरादाबाद से सपा की अधिकृत प्रत्याशी हूं।
बाद में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी स्पष्ट कर दिया कि एसटी हसन का टिकट काटकर मुरादाबाद लोकसभा सीट से रुचि वीरा को चुनाव मैदान में उतार दिया गया है। इससे पूर्व रामपुर में आजम खान के समर्थकों ने जिस तरह चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया था, उससे सपा नेतृत्व भी काफी दबाव में नजर आया। सपा अपने सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे की नाराजगी का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी और यही कारण था कि आजम खान के न मानने पर आखिरकार एसटी हसन का टिकट काट दिया गया।
इस तरह एसटी हसन के लिए आजम खान की नाराजगी काफी महंगी पड़ी और उन्हें अपने टिकट से हाथ धोना पड़ा जबकि बिजनौर से जुड़ी होने के बावजूद रुचि वीरा टिकट पाने में कामयाब हो गईं।