Loksabha Election 2024: सपा के गढ़ बदायूं लोकसभा सीट पर क्या इस बार भी खिलेगा कमल? जानें समीकरण
Loksabha Election 2024 Badaun Seats Details: बदायूं समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही है। बदायूं लोकसभा सीट से सपा ने शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने दुर्विजय सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है। अब यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
Loksabha Election 2024: यूपी के बदायूं में चुनावी माहौल गरमाने लगा है। बदायूं समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। बदायूं लोकसभा सीट से सपा ने शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उन्होंने खुद चुनाव लड़कर अपने बेटे को मैदान में उतारने का मन बनाया था। जिसके सपा ने आदित्य यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जबकि भाजपा ने दुर्विजय सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने मुस्लिम खां को चुनावी रण में उतारा है। यहां की वर्तमान भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य को अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति के चलते इस बार टिकट नहीं मिला है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र यादव और मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यहां के 50 प्रतिशत मतदाता इन्हीं 2 समुदाय के हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने सपा का गढ़ कहे जाने वाले बदायूं में दो दशक बाद भगवा लहराया था। स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और भाजपा की उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य ने सपा के धर्मेंद्र यादव को बेहद कड़े मुकाबले में हराया था। इस चुनाव में संघमित्रा मौर्य को 5,11,352 वोट मिले थे, जबकि कड़ी चुनौती पेश करने वाले धर्मेंद्र यादव के खाते में 4,92,898 वोट आए। संघमित्रा मे महज 18,454 वोट से चुनाव में जीत हासिल की थी। कांग्रेस के सलीम इकबाल शेरवानी 51,947 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान सपा के धर्मेंद्र यादव ने भाजपा के वागिश पाठक को 1,66,347 वोट से हराकर अपना दूर्ग बचाने में कामयाब रहे। इस चुनाव में धर्मेंद्र यादव को 4,98,378 और वागिश पाठक को 3,32,031 मिले थे। जबकि बसपा के अकमल खान (चमन) को 1,56,973 वोट मिले थे।
यहां जानें बदायूं लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- बदायूं लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 23 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- बदायूं लोकसभा क्षेत्र का गठन बदायूं जिले के बिसौली, सहसवान , बिल्सी व बदायूं और संभल जिले के गुन्नौर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- बदायूं लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर सपा और 2 पर भाजपा के विधायक हैं।
- बदायूं लोकसभा क्षेत्र में कुल 18,91,576 मतदाता हैं। जिनमें से 8,64,283 पुरुष और 10,27,197 महिला मतदाता हैं।
- बदायूं लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,81,474 यानी 57.17 प्रतिशत मतदान हुआ था।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
बदायूं यूपी के मशहूर ऐतिहासिक और धार्मिक शहरों में से एक है। बदायूं को छोटे सरकार और बड़े सरकार की प्रसिद्ध दरगाह की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है। रुहेलखंड क्षेत्र के बीच में होने की वजह से यह इलाके का दिल कहलाता है। मुख्य पर्यटन स्थल नहीं होते हुए भी हर साल यहां लाखों सैलानी जियारत के लिए आते हैं। इल्तुतमिश के शासन के दौरान बदायूं 4 साल तक उसकी राजधानी रहा। प्राचीन शिलालेख के आधार पर प्रोफेसर गोटी जॉन का दावा है कि बदायूं का पुराना नाम बेदामूथ था। ये शिलालेख पत्थर लिपियों पर लिखे गए और लखनऊ म्यूजियम में संरक्षित हैं। इतिहासकारों का दावा है कि राजा अशोक ने यहां बुद्ध विहार और किला बनवाया। इसे बदायूं का किला कहा जाता है। जॉर्ज स्मिथ के अनुसार बदायूं का नाम अहीर राजकुमार बुद्ध के नाम पर रखा गया था। पश्चिमी यूपी के प्रमुख लोकसभा सीटों में से एक बदायूं कई मायनों में खूब चर्चित रहा है। आजादी के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता बदन सिंह जीते और सांसद बने। 1957 में भी कांग्रेस को जीत हासिल की। लेकिन 1962 के चुनाव में भारतीय जन संघ ने इस सीट पर कब्जा किया।
अगले चुनाव में भी जनसंघ का कब्जा रहा। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की। वर्ष 1977 में भारतीय लोक दल इस सीट पर जीती। 1980 और 1984 में यह सीट कांग्रेस की झोली में आयी। वर्ष 1989 में बदायूं से जनता दल के शरद यादव को सांसद चुना गया। देश में चल रहे राम लहर के बीच 1991 में कराए गए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार यहां अपना खाता खोला। लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर स्वामी चिन्मयानन्द ने जीत हासिल की। वर्ष 1996 से लेकर 2014 तक इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा। लेकिन 2019 में भाजपा ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा जमाया।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण
बदायूं की साक्षरता दर देश की औसत साक्षरता दर से बहुत कम 51.29 प्रतिशत है। यह शहर देश के 250 सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां यादव मतदाता की संख्या करीब 4,00,000 है। जबकि इतना ही संख्या मुस्लिम मतदाता की भी है। वहीं करीब 2,50,000 के करीब गैर यादव ओबीसी मतदाता भी हैं। इसके अलावा वैश्य और ब्राह्मण मतदाता के साथ-साथ अनुसूचित जाति के भी मतदाता भी मजबूत स्थिति में हैं। बता दें कि इस सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन 2019 में सपा का खेल बिगड़ गया था, और जीत भाजपा को मिली थी। पिछली हार से सबक लेते हुए सपा इस बार मुस्लिम-यादव योजना के साथ-साथ पीडीए को भी साध रही है। ऐसे में यहां भाजपा को इस बार कमल खिलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
कांग्रेस से बदन सिंह 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस से रघुबीर सहाय 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भारतीय जन संघ से ओंकार सिंह 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस से करण सिंह यादव 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भारतीय लोक दल से ओंकार सिंह 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस(इ) से मो. असरार अहमद 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
कांग्रेस से सलीम इकबाल शेरवानी 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
जनता दल से शरद यादव 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भाजपा से स्वामी चिन्मयानंद 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
सपा से सलीम इकबाल शेरवानी 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
सपा से धर्मेंद्र यादव 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
भाजपा से संघमित्रा मौर्य 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।