Loksabha Election 2024: बहराइच लोकसभा सीट रहा है केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की कर्मभूमि, जानें समीकरण

Loksabha Election 2024 Bahraich Seats Details: यहां से रफी अहमद किदवई 1952 में हुए चुनाव में पहले सांसद बने। जब देश में अन्न का संकट था तो रफी अहमद किदवई खाद्य मंत्री बने। उस समय माना जा रहा था कि यह विभाग उनके लिए संकट खड़ा करेगा। लेकिन उन्होंने अपने निर्णयों से काफी प्रशंसा हासिल की।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-04-30 14:12 GMT

Lok Sabha Election Bahraich Seats Parliament Constituency Details 

Lok Sabha Election 2024: लखनऊ से 125 किमी की दूरी पर स्थित बहराइच जिले की सीमा नेपाल देश को छूती है। सुरक्षित लोकसभा सीटों में शामिल बहराइच पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने वर्तमान सांसद अक्षयबर लाल का टिकट काटकर उनके बेटे आनंद गोंड को उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने रमेश गौतम को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने बृजेश कुमार सोनकर पर दांव लगाया है। मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने पर है तो विपक्ष 10 साल के बाद यहां पर फिर से जीत हासिल करना चाहता है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के अक्षयवर लाल ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे शब्बीर अहमद को 1,28,752 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में अक्षयवर लाल को 525,982 और शब्बीर अहमद को 3,97,230 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के सवित्री बाई फुले को 34,454 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के सवित्री बाई फुले ने सपा के शब्बीर अहमद को 95,645 वोट से हराकर एक दशक बाद इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में सवित्री बाई फुले को 4,32,392 और शब्बीर अहमद को 3,36,747 वोट मिले थे। जबकि बसपा के डॉ विजय कुमार को 96,904 और कांग्रेस के कमल किशोर को 24,421 वोट मिले थे।


Bahraich Vidhan Sabha Chunav 2022


Bahraich Lok Sabha Chunav 2014


यहां जानें बहराइच लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Bahraich Seats Parliament Constituency Details)

  • बहराइच लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 56 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन बहराइच जिले के बलहा, नानपारा, महसी, बहराइच सदर, और मटेरा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • बहराइच लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और एक-एक पर सपा व अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है।
  • यहां कुल 17,29,908 मतदाता हैं। जिनमें से 8,09,983 पुरुष और 9,19,810 महिला मतदाता हैं।
  • बहराइच लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 9,90,143 यानी 57.24 प्रतिशत मतदान हुआ था।

बहराइच लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Bahraich Seats Political History)

बहराइच की प्राचीन शहरों में गिनती होती है। इसकी खासियत यहां के घने जंगल और तेजी से बहने वाली नदियां हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह क्षेत्र भगवान ब्रह्मा की राजधानी हुआ करता था और यह ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में प्रसिद्ध था। यह इलाका गंधर्व वन के हिस्से में पड़ता है आज भी उत्तर का इलाका बहुत बड़े क्षेत्र में जंगल से ढंका हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस वन क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं के लिए तैयार किया था। इसलिए इस स्थान को ‘ब्रह्माच’ के रूप में भी जानते हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मध्य युग में यह क्षेत्र ‘भर’ राजवंश की राजधानी हुआ करती थी। इसलिए इसे ‘भारिच’ कहा गया जो बाद में ‘बहराइच’ के रूप में हो गया। अगर बहराइच के सियासी मिजाज को समझना है तो यहीं के जन्मे शायर मोहसिन जैदी के एक शेर के माध्यम से समझ सकते हैं। ' जहां पे देखे कदम अपने कुछ भटकते हुए, वहीं ठहर के फरोजा चराग-ए-बादा किया । मतलब यह कि जब भी भटकाव की स्थिति आई तो ठहरकर आत्म मूल्यांकन किया। यहां की जनता कभी किसी सियासी लहर में नहीं बही। पार्टी और उम्मीदवार समझ नहीं आए तो सोच-विचार किया और फिर बदल दिया। यूं तो यहां से स्थानीय लोग भी जीते और बाहरी आए तो उनको भी संसद भेजा लेकिन लगातार कोई नहीं जीत सका। बहराइच लोकसभा सीट पर यूं तो कांग्रेस छह बार और भाजपा पांच बार जीत चुकी है। लेकिन कोई भी पार्टी या उम्मीदवार कभी हैट्रिक नहीं लगा सका है। 

सांसद रफी अहमद किदवई बने थे नेहरू सरकार में खाद्य मंत्री

आजादी से पहले ही स्वतंत्रता आंदोलन और राजनीति में सक्रिय रहे रफी अहमद किदवई ने यहां से 1952 में हुए पहले चुनाव में जीत हासिल की थी। जब देश में अन्न का संकट था तो रफी अहमद किदवई खाद्य मंत्री बने। उस समय माना जा रहा था कि यह विभाग उनके लिए संकट खड़ा करेगा। लेकिन उन्होंने अपने निर्णयों से काफी प्रशंसा हासिल की। उन्होंने जमाखोरों के द्वारा खड़े किए गए संकट को खत्म कर दिया। अनाज को नियंत्रण मुक्त कर दिया। उसके बाद 1957 में दूसरा चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने सरदार जोगिंदर सिंह को उम्मीदवार बनाया और वह जीत गए। सरदार जोगिंदर सिंह भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और बहराइच के ही रहने वाले थे। दो चुनाव के बाद ही यहां से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। चक्रवर्ती राज गोपालाचारी की बनाई गई स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े कुंवर राम सिंह ने 1962 में चुनाव जीता। उसके बाद 1967 में अगला चुनाव हुआ तो यहां से जनसंघ के प्रत्याशी केके नायर जीत गए। वह पहले प्रशासनिक अधिकारी रहे और फिर जनसंघ में शामिल हो गए। यहां से 1971 में फिर कांग्रेस ने वापसी की और बदलू राम शुक्ला विजयी हुए। इमरजेंसी के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के ओम प्रकाश त्यागी यहां से सांसद चुने गए। उसके बाद 1980 में ही कांग्रेस फिर से जीत गई। सैय्यद मुजफ्फर हुसैन यहां से सांसद चुने गए। यहां से 1984 में भी कांग्रेस जीती लेकिन सांसद का चेहरा बदल गया। यहां से आरिफ मोहम्मद खान चुनाव जीते। आरिफ मोहम्मद खान 1989 में भी सांसद बने लेकिन इस बार वह जनता दल के टिकट से जीतकर संसद पहुंचे।

1991 में भाजपा ने पहली बार खिलाया कमल

देश में 90 के दशक में चल रहे राम मंदिर आंदोलन की लहर में पहली बार यहां से भाजपा को जीत हासिल हुई। रुद्रसेन चौधरी यहां से 1991 में सांसद बने। उसके बाद 1996 में भी भाजपा जीती लेकिन सांसद पद्मसेन चौधरी बने। इसके बाद इस सीट पर बसपा और सपा का दखल शुरू हुआ। यहां हुए 1998 के चुनाव में आरिफ मोहम्मद खान बसपा से सांसद बने। एक साल बाद ही 1999 के चुनाव में फिर भाजपा के पद्मसेन चौधरी जीत गए। 2004 में यहां का मुस्लिम चेहरा बन चुके वकार अहमद शाह की पत्नी रुआब सईदा सपा के टिकट पर जीतकर सांसद बनीं। यहां 2009 में कांग्रेस के कमल किशोर जीते।

बहराइच के चुनावी मुद्दे

बहराइच तराई क्षेत्र में आता है और नेपाल के नेपालगंज से इसकी सीमा लगती है। नदियां और जंगल यहां की पहचान हैं। ऐसे में यहां की अर्थव्यवस्था कृषि और लकड़ी के कारोबार पर निर्भर है। यहां चीनी मिलें भी हैं। दालों का खासा उत्पादन होता है। दाल मिलें भी हैं। आज भी यहां का सबसे बड़ा मुद्दा बाढ़ है। शारदा, राप्ती और घाघरा यहां बाढ़ का प्रमुख कारण हैं। हर साल कई जिले बाढ़ में डूब जाते हैं। इससे खेती पर विपरीत असर पड़ता है। जान-माल का काफी नुकसान होता है। अब भी कई इलाके ऐसे हैं, जो सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सके हैं और परिवहन के साधन नहीं हैं। रेल और सड़क परिवहन के साधनों की जरूरत है। यहां से 2022 में वाराणसी के लिए इंटरसिटी शुरू की गई थी लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण अक्सर बंद कर दी जाती है। यहां से पिछले साल गोरखपुर के लिए एक ट्रेन चलाई गई थी, जो अब तक चल रही है। इसी साल फरवरी में बहराइच रुपईडीहा मार्ग को बंद करके छोटी लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने का काम शुरू किया गया है। शहर में शुद्ध पेयजल और सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है।

बहराइच लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण (Bahraich Seats Caste Equation)

बहराइच लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां करीब एक तिहाई आबादी मुसलमान मतदाताओं की है। यही वजह कि यहां से छह बार मुस्लिम उम्मीदवार सांसद बन चुके हैं। हिंदुओं की यहां मिली-जुली आबादी है। सवर्ण, ओबीसी और एससी-एसटी की आबादी लगभग बराबर है। लेकिन ये भी अलग-अलग जातियों में बंटे हैं। सवर्णों में ठाकुर, ब्राह्मण और कायस्थ सबसे ज्यादा हैं। वहीं, ओबीसी में यादव और कुर्मी की संख्या खासी है। इसी तरह दलितों और आदिवासियों की कई जातियां हैं। ऐसे में यहां जातीय समीकरण साधना भी आसान नहीं है क्योंकि किसी एक जाति का खासा वर्चस्व नहीं है।

बहराइच लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Bahraich Seats Se Sansad Ka Nam)

  • कांग्रेस से रफ़ी अहमद क़िदवई 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से जोगिन्दर सिंह 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • स्वतंत्र पार्टी से कुँवर राम सिंह 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय जनसंघ से केके नायर 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से बदलू ​​राम शुक्ला 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से ओम प्रकाश त्यागी 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से सैयद मुजफ्फर हुसैन 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से आरिफ मोहम्मद खान 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से आरिफ मोहम्मद खान 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से रूद्रसेन चौधरी 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से पदमसेन चौधरी 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से आरिफ मोहम्मद खान 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से पदमसेन चौधरी 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से रुबाब सईदा 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • कांग्रेस से कमल किशोर 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से सवित्री बाई फुले 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से अक्षयबर लाल 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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