Loksabha Election 2024: बरेली लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय होगी लड़ाई, जानें यहां का सियासी समीकरण

Loksabha Election 2024 Bareilly Seats Details: इस सीट पर नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे सतीश चंद्रा ने 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने 1957 में भी जीत दर्ज की। हालांकि 1962 और 1967 के चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार मिली। यह सीट जनसंघ के खाते में गई।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update:2024-04-07 20:17 IST

Loksabha Election 2024: झुमकों वाले शहर के नाम से विख्यात बरेली लोकसभा सीट से भाजपा ने पूर्व मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार को उम्मीदवार बनाया है। बरेली लोकसभा सीट पर कुर्मी मतदाताओं की संख्या बहुतायत होने की वजह से बसपा ने भी जातिगत समीकरण साधते हुए छोटेलाल गंगवार को मैदान में उतारा है। जबकि इंडिया गठबंधन के तरफ से प्रवीण सिंह ऐरन उम्मीदवार हैं। भाजपा ने यहां से 8 बार से सांसद रहे संतोष गंगवार का बढ़ती उम्र के चलते टिकट काट दिया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा सपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे भगवत सरन गंगवार को 1,67,282 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में संतोष गंगवार को 5,65,270 और भगवत सरन गंगवार को 3,97,988 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन को 74,206 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में संतोष कुमार गंगवार ने सपा के आयशा इस्लाम को 2,40,685 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में संतोष कुमार गंगवार को 5,18,258 और आयशा इस्लाम को 2,77,573 वोट मिले थे। जबकि बसपा के उमेश गौतम को 1,06,049 वोट मिले थे।

वहीं कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन को 84,213 वोट मिले थे। बरेली लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 25 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन बरेली जिले के बरेली, बरेली कैंट, मीरगंज, भोजीपुरा और नवाबगंज विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर सपा का कब्जा है। यह लोकसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 17,97,655 मतदाता हैं। जिनमें से 8,17,831 पुरुष और 9,79,741 महिला मतदाता हैं। बता दें कि बरेली लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,68,342 यानी 59.43 प्रतिशत मतदान हुआ था।



 


यहां जानें भाजपा के उम्मीदवार छत्रपाल सिंह गंगवार के बारे में 

भाजपा के उम्मीदवार छत्रपाल सिंह गंगवार 2007 और 2017 में विधायक रह चुके हैं। योगी सरकार में छत्रपाल सिंह गंगवार राजस्व मंत्री बने थे। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में उन्हें भाजपा के लहर के बावजूद हार का सामना करना पड़ा था। बहेड़ी विधानसभा सीट से सपा के अताउर रहमान ने छत्रपाल सिंह गंगवार को हराकर जीत हासिल की थी। बहेड़ी विधानसभा पीलीभीत लोकसभा में आती है। छत्रपाल सिंह गंगवार का जन्म 20 जनवरी, 1956 को हुआ था। उन्होंने अर्थशास्त्र से एमए किया है। बीएड की पढ़ाई भी की है। धनीराम इंटर कालेज में 1979-2009 तक प्रवक्ता रहे और 2009 में प्रधानाचार्य भी बने। वर्ष 1985 से वर्ष 1987 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक भी रहे हैं।

इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार प्रवीण सिंह ऐरन का सियासी इतिहास


प्रवीण सिंह ऐरन ने छात्रसंघ की राजनीति से अपने सियासी जीवन की शुरुआत की थी। वह पहली बार 1989 में जनता दल और दूसरी बार 1993 में कैंट विधानसभा से सपा विधायक चुने गए। वे 1995 में तत्कालीन मायावती सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहे। बरेली लोकसभा सीट से 2009 में कांग्रेस से सांसद चुने गए। इससे पहले वर्ष 2006 में उनकी पत्नी सुप्रिया ऐरन कांग्रेस के टिकट पर महापौर निर्वाचित हुईं। तभी से एरन दंपती की शहर की सियासत में अलग पहचान है। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को छोड़कर ऐरन दंपती ने सपा का दामन थामा था। सुप्रिया एरन कैंट से सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ीं थीं। अबकी बार लोकसभा टिकट के लिए पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार समेत कई दावेदार थे। लेकिन सपा ने प्रवीण सिंह ऐरन पर विश्वास जताया है।

यहां जानें बसपा उम्मीदवार छोटेलाल गंगवार के बारे में

बसपा के उम्मीदवार छोटेलाल गंगवार नवाबगंज विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। वह हाल ही कांग्रेस छोड़ पार्टी में शामिल हुए हैं। उनको उम्मीद थी कि इंडिया गठबंधन के तहत बरेली लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह सीट सपा के खाते में चली गई। तब उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ बसपा का दामन थाम लिया। मास्टर छोटेलाल इससे पहले सपा के टिकट पर वर्ष 1999 में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। तब उन्हें भाजपा के संतोष कुमार गंगवार से शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

बरेली लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास

देश की राजधानी दिल्ली से 252 किलोमीटर पर स्थित यूपी के 7वां सबसे बड़ा महानगर और भारत का 50वां सबसे बड़े शहर को बांस-बरेली के नाम से भी जाना जाता है। बरेली में ऐतिहासिक रूप से कई नायाब चीजें मिली हैं, जिसमें गुप्तकालीन दौर के सिक्के भी शामिल हैं। पुरातत्वविदों का मानना है कि यहां का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच रहा है। पौराणिक महाभारत के अनुसार द्रौपदी का जन्म बरेली में हुआ था। यह भी कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध ने भी बौद्ध धर्म के प्रचार के दौरान बरेली के अहिछत्र क्षेत्र का भ्रमण किया था। वहीं नाथ सम्प्रदाय के प्राचीन मंदिरों में शामिल होने के कारण इस शहर को नाथ नगरी भी कहा जाता है। शहर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत स्थापित है, जो सुन्नी बरेलवी मुसलमानों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इसलिए बरेली को बरेली शरीफ या शहर ए आला हज़रत भी कहते हैं।

सतीश चंद्रा पहली बार जीत दर्ज कर नेहरू कैबिनेट में हुए शामिल

इस सीट पर नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे सतीश चंद्रा ने 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने 1957 में भी जीत दर्ज की। हालांकि 1962 और 1967 के चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार मिली। यह सीट जनसंघ के खाते में गई। जनसंघ के टिकट पर बृजराज सिंह यहां से सांसद रहे। लेकिन लगातार 2 चुनाव में हार के बाद सतीश चंद्रा ने फिर से वापसी की और 1971 में यहां से सांसद चुने गए। हालांकि देश में इस दौरान इमरजेंसी लगा दी गई । जिसको लेकर कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी देखी गई और बरेली लोकसभा सीट पर भी करारी हार का सामना करना पड़ा। जनता पार्टी के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी राममूर्ति विजयी हुए। 1980 में भी यह सीट जनता पार्टी के खाते में ही रही। जबकि 1981 में कराए गए उपचुनाव में पूर्व राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम आबिदा अहमद कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं और जीत दर्ज कीं। 1984 के चुनाव में भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं। कांग्रेस के लिए आबिदा अहमद की यह जीत आखिरी जीत साबित हुई।

भाजपा के संतोष गंगवार ने 8 बार दर्ज की जीत

देश में राम मंदिर आंदोलन शुरू हो चुका था। इसका फायदा भाजपा को चुनाव में हो रहा था। 1989 के चुनाव के समय बरेली लोकसभा सीट पर तब भाजपा की ओर से संतोष कुमार गंगवार ने जीत हासिल की। फिर वह यहां से लगातार अजेय बने रहे। 1989 में पहली बार जीत हासिल करने के बाद संतोष गंगवार ने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में बरेली से जीत हासिल की। हालांकि 2009 के चुनाव में संतोष गंगवार को कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन के हाथों कड़े मुकाबले के बाद 9,338 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2014 के चुनाव में संतोष गंगवार ने फिर वापसी की। संतोष गंगवार ने इस सीट पर कुल 8 बार जीत हासिल की है।

बरेली लोकसभा में जातीय समीकरण

अगर बरेली लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर भी मुस्लिम मतदाता की संख्या अच्छी खासी है। उनकी संख्या करीब 34.54 प्रतिशत है। जबकि 63.44 प्रतिशत हिंदू समाज के मतदाता हैं। इसके अलावा 0.65 प्रतिशत सिख और 1.16 प्रतिशत दूसरे धर्म के मतदाता हैं। चुनाव में जातीय समीकरण खास मायने नहीं रखते हैं। क्योंकि यहां पर 1989 के बाद से संतोष गंगवार का दबदबा रहा है। उन्हें एक बार हार मिली। वह भी 9,338 वोटों से। ऐसे में यहां पर जातिगत समीकरण कुछ खास काम नहीं आते हैं।

बरेली लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से सतीश चंद्रा 1951 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनसंघ से ब्रजराज सिंह 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनसंघ से बीबी लाल 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से सतीश चंद्रा 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय लोक दल से राममूर्ति 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी-एस से मिसर यार खां 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से आबिदा बेगम 1981 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से संतोष कुमार गंगवार 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से प्रवीण सिंह ऐरन 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से संतोष कुमार गंगवार 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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