Lok Sabha Election: कानपुर में बीजेपी, कांग्रेस और बसपा ने उतारे सवर्ण प्रत्याशी, समझिए सियासी समीकरण

Lok Sabha Election: अबकी बार लोकसभा चुनाव में भाजपा, गठबंधन और बीएसपी ने सवर्ण प्रत्याशी उतारा है। जहां भाजपा से रमेश अवस्थी तो गठबंधन (कांग्रेस) से आलोक मिश्रा, वहीं बीएसपी ने कुलदीप भदौरिया को मैदान में उतारा है।

Report :  Anup Pandey
Update: 2024-04-07 05:11 GMT

 कुलदीप भदौरिया, आलोक मिश्रा और रमेश अवस्थी (Pic: Newstrack) 

Lok Sabha Election: कानपुर में लोकसभा चुनाव का मतदान 13 मई को होना है। जिसको लेकर प्रत्याशियों ने कमर कस ली है। सुबह से लेकर शाम तक प्रत्याशी जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। वहीं अपने-अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहें है। भाजपा प्रत्याशी ने चुनाव कार्यालय भी खोल दिया है। प्रशासन भी अधिक से अधिक वोट प्रतिशत बढ़ाने में लगा हुआ है।

तीनों सवर्ण प्रत्याशी होने पर बट सकता हैं

अबकी बार लोकसभा चुनाव में भाजपा, गठबंधन और बीएसपी ने सवर्ण प्रत्याशी उतारा है। जहां भाजपा से रमेश अवस्थी तो गठबंधन (कांग्रेस) से आलोक मिश्रा, वहीं बीएसपी ने कुलदीप भदौरिया को मैदान में उतारा है। दो प्रत्याशी ब्राह्मण होने से अबकी गोविन्द नगर और किदवई नगर में ब्राह्मण वोट बंट सकता हैं। बसपा को कुछ उम्मीद तक वोट मिल सकता है। जिससे भाजपा और कांग्रेस में काँटे की टक्कर दिखाई दे रही हैं।

कानपुर लोकसभा में पांच विधानसभा

गोविन्द नगर, सीसामऊ, आर्य नगर, किदवई नगर और कैंट लोकसभा कानपुर में आती हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी तीन विधासभा गोविन्द नगर, किदवई नगर, आर्य नगर में आगे थी। वहीं, कांग्रेस सीसामऊ और कैंट में आगे थी। भाजपा के प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी ने डेढ़ लाख कुछ मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी को मात दी थी। वोट प्रतिशत भाजपा का 55 और कांग्रेस का 37 प्रतिशत रहा था। वहीं सपा का पांच प्रतिशत था। 2024 के चुनाव में गठबंधन ने भाजपा का समीकरण बदलने के लिए कांग्रेस से ब्राह्मण प्रत्याशी उतार दिया है। वहीं, बीएसपी ने भी ठाकुर प्रत्याशी उतार दिया है।

द्रोण, पचौरी और महाना को हराया था श्री प्रकाश ने

1991 के चुनाव में जगत वीर सिंह द्रोण कानपुर से सांसद चुने गए। फिर 1996 और 1998 के चुनावों में भी द्रोण कानपुर से विजय हुए। हर चुनाव में जगत वीर सिंह द्रोण को मिलने वाले वोटों की संख्या में भारी वृद्धि हुई और जीत का अंतर भी बढ़ता रहा। चौथी बार 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी श्री प्रकाश जायसवाल के सामने हार गए। हार का कारण बिना नाम बताए एक नेता ने बताया कि हम 1999 का चुनाव आपसी मतभेद और भीतरघात की वजह से हार गए। फिर 2004 में भाजपा से द्रोण के स्थान पर सत्यदेव पचौरी चुनाव लड़े जो श्री प्रकाश के सामने हार गए। इसके बाद 2009 का लोकसभा चुनाव सतीश महाना को लड़वाया गया। जहां इस बार भी भाजपा में मतभेद के कारण कांग्रेस जीत गई। कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने लगातार भाजपा को तीसरी बार पटखनी दी।

डॉ.जोशी को महानगर की सीट से बनाया गया था प्रत्याशी

भाजपा की लगातार हार से लखनऊ और दिल्ली तक इस सीट का मामला पहुंचा। जहां कम मतों से लगातार हारने का कारण पार्टी के अंदर आपसी मतभेद बताया गया। वहीं पार्टी आलाकमान ने भाजपा के सबसे शक्तिशाली अस्त्र का प्रयोग 2014 में डॉ. मुरली मनोहर जोशी के रूप में किया। बनारस सीट से हटाकर डॉ जोशी को महानगर की सीट से प्रत्याशी बनाया। बड़े नेता को प्रत्याशी बनाने पर भाजपा ने चुनाव में पूरी ताकत लगाई और भाजपा ने 2014 में लाखों मतों से जीत दर्ज़ कर ली। सामने खड़े कांग्रेस प्रत्याशी श्री प्रकाश को हरा दिया। 2019 में सत्यदेव पचौरी को मौका मिला। उन्होने मोदी योगी लहर में लाखों मतों से फिर जीत दर्ज कर ली।

दो विधानसभा ऐसी जहां लाखों मत भाजपा के खाते में

लोकसभा चुनाव में दो विधानसभा ऐसी है। जो दोनों विधानसभा से भाजपा को लाखों मतों से विजय बना दे रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में गोविन्द नगर विधानसभा से भाजपा ने 80,681 वोटों से जीत दर्ज की थी। वहीं, किदवई नगर में भाजपा ने करीब चालीस हजार से जीत दर्ज की थी। दोनों को मिलाकर लाखों मतों का आंकड़ा पार जाता है। जो भाजपा के खाते में आता है। सवर्ण जाति का 80 प्रतिशत वोट भाजपा को जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में इन दोनों विधानसभा से दो लाख पचास हजार वोट भाजपा को मिला था।

इन दोनों विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस की निगाह

इन दोनों विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस की निगाह बनी हुई है। लेकिन, भाजपा में उत्तर और दक्षिण जिलाध्यक्ष होने पर कार्यकर्ताओं की टीम मजबूत बनी हुई है। जिससे भाजपा दक्षिण में और मजबूत हो गई है। वहीं, कांग्रेस में एक ही जिलाध्यक्ष है। जिस कारण कांग्रेस कमजोर है। एक तरफ अंदर खाने से कांग्रेस में भीतर घात हो रहा है। जहां टिकट फाइनल होने के बाद कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता टिकट बदलाव की मांग कर रहे थे। श्री प्रकाश के चुनाव हारने के बाद से कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है। तो वहीं विपक्ष पार्टी के नेता भाजपा में शामिल हो गए है। जो विपक्ष के लिए चिंता का विषय बन गया है।  

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