तारीखों के ऐलान पर मायावती का बयान- '3-4 चरण में चुनाव होते तो बेहतर होता,...सेक्युलर त्यौहार में हों शरीक'
UP Lok Sabha Elections 2024: मायावती ने देश के लोगों से अपील की है कि, 'वे लोकतंत्र के सेक्युलर त्यौहार में खूब बढ़-चढ़कर व पूरे दिलोजान से हिस्सा लें।'
UP Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। बीएसपी प्रमुख ने कहा, अगर 3 या 4 चरण में लोकसभा चुनाव होते तो बेहतर होता। इससे कम समय के साथ चुनावी खर्च भी कम पड़ता। उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव का सभी को बेसब्री से इंतजार था।'
बहुजन समाज पार्टी ने बागपत सीट (Baghpat seat) पर अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है। बसपा ने बागपत सीट से प्रवीण बैंसला (Praveen Bainsla) को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। आपको बता दें कि, एनडीए गठबंधन के खाते में बागपत सीट रालोद के हिस्से गई है। रालोद ने डॉ राजकुमार सांगवान (Dr Rajkumar Sangwan) को चुनावी मैदान में उतारा है।
3 या 4 चरण में चुनाव होती तो बेहतर था
मायावती ने प्रेस रिलीज जारी कर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'देश में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आज तिथि की हुई घोषणा का स्वागत है। किन्तु, यदि यह चुनाव कम समय में करीब तीन या चार चरणों में होता तो यह ज्यादा बेहतर होता, जिससे समय व संसाधन दोनों की बचत के साथ ही चुनावी खर्च कम करना संभव होता। चुनावी माहौल भी लगातार तनावपूर्ण, जातिवादी एवं साम्प्रदायिक बने रहने सहित और भी समस्यायें इससे दूर होतीं।'
चुनाव कम से कम समय में होता तो...
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव की तिथि की घोषणा के सम्बंध में कहा, 'आज इलेक्शन कमीशन ऑफ इण्डिया द्वारा, देश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तिथि व कार्यक्रम की घोषणा की गई है। इसका हमारी पार्टी बसपा स्वागत करती है। हालांकि, देश के लोगों को, हर चुनाव की तरह ही, इस चुनाव का भी काफी बेसब्री से इंतज़ार था। वैसे तो आयोग द्वारा घोषित चुनावी कार्यक्रम फाइनल है, जिसके अनुसार यह चुनाव कुल मिलाकर सात चरणों में लगभग ढाई महीनों में पूरा होगा, किन्तु यदि यह चुनाव कम से कम समय में अर्थात तीन या चार चरणों में पूरा हो जाता तो यह बेहतर होता। इससे देश के समय और संसाधन दोनों के लाभ के साथ चुनावी खर्च कम करना भी संभव होता।'
तनावपूर्ण, जातिवादी व साम्प्रदायिक समस्याएं होगी दूर
उन्होंने कहा, 'चुनावी माहौल को लगातार तनावपूर्ण, जातिवादी व साम्प्रदायिक बने रहने सहित अन्य और भी कई समस्यायें इससे दूर होने की संभावना है। इतना ही नहीं, बल्कि चुनाव के खर्चीले व लम्बे समय तक खींचे जाने से खासकर गरीबों, उपेक्षितों व कमज़ोर तबकों के तन, मन, धन से चलने वाली पार्टी बी.एस.पी. को, धनवान पार्टियों से सही और ईमानदार तरीके से मुकाबला करना लगातार बहुत मुश्किल होता जा रहा है। इसके साथ ही, देश में लोकतंत्र की जमीनी मजबूत मजबूती के लिए चुनाव का पहली नजर में ही स्वतंत्र व निष्पक्ष होना बहुत जरूरी है, जिसकी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के लिए निर्वाचन आयोग से बहुत सारी उम्मीदें यहाँ देश के लोगों में भी खासकर गरीबों, महिलाओं, कमज़ोर तबकों व अन्य मेहनतकश लोगों को हैं।'
आदर्श चुनाव आचार संहिता ही रीढ़
मायावती बोलीं, 'ऐसे में निर्वाचन आयोग द्वारा यहां पूर्ण रूप से स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के क्रम में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को पूरी सख्ती के साथ रोकने के साथ ही साथ, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को समान चुनावी अवसर प्रदान कराने के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता रीढ़ का काम करता है, जिसका भी सही व सख्ती से अनुपालन कराना बहुत जरूरी है।'
चुनावी बांड पर भी बोलीं माया
बसप सुप्रीमो बोलीं, 'इसके अलावा, दबंग व सामंती तत्वों द्वारा लोगों को वोट डालने तथा अन्य और तरीके से स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव में बाधा डालने की शिकायतें भी यहां आम रही हैं, जिसको लेकर भी चुनाव आयोग को प्रभावी कदम उठाना बहुत जरूरी है। साथ ही, बहुचर्चित चुनावी बॉण्ड के सम्बंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट का अति-महत्वपूर्ण फैसला आ जाने के बाद, सरकारी मशीनरी में भी खासकर पुलिस प्रशासन अर्थात् राज्यों के सुरक्षा बलों को पूरी तरह से स्वतंत्र, निष्पक्ष व कानून के प्रति जिम्मेदार बनाने से चुनाव के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर अत्याधिक निर्भरता कम की जा सकती है, जिसका चुनावी खर्च कम करने पर खासकर असर पड़ेगा। इसके अलावा, चुनावी प्रक्रिया आदि को लेकर जनता की अन्य और भी जो विभिन्न शिकायतें हैं उनके भी सही समाधान की ओर चुनाव आयोग को, लोकतंत्र के व्यापक हित में, जरूर समुचित ध्यान देना चाहिए।'
लोकतंत्र के 'सेक्युलर त्यौहार' में हों शरीक
उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर देश में जन संतोष के अनुसार पूरी तरह से स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराकर लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने की शक्ति व संवैधानिक ज़िम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग में निहित है। वह अपने दायित्व पर पूरी तरह से खरा उतरेगा, इसकी देश को आशा है। इसके साथ ही, देश में खासकर केन्द्र व विभिन्न राज्यों की रूलिंग पार्टियों को भी इस दायित्व के प्रति ईमानदार होना बहुत जरूरी है, ताकि देश का लोकतंत्र व इसका संविधान अपनी मानवतावादी व कल्याणकारी मंशा के मुताबिक चलता रहे जिसमें ही देश व जनहित पूरी तरह से निहित है। अब अन्त में देश के लोगों से भी यह पुरजोर अपील है कि वे लोकतंत्र के इस सेक्युलर त्यौहार में खूब बढ़-चढ़ कर व पूरे दिल-जान से हिस्सा लें और अपनी सर्वजन हितैषी पार्टी व सरकार को चुनें।'