Chunavi Kisse: एक चुनाव ऐसा भी, जब दो सीटों पर उतरे थे 500 से अधिक प्रत्याशी, ये थी वजह
Chunavi Kisse: चुनावी इतिहास में एक ऐसा भी मामला सामने आया, जब एक ही सीट पर 500 से अधिक प्रत्याशियों ने दावेदारी ठोक दी। आइए, जानते हैं क्या थी वजह।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है। तमाम राजनीतिक पार्टियां तीसरे चरण की तैयारियों में जुटी हैं। दलों के स्टार प्रचारक अलग-अलग राज्यों में जाकर चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। पूरे देश में इस समय चुनावी माहौल बना हुआ है। हर चौक-चौराहों पर चुनाव से जुड़े तमाम तरह के किस्से चर्चा में हैं। चुनाव से ही जुड़ा एक ऐसा किस्सा मैं आपको आज बताने वाला हूं, जिसे शायद ही आप जानते हों और जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। देश की राजनीतिक इतिहास में एक ऐसा मामला सामने आया था जब 2 लोकसभा सीटों पर 500-500 से अधिक लोगों ने चुनाव लड़ा।
11वीं लोकसभा चुनाव का है मामला
बात 1996 के लोकसभा चुनाव की है। प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की अगुवाई में 10वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो चुका था। 11वीं लोकसभा के लिए अप्रैल और मई के महीने में संसदीय चुनाव कराए जा रहे थे। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी राजनीतिक पार्टियों के पास अपने-अपने मुद्दे तो थे ही, लेकिन गरीब किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं की संयुक्त रूप से कुछ समस्याएं भी थीं जिन पर विचार नहीं किया जा रहा था। ऐसे में नेताओं से नाराज लोगों ने अपने मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए अनोखी रणनीति बनाई और एक ही लोकसभा सीट पर 500 से अधिक लोग चुनावी मैदान में उतर गए।
537 लोगों ने भरा नामांकन पर्चा
मामला है आंध्र प्रदेश के नालागोंडा संसदीय क्षेत्र का (10 साल पहले अविभाजित आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, साल 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना एक नया राज्य बना और नालागोंडा क्षेत्र तेलंगाना के हिस्से में चला गया)। 1996 के लोकसभा चुनाव में नालागोंडा सीट की जनता अपने प्रतिनिधियों के लापरवाह रवैया से इतना नाराज हुए कि उन्होंने खुद ही अपनी समस्याओं का हल निकालने का फैसला लिया। लेकिन, उन्होंने हिंसा करने की जगह ‘गांधीवादी’ तरीका अपनाया और चुनाव लड़कर अपना विरोध जताया।
नालागोंडा सीट पर 480 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे
नाराज लोगों ने 1996 के लोकसभा चुनाव में नालागोंडा सीट पर प्रत्याशियों की बाढ़ सी आ गई। इस सीट से 100, 200 या 300 नहीं बल्कि 500 से अधिक लोगों ने एकसाथ नामांकन पर्चा दाखिल किया। कुल 537 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की, जिनमें 66 महिलाए थी। चुनाव आयोग के द्वारा कुछ लोगों की दावेदारी खारिज करने के बाद मैदान में रिकॉर्ड 480 प्रत्याशी बचे। चुनाव संपन्न हुए और जह परिणाम आया तो 480 में से 477 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। किसी एक लोकसभा सीट पर सबसे अधिक प्रत्याशी होने का यह रिकॉर्ड नालागोंडा के ही नाम है।
बेलगाम में भी 521 लोगों ने भरा था पर्चा
आंध्र प्रदेश की नालागोंडा सीट ही नहीं बल्कि कर्नाटक की बेलगाम लोकसभा सीट पर भी भारी संख्या में नाराज लोगों ने नामांकन पर्चा भरा। बेलगाम लोकसभा सीट पर भी 521 लोगों ने पर्चा भरा। नामांकन पर्चा वापस और नामांकन खारिज होने के बाद कुल 456 लोग चुनावी मैदान में थे। मतदान संपन्न हुआ और रिजल्ट में 454 लोगों की जमानत जब्त हो गई।
इस वजह से लोगों ने किया विरोध
500 से अधिक नामांकन और 400 से अधिक उम्मीदवारों के बीच मुकाबले वाले ये दोनों सीटें तब काफी चर्चा में आए थे। इन दोनों ही सीटों पर जनता ने अपनी समस्याओं पर नेताओं का ध्यान खींचने के लिए इस तरह का फैसला लिया। 19 लाख की आबादी वाले तेलंगाना के नालागोंडा क्षेत्र के लोग शुद्ध पेयजल की समस्या से त्रस्त थे। पानी में भी अधिक मात्रा में फ्लोराइड था, जिसकी वजह से दिक्कत हो रही थी। यहां के लोग फ्लोरोसिस नाम की बड़ी बीमारी से पीड़ित थे। प्रशासनिक तौर पर कई शिकायत के बाद भी लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में लोगों ने बड़ी संख्या में चुनाव में उतरकर अपना विरोध जताया था।