Lok Sabha Election: रायबरेली से 1977 के बाद अजेय रहा गांधी परिवार, अमेठी से लड़ रहे चौथे गांधी
Lok Sabha Election 2024: अमेठी से किशोरी लाल शर्मा तो रायबरेली से राहुल गांधी मैदान में हैं। रायबरेली लोकसभा सीट लंबे समय से कांग्रेस के पास रही है।
Lok Sabha Election 2024: अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल दिए हैं।रायबरेली से राहुल गांधी व अमेठी से किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ेंगे। दोनों सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। गांधी परिवार 1977 के बाद कभी रायबरेली सीट से नहीं हारा है। बता दें कि पिछले चुनावों में सोनिया गांधी सांसद चुनी गईं थीं।
1977 के बाद नहीं हारा गांधी परिवार
कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी और रायबरेली सीट पर शुक्रवार सुबह सस्पेंस खत्म हो गया। पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिए। अमेठी से किशोरी लाल शर्मा तो रायबरेली से राहुल गांधी मैदान में हैं। रायबरेली लोकसभा सीट लंबे समय से कांग्रेस के पास रही है। वर्ष 1980 से आज तक गांधी परिवार का कोई सदस्य लोकसभा सीट से नहीं हारा। 1977 में 'जाएंट किलर' राजनरायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हराया था। 1999 के आम चुनावों के बाद से अभी तक कांग्रेस जीतती रही है।
2006 उपचुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतीं सोनिया
पिछले लोकसभा चुनावों में सोनिया गांधी के जीत का मार्जिन सबसे कम रहा था। वह सीट से लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं। अब तक हुए कुल चुनावों में कांग्रेस 17 बार, भाजपा दो बार और जनता पार्टी एक बार जीती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी की जीत का मार्जिन एक लाख 67 हजार था। जोकि उनका अभी तक का सबसे कम है। 2006 के उपचुनाव में सोनिया गांधी ने चार लाख 17 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी जीत रही है।
यूं ही नहीं मिला केएल शर्मा को अमेठी से टिकट, कहा जाता है चौथा गांधी
अमेठी से स्मृति ईरानी के सामने मैदान में उतरने वाले किशोरी लाल शर्मा को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। उन्हें चौथा गांधी भी कहा जाता है। केएल शर्मा ने करीब तीस साल तक गांधी परिवार के सिपहसलार के रूप काम किया है। स्थानीय पत्रकारों की मानें तो केएल शर्मा की कही बात परिवार का कोई सदस्य नहीं काटता है। इसलिए नब्बे के दशक से इन्हें चौथा गांधी माना जाता है। बता दें कि किशोरी लाल शर्मा 1999 से अमेठी और रायबरेली में सक्रिय हैं। वह प्रियंका गांधी के साथ चुनाव में आए थे। लंबे समय तक सोनिया गांधी के प्रतिनिधि भी रहे हैं।