Lok Sabha Election: गोड्डा में निशिकांत दुबे को कांग्रेस की कड़ी चुनौती, चौका लगाने की राह में प्रदीप यादव ने खड़ी कर दीं मुश्किलें

Lok Sabha Election: प्रदीप यादव की इस इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे 2001 में हुए उपचुनाव में इस लोकसभा सीट पर एक बार जीत भी हासिल कर चुके हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-05-31 04:02 GMT

निशिकांत दुबे और प्रदीप यादव  ( photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी के सबसे मुखर सांसदों में एक निशिकांत दुबे इस बार जीत का चौका लगाने के लिए झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर प्रदीप यादव को चुनावी अखाड़े में उतारकर निशिकांत दुबे को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है। इस लोकसभा क्षेत्र में आखिरी चरण में कल मतदान होना है और प्रचार के आखिरी दिनों में दोनों पक्षों ने पूरी ताकत झोंक दी।

प्रदीप यादव की इस इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे 2001 में हुए उपचुनाव में इस लोकसभा सीट पर एक बार जीत भी हासिल कर चुके हैं। विकास के मुद्दे पर प्रदीप यादव लगातार निशिकांत दुबे को घेरने की कोशिश में जुटे रहे। ऐसे में माना जा रहा है कि इस लोकसभा क्षेत्र में इस बार कड़ा मुकाबला होगा।

कांग्रेस ने टिकट बदलकर कर दिया खेल

गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने पहले दीपिका पांडेय को टिकट दिया था। उस समय भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे की सियासी राह आसान मानी जा रही थी मगर अंतिम समय में कांग्रेस ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदलते हुए प्रदीप यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया। प्रदीप यादव की उम्मीदवारी निशिकांत दुबे की मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित हो रही है।

निशिकांत दुबे के खिलाफ प्रदीप यादव की उम्मीदवारी को कई कारणों से मजबूत माना जा रहा है। प्रदीप यादव ने 2019 के विधानसभा चुनाव में गोड्डा की पौड़ैयाघाट विधानसभा सीट से झारखंड विधानसभा विकास मोर्चा के टिकट पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

प्रदीप यादव पूर्व के जमाने में क्रिकेटर रहे हैं और उन्हें गोड्डा की सियासी पिच पर निशिकांत दुबे के खिलाफ कांग्रेस का मजबूत गेंदबाज माना जा रहा है। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि निशिकांत दुबे चौका लगाने में कामयाब हो पाते हैं या प्रदीप यादव इस बार के चुनाव में उन्हें बोल्ड आउट करते हैं।

चौथी जीत के लिए अखाड़े में उतरे हैं निशिकांत

गोड्डा संसदीय सीट पर भाजपा के निशिकांत दुबे ने 2009 से ही कब्जा कर रखा है और इस बार वे जीत का चौका लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2009 में उन्होंने कांग्रेस के फुरकान अंसारी को हराकर पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर त्रिकोणात्मक मुकाबला हुआ था जिसमें निशिकांत दुबे ने फुरकान अंसारी को हराकर ही जीत हासिल की थी। झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव तीसरे नंबर पर रहे थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव को चुनाव मैदान में उतारा था मगर उस चुनाव में भी निशिकांत दुबे ने जीत हासिल की थी। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर निशिकांत दुबे पर ही भरोसा जताया है और वे लगातार चौथी जीत हासिल करने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं।

ग्रामीण मतदाता होंगे निर्णायक

गोड्डा के धार्मिक समीकरण की बात की जाए तो यहां की 76 फ़ीसदी आबादी हिंदू मतदाताओं की है जबकि 19 फ़ीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। एक फीसदी आबादी ईसाई मतदाताओं की है। यदि जातीय आधार पर देखा जाए तो क्षेत्र में 13 फ़ीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की है जबकि करीब 12 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के मतदाताओं की है। सामान्य और अन्य जातियों के मतदाता करीब 76 फीसदी हैं।

गोड्डा संसदीय क्षेत्र में जीत हासिल करने के लिए ग्रामीण मतदाताओं का समर्थन बेहद जरूरी माना जाता है क्योंकि यहां की 87 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की है। 13 फ़ीसदी आबादी ही शहरी मतदाताओं की है और इसलिए यहां पर ग्रामीण मतदाताओं का दबदबा माना जाता है।

चार विधानसभा सीटों पर इंडी गठबंधन

गोड्डा संसदीय क्षेत्र के स्वरूप के बाद की जाए तो यह लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों में फैला हुआ है। गोड्डा, देवघर और दुमका जिलों में इस लोकसभा क्षेत्र का विस्तार है इस लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा सीटों की बात की जाए तो तो इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं- महागामा, गोड्डा, पौड़ैयाघाट, मधुपुर, जरमुंडी और देवघर। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान इनमें से चार सीटों पर इंडिया गठबंधन ने कब्जा किया था जबकि दो सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी।

भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग बना चुनाव

गोड्डा संसदीय क्षेत्र का चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है। निशिकांत दुबे संसद में विपक्ष को तीखा जवाब देने के लिए जाने जाते रहे हैं। निवर्तमान लोकसभा में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया था और इसी कारण महुआ मोइत्रा की सांसदी भी रद्द हो गई थी। अब यह देखने वाली बात होगी कि इस बार वे कांग्रेस की चुनौतियों का जवाब देते हुए कहां तक कामयाबी हासिल कर सकते हैं।

लगातार चौथी जीत हासिल करने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा रखी है और उनके समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुमका में सभा भी कर चुके हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के समर्थन में राहुल गांधी ने सभा की है।

भाजपा-कांग्रेस के बीच वार-पलटवार

भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे का कहना है कि वे लगातार क्षेत्र के विकास और यहां के लोगों के लिए काम करने में सक्रिय रहते हैं। उनका दावा है कि यही कारण है कि मुझे क्षेत्र के लोगों का पिछले तीन चुनावों से भरपूर स्नेह मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि गोड्डा के गांव-गांव तक विकास की किरणें पहुंची हैं और इस कारण मुझे इस बार भी क्षेत्र के लोगों पर पूरा भरोसा है।

दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव का कहना है कि सांसद निशिकांत दुबे अधिकांश समय क्षेत्र में नहीं रहते। क्षेत्र के लोगों के लिए उनसे मिलकर अपनी समस्याएं बताना काफी मुश्किल काम है।

उन्होंने निशिकांत दुबे पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे को क्षेत्र में कराए गए कामों के बारे में बताना चाहिए। वे दूसरों के कामों को अपने खाते में दर्ज करके बड़ी उपलब्धियों का झूठा दावा करते रहे हैं। प्रदीप यादव ने भी इस बार के चुनाव में क्षेत्र में व्यापक समर्थन मिलने का दावा किया है।

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