Ground Report: बेंगलुरु रूरल सीट पर डिप्टी CM के भाई को BJP ने घेरा, डीके सुरेश के लिए मुसीबत बने डॉ.मंजूनाथ

Ground Report: कर्नाटक में इस बार के लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु रूरल लोकसभा सीट पर भाजपा ने मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सीएन मंजूनाथ को चुनाव मैदान में उतार कर डीके सुरेश को कड़ी चुनौती पेश कर दी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-24 16:49 IST

बेंगलुरु रूरल सीट पर डीके सुरेश कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार डॉ मंजूनाथ के बीच मुकाबला: Photo- Social Media

Karnataka Lok Sabha Election: कर्नाटक में इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है तो दूसरी ओर कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। राज्य की कई लोकसभा सीटों पर दिलचस्प मुकाबला हो रहा है मगर सबकी निगाहें बेंगलुरु रूरल लोकसभा सीट पर लगी हुई है जहां डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के छोटे भाई डीके सुरेश इस बार कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।

भाजपा ने इस बार मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सीएन मंजूनाथ को चुनाव मैदान में उतार कर डीके सुरेश को कड़ी चुनौती पेश कर दी है। डॉ मंजूनाथ मशहूर डॉक्टर होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के मुखिया एचडी देवगौड़ा के दामाद भी हैं। ऐसे में उन्हें भाजपा के साथ ही जद (एस) कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। हालांकि डिप्टी सीएम शिवकुमार ने अपने छोटे भाई की जीत के लिए पूरी ताकत लगा रखी है मगर वे इस बार चुनावी अखाड़े में मुश्किल में फंसे दिख रहे हैं।

डीके सुरेश को मिली लगातार कामयाबी

सियासी अखाड़े में उतरने से पहले डीके सुरेश किसान और व्यवसायी थे। राजनीति के मैदान में उनकी एंट्री 2013 में हुई थी। उस समय सांसद एचडी कुमारस्वामी के इस्तीफे के कारण बेंगलुरु रूरल सीट खाली हुई थी और उपचुनाव कराया गया था। 21 में 2013 को हुए इस उपचुनाव में डीके सुरेश ने जीत हासिल की थी। बाद में कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सुरेश को अपना उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने उस चुनाव में भी जीत हासिल करके बेंगलुरु रूरल सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में भी डीके सुरेश ने कांग्रेस के भरोसे को कायम रखा था। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार अश्वथ नारायण गौड़ा को करीब दो लाख से अधिक मतों से हराकर जीत हासिल की थी। उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए इस बार भी कांग्रेस ने शुरुआत में ही उन्हें बेंगलुरु रूरल सीट से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया था।

भाजपा ने मशहूर डॉक्टर को मैदान में उतारा

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने इस बार इस लोकसभा क्षेत्र में नई रणनीति के तहत पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बहनोई और बेंगलुरु के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सीएन मंजूनाथ को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मंजूनाथ 35 साल से डॉक्टरी के पेशे में सक्रिय हैं और उन्होंने काफी संख्या में गरीबों के फ्री में भी ऑपरेशन किए हैं। इसलिए लोगों के बीच उनकी काफी लोकप्रियता रही है।

वे करीब 18 साल तक श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर रहे और इस दौरान उन्होंने इतना काम किया कि इस इंस्टीट्यूट की प्रसिद्धि दुनिया के कई अन्य देशों तक पहुंच गई। उन्होंने पहली बार सियासी मैदान में उतरने का फैसला किया है और भाजपा ने उनसे संपर्क साध कर खुद उनसे चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था। बेंगलुरु और अन्य इलाकों से जुड़े तमाम लोग डॉक्टर मंजूनाथ की उदारता का किस्सा सुनाया करते हैं। उनकी यह लोकप्रियता डी के सुरेश के लिए बड़ी मुसीबत बनती दिख रही है।

भाजपा-जद (एस) की एकजुटता बनी मुसीबत

भाजपा पिछले दो चुनावों के दौरान काफी कोशिश करने के बावजूद डीके सुरेश के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार नहीं उतार सकी थी मगर इस बार पार्टी ने सोची समझी रणनीति के तहत मंजूनाथ को उतार कर डीके सुरेश की मजबूत घेरेबंदी कर ली है। डॉ.मंजूनाथ को राजनीति का अनुभव नहीं है मगर वे बेंगलुरु में जाना पहचाना चेहरा रहे हैं और उनका नाम कभी किसी विवाद से नहीं जुड़ा।

कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जद (एस) के साथ गठबंधन कर रखा है। बेंगलुरु रूरल सीट पर भाजपा के साथ ही जद एस काफी मजबूत रहा है और इस सीट पर जद (एस) के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी जीत हासिल कर चुके हैं।

मंजूनाथ कुमारस्वामी के बहनोई हैं और ऐसे में भाजपा और जद (एस) का कैडर उनकी जीत के लिए पूरी तरह एकजुट हो गया है और यह एकजुटता कांग्रेस उम्मीदवार डीके सुरेश के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

डिप्टी सीएम ने लगाई पूरी ताकत

डीके सुरेश के कड़े मुकाबले में फंसने के बाद उनके बड़े भाई और राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने उनकी जीत के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। डीके शिवकुमार कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद वे मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार थे। उनके चुनाव मैनेजमेंट का लोहा कर्नाटक में हर कोई मानता है।

बेंगलुरु रूरल लोकसभा सीट के अंतर्गत ही कनकपुरा विधानसभा सीट भी आती है जहां से डीके शिवकुमार विधायक हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी डी के सुरेश को कनकपुरा में लोगों ने खूब समर्थन दिया था।

महिला मतदाताओं पर भरोसा

कर्नाटक में पिछला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने महिला मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए कई बड़े कदम उठाए थे। महिलाओं को बस में फ्री में सफर करने की सुविधा मुहैया कराई गई है और इसके साथ ही हर महीने 2000 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं का समर्थन पार्टी को ही हासिल होगा।

भाजपा प्रत्याशी को जीत की उम्मीद

दूसरी ओर भाजपा उम्मीदवार डॉ मंजूनाथ का कहना है कि डायरेक्टर रहने के दौरान मैंने देश-दुनिया को यह बात दिखा दी है कि कैसे एक सरकारी मेडिकल इंस्टीट्यूट को भी बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल की तरह चलाया जा सकता है। उनका कहना है कि क्षेत्र के मतदाताओं का मूड बदल रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे भाजपा के साथ ही जद (एस) कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। निश्चित रूप से डीके सुरेश के साथ मेरा कड़ा मुकाबला हो रहा है,लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम लक्ष्य हासिल करने में जरूर कामयाब होंगे।

सियासी जानकारों का मानना है कि 2013 में राजनीति में एंट्री करने के बाद डीके सुरेश पहली बार कड़े मुकाबले में फंसे दिखाई दे रहे हैं। भाजपा और जद (एस) ने उनके खिलाफ इस बार पूरी ताकत झोंक दी है और यह देखने वाली बात होगी कि वे विकास कार्यों और डीके शिवकुमार के चुनाव मैनेजमेंट के दम पर अपनी चुनावी नैया पार लगाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

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