UP Lok Sabha Election: धनंजय के फैसले से जौनपुर सीट पर बदला समीकरण, अब BJP के कृपाशंकर की स्थिति क्यों हुई मजबूत

UP Lok Sabha Election: धनंजय सिंह ने मंगलवार को सिकरारा इलाके के एक इंटर कॉलेज में अपने समर्थकों की बड़ी बैठक बुलाई थी। इस बैठक के दौरान भाजपा को समर्थन देने पर सहमति बनी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-05-15 03:24 GMT

धनंजय सिंह और कृपाशंकर सिंह  (photo: social media )

UP Lok Sabha Election 2024: जौनपुर के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। धनंजय सिंह ने जौनपुर में मंगलवार को अपने समर्थकों की बड़ी बैठक बुलाई थी और इस बैठक के दौरान उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाने का फैसला सुनाया। धनंजय के इस ऐलान के बाद अब जौनपुर लोकसभा सीट का समीकरण पूरी तरह बदल गया है।

धनंजय सिंह के ऐलान से भगवा खेमा काफी खुश नजर आ रहा है क्योंकि क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के सियासी राह अब आसान मानी जा रही है। दरअसल धनंजय सिंह का जौनपुर से जुड़े हर जाति के मतदाताओं में अच्छा दखल है। इसके साथ ही जौनपुर में क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख है और इन मतदाताओं का पूरा समर्थन अब कृपाशंकर सिंह को हासिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में धनंजय सिंह का ऐलान बड़ा सियासी असर डालने वाला साबित हो सकता है।

समर्थकों की बैठक में धनंजय का बड़ा फैसला

दरअसल धनंजय सिंह ने मंगलवार को सिकरारा इलाके के एक इंटर कॉलेज में अपने समर्थकों की बड़ी बैठक बुलाई थी। इस बैठक के दौरान भाजपा को समर्थन देने पर सहमति बनी। समर्थकों से चर्चा के बाद धनंजय सिंह ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का बड़ा ऐलान कर दिया। समर्थकों के साथ चर्चा के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा कि मैं मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दूंगा। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हूं।

उन्होंने कहा कि मुझे यह बात पता है कि आज मेरे साथ जो लोग हैं, उनका झुकाव भाजपा की ओर है। जन भावनाओं का सम्मान करते हुए हमने भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मेरी पत्नी श्रीकला भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकती हैं। यह उनका निजी फैसला होगा और मुझे इस फैसले पर कोई ऐतराज नहीं है।


धनंजय की पत्नी का कट गया था टिकट

धनंजय सिंह का यह ऐलान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि 16 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पर एक बड़ी चुनावी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। धनंजय के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि अब भाजपा के जौनपुर प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह की स्थिति मजबूत हो गई है। मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को पहले बसपा की ओर से जौनपुर संसदीय सीट पर टिकट देने का ऐलान किया गया था मगर बाद में उनका टिकट कट गया था और बसपा ने अपने मौजूदा सांसद को चुनाव मैदान में उतार दिया था।

श्रीकला रेड्डी के टिकट को लेकर धनंजय सिंह और बसपा ने परस्पर विरोधी बयान दिए थे। धनंजय सिंह का कहना था कि बसपा की ओर से उनकी पत्नी का टिकट काट दिया गया जबकि बसपा का कहना था कि श्रीकला रेड्डी के चुनाव में लड़ने से इनकार करने के बाद मौजूदा सांसद को चुनाव मैदान में उतारा गया।


जौनपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

धनंजय सिंह के इस ऐलान के असर को समझने के लिए जौनपुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण को समझना जरूरी है। जौनपुर लोकसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब ढाई लाख है। मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या करीब बराबर-बराबर सवा दो लाख की है।

क्षत्रिय मतदाता भी जौनपुर में काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि उनकी संख्या करीब दो लाख है। दलित मतदाताओं की संख्या सवा दो लाख से ज्यादा मानी जाती है। धनंजय सिंह के इस ऐलान के बाद भाजपा क्षत्रिय मतदाताओं में अपनी पकड़ और मजबूत बनाने में कामयाब होगी। क्षत्रिय मतदाताओं की नाराजगी की खबरों के बीच भाजपा के लिए यह अच्छी खबर मानी जा रही है। यही कारण है कि धनंजय सिंह का ऐलान भाजपा के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है।


जौनपुर सीट का दिलचस्प इतिहास

वैसे यदि जौनपुर लोकसभा सीट के पिछले करीब 25 वर्षों के इतिहास को देखा जाए तो यह काफी दिलचस्प पर बात उभरकर सामने आती है कि 1996 के बाद यहां के मतदाता अलग-अलग पार्टियों को जीत दिलाते रहे हैं। 1996 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी तो 1998 के लोकसभा चुनाव में सपा के पारसनाथ यादव विजयी रहे थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर यह सीट सपा से छीन ली थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी तो 2009 में बसपा प्रत्याशी ने दम दिखाया था।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर इस सीट को जीतने में कामयाब रही थी तो 2019 के चुनाव में एक बार फिर चुनावी बाजी बसपा के हाथ में रही थी। इस तरह बसपा ने पिछले 20 वर्षों के दौरान दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है।

पार्टी ने इस बार अपने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा और सपा को चुनौती देने की कोशिश की है। वैसे यदि पिछले 25 वर्षों की परंपरा कायम रही तो इस बार बसपा से इतर किसी दूसरे प्रत्याशी को जीत मिलेगी।


धनंजय की पकड़ से मिलेगा भाजपा को फायदा

बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जौनपुर में मजबूत पकड़ मानी जाती है। उन्होंने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में रारी सीट से जीत हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में वे जौनपुर से बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। 2009 में उन्होंने सपा के कद्दावर नेता पारसनाथ यादव को हराया था।

हालांकि उसके बाद वे लगातार चुनाव हारते रहे हैं। 2014 में उन्हें निर्दल उम्मीदवार के रूप में जौनपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें मल्हनी सीट पर शिकस्त झेलने पड़ी थी। 2020 में मल्हनी सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में भी वे पराजित हो गए थे।

अब उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते खोल दिए हैं। उनके ऐलान पर सबकी निगाहें लगी हुई थीं। सियासी जानकारों का मानना है कि धनंजय सिंह का यह कदम भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह की स्थिति को मजबूत बनाने वाला साबित होगा। धनंजय सिंह के समर्थक चुनाव प्रचार और मतदान में भी भाजपा प्रत्याशी की स्थिति को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

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