Election 2024 : मछलीशहर में तीनों प्रमुख प्रत्याशी एक ही जाति के, ओबीसी और सवर्ण मतदाता होंगे निर्णायक, विकास के मुद्दे पर जंग

Election 2024 : पूर्वी उत्तर प्रदेश की मछलीशहर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में सपा और बसपा प्रत्याशियों की ओर से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-05-16 16:03 IST

Election 2024 : पूर्वी उत्तर प्रदेश की मछलीशहर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में सपा और बसपा प्रत्याशियों की ओर से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में 181 वोटों से जीत हासिल करने वाले भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज के लिए इस बार सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।

समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी और सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता प्रिया सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है, तो बहुजन समाज पार्टी की ओर से पूर्व आईएएस अफसर कृपाशंकर सरोज मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा, सपा और बसपा तीनों दलों की ओर से एक ही जाति का प्रत्याशी उतारे जाने से यहां जातीय मुद्दा बौना साबित हो रहा है और विकास के मुद्दे पर एक-दूसरे को घेरने की कोशिश की जा रही है।

पिछले चुनाव में हुआ था 181 वोटों से फैसला

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रामचरित्र निषाद ने जीत हासिल की थी। मौजूदा भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज उस समय बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे मगर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीपी सरोज ने पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा के टिकट पर उतरे बीपी सरोज ने पिछले चुनाव में बसपा के त्रिभुवन राम को 181 मतों से हराकर जीत हासिल की थी।

2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के तूफानी सरोज ने जीत हासिल की थी और इस बार सपा ने उनकी अधिवक्ता बेटी प्रिया सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अफसर कृपाशंकर सरोज को टिकट दिया है। इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी पासी जाति से ताल्लुक रखने वाले हैं। सपा और बसपा दोनों ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है जबकि पिछले चुनाव में नजदीकी जीत हासिल करने वाले बीपी सरोज भी पूरी मजबूती के साथ मैदान में डटे हुए हैं।

जातीय समीकरण प्रभारी विकास का मुद्दा

पिछले चुनाव में सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने के कारण भाजपा को कड़ी चुनौती मिली थी मगर इस बार सपा और व सपा दोनों ने अपना-अपना प्रत्याशी उतारा है। विपक्षी दलों का यह बिखराव भाजपा प्रत्याशी के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। वैसे तीनों प्रमुख दलों भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशियों के एक ही जाति के होने के कारण यहां जातीय मुद्दे से ज्यादा विकास का मुद्दा छाया हुआ है।

भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज की ओर से क्षेत्र में विकास कार्यों का हवाला देते हुए अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर सपा और बसपा प्रत्याशियों का कहना है कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार में भी इस क्षेत्र का कोई विकास नहीं कराया गया। क्षेत्र के पिछड़ेपन को लेकर भाजपा प्रत्याशी को घेरने की कोशिश की जा रही है। विकास के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का दौर देखने को मिल रहा है।

ओबीसी और सवर्ण मतदाता होंगे निर्णायक

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र को 2009 में हुए परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। इस लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या है,लेकिन सीट आरक्षित होने के कारण सभी प्रत्याशी इसी वर्ग से जुड़े हुए हैं। इसलिए यहां सबकी निगाहें ओबीसी और सवर्ण मतदाताओं पर लगी हुई हैं। तीनों दलों के प्रत्याशियों की ओर से अपने परंपरागत मतदाताओं को सहेजने के साथ ही अन्य दलों के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की जा रही है।

इस लोकसभा क्षेत्र में सवर्ण मतदाताओं का रुझान किसी भी प्रत्याशी की सियासी राह को आसान बनाने में काफी मददगार बनेगा। यही कारण है कि सवर्ण मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की जा रही है। वैसे पूर्वांचल में सवर्ण मतदाताओं का समर्थन भाजपा को मिलता रहा है। ऐसे में बीपी सरोज की सियासी स्थिति मजबूत हो सकती है।

पिंडरा की बढ़त ने दिलाई थी भाजपा को जीत

मछली शहर लोकसभा क्षेत्र में जौनपुर जिले के मछली शहर (सुरक्षित), केराकत (सुरक्षित), मडियाहूं व जफराबाद विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा वाराणसी जनपद का पिंडरा विधानसभा क्षेत्र भी इसी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीपी सरोज को पिंडरा विधानसभा क्षेत्र के जरिए ही जीत हासिल हुई थी। उन्होंने इस विधानसभा क्षेत्र में सपा-बसपा के प्रत्याशी त्रिभुवन राम पर बड़ी बढ़त हासिल की थी जिसकी बदौलत वे मामूली मतों से चुनाव जीत गए थे।

छठवें चरण में दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद

वैसे इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भीतर पार्टी प्रत्याशी को लेकर नाराजगी भी दिखी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अगर पार्टी नेताओं को इस काम में कामयाबी मिली तो निश्चित रूप से भाजपा प्रत्याशी की दावेदारी को मजबूती मिलेगी।

दूसरी ओर सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज अनुसूचित जाति के मतदाताओं के साथ ही यादव वोट बैंक को भी सहेजने की कोशिश में जुटी हुई हैं। बसपा प्रत्याशी कृपाशंकर सरोज को बसपा के कोर वोटरों पर भरोसा है। इस लोकसभा क्षेत्र में छठवें चरण में 25 मई को मतदान होने वाला है और मतदान से पहले सभी प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।

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