Lok Sabha Election: फारूक और कांग्रेस एक साथ, महबूबा दरकिनार, इस बार क्या है जम्मू-कश्मीर का सियासी समीकरण

Lok Sabha Election 2024: नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की छह लोकसभा सीटों का बराबर-बराबर बंटवारा कर लिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-10 10:28 IST

Farooq Abdullah, Rahul Gandhi, Mehbooba Mufti  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: जम्मू-कश्मीर के लोकसभा चुनाव में इस बार इंडिया गठबंधन के दो दलों नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को दरकिनार कर दिया गया है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की छह लोकसभा सीटों का बराबर-बराबर बंटवारा कर लिया है। दोनों दल तीन-तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे मगर महबूबा मुफ्ती की सियासी राह अलग होने के कारण गठबंधन को झटका भी लगा है।

खुद को दरकिनार किए जाने से नाराज महबूबा मुफ्ती ने भी कश्मीर घाटी की तीन लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। महबूबा मुफ्ती खुद अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि जम्मू रीजन की दो सीटों पर उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा भी की है। दूसरी और भाजपा भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में अपनी ताकत दिखाने को बेताब है। ऐसे में राज्य के चुनावी समीकरण पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

तीन-तीन सीटों का कर लिया बंटवारा

जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें हैं जबकि लद्दाख में एक सीट है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने इनमें से तीन-तीन सीटों को आपस में बांट लिया है। कांग्रेस जम्मू, उधमपुर और लद्दाख सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि नेशनल कांफ्रेंस अनंतनाग, श्रीनगर और बारामूला लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। मजे की बात यह है की सीट बंटवारे के औपचारिक ऐलान से पहले ही दोनों पार्टियों ने तीन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया था।

कांग्रेस ने उधमपुर से लाल सिंह और जम्मू से रमन भल्ला को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि अनंतनाग लोकसभा सीट पर नेशनल कांफ्रेंस ने प्रभावशाली गुर्जर नेता और पूर्व मंत्री मियां अल्ताफ को टिकट देकर महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि बाकी लोकसभा सीटों पर भी जल्द ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगा।

फारूक और कांग्रेस से महबूबा मुफ्ती नाराज

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के इस कदम से महबूबा मुफ्ती काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन के ऐलान से पहले मुझसे बातचीत की जानी चाहिए थी। नेशनल कांफ्रेंस ने घाटी की तीन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के अलावा हमारे लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।

अब पीडीपी भी तीनों लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर नेशनल कांफ्रेंस को चुनौती देने जा रही है। अनंतनाग के लोकसभा सीट पर तुम महबूबा मुफ्ती खुद चुनाव लड़कर नेशनल कांफ्रेंस की राह में मुश्किलें पैदा करेंगी।

महबूबा मुफ्ती का कहना है कि नेशनल कांफ्रेंस को घाटी की सीटों के संबंध में पहले हमसे चर्चा करनी चाहिए थी। अगर उनका सारी सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा था तो उन्हें इस बाबत मुझे सूचित करना चाहिए था।

विपक्ष के एकजुट को बनाए रखने के लिए हम समझौते पर बात कर सकते थे। महबूबा मुफ्ती के इस बयान से साफ हो गया है कि उन्होंने इंडिया गठबंधन की एकजुटता को तोड़ने का पूरा ठीकरा नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सिर पर फोड़ दिया है।


इस कारण नहीं हो सका गठबंधन

अब घाटी में सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार नेशनल कांफ्रेंस महबूबा मुफ्ती को दरकिनार करके कांग्रेस से हाथ क्यों मिला लिया। सियासी जानकारों के मुताबिक इसका कारण यह है कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस दोनों राजनीतिक दलों का आधार कश्मीर घाटी में ही है। कश्मीर घाटी में दोनों दल लंबे समय से एक-दूसरे को चुनौती देते रहे हैं।

इस बार भी दोनों दलों के बीच घाटी में नंबर एक बनने की जंग छिड़ गई है। किसी भी इलाके में दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच गठबंधन आसान नहीं होता है और यही कारण है कि कश्मीर घाटी में महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला एक बार फिर आमने-सामने भिड़ने के लिए तैयार हैं।


घाटी में ताकत दिखाने की होड़

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीर घाटी की तीनों सीटों पर जीत हासिल करके अपनी ताकत दिखाई थी। फारूक अब्दुल्ला इस बार भी घाटी की तीनों सीटों पर जीत हासिल करके विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के आधार को और मजबूत बनाना चाहते हैं। दूसरी ओर पीडीपी का वोट बेस भी कश्मीर घाटी में ही है और पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ना चाहती।

महबूबा मुफ्ती को इस बात की बखूबी जानकारी है कि लोकसभा चुनाव से निकलने वाला संदेश विधानसभा चुनाव पर भी असर डालेगा और यही कारण है कि घाटी की तीनों सीटों पर उन्होंने भी अपनी ताकत दिखाने के लिए कमर कस ली है।


अनंतनाग में महबूबा खुद देंगी चुनौती

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद पीडीपी ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं। घाटी की सबसे दिलचस्प जंग अनंतनाग-रागौरी लोकसभा सीट पर होगी जहां पर महबूबा मुफ्ती खुद पीडीपी की उम्मीदवार होंगी। यहां उनका मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के मियां अल्ताफ और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद से होगा। महबूबा इस सीट से पूर्व में सांसद भी रह चुकी हैं।

पीडीपी ने पूर्व राज्यसभा सदस्य मीर फैयाज को बारामूला और पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष वहीद पारा को श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है।


दो सीटों पर कांग्रेस को दिया समर्थन

दिलचस्प बात यह है कि पीडीपी ने उधमपुर और जम्मू लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान किया है। वैसे इन दोनों सीटों पर भाजपा भी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रही है। इसका मतलब साफ है कि पीडीपी ने विपक्षी एकजुटता को तोड़ने के कलंक से बचने की कोशिश भी की है और इसके साथ ही नेशनल कांफ्रेंस को विपक्षी एकता तोड़ने का खलनायक साबित करने की कोशिश भी की है।

ऐसे में कश्मीर घाटी में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच एक-दूसरे को पटखनी देने की बड़ी जंग छिड़ गई है। घाटी के मतदाताओं का समर्थन दोनों दलों में से किसे हासिल होगा, इस बात का पता 4 जून को चुनाव नतीजे से ही चल सकेगा। लोकसभा चुनाव के नतीजे से इस बात का खुलासा होगा कि आखिरकार घाटी में नंबर वन कौन है।

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