Loksabha Election 2024: फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र, भाजपा को हैट-ट्रिक लगाने का इंतज़ार

Farrukhabad Lok Sabha: गंगा और रामगंगा से घिरा यह जनपद तकरीबन हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलता है। यहां औद्योगिकीकरण शून्य है। समेत कई बड़े मुद्दे फर्रुखाबाद के हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-12 12:24 GMT

Farrukhabad Loksabha (Photo: Social Media)

Farrukhabad Loksabha: फर्रुखाबाद का इतिहास ताम्रयुग काल तक का मिलता है। कांपिल्य जो आज कंपिल के नाम से जाना जाता है, उस क्षेत्र में मिले बर्तन हस्तिनापुर में मिले अवशेषों से मिलते जुलते हैं।महाभारत काल में भी यह महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कांपिल्य कभी पांचाल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। द्रौपदी का जन्म और यहीं पर उनका स्वयंवर भी हुआ था। द्रौपदी कुंड आज भी यहाँ विद्यमान है। मान्यता है कि जैन तीर्थांकर कपिल देव का जन्म भी यहीं हुआ था।जनपद में स्थित संकिसा में भगवान बुद्ध के स्वर्गावतरण की भी मान्यता है। प्रतिवर्ष हजारों विदेश श्रद्धालु यहां बौद्ध स्तूप के दर्शन को आते हैं।फर्रुखाबाद शहर की स्थापना नवाब मोहम्मद खां बंगश ने 1747 में नवाब फर्रुखसियर के नाम पर की थी।

स्वतंत्रता संग्राम में इस जनपद की प्रमुखता से भागीदारी रही। महात्मा गांधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक यहां कई बार आए।गंगा, रामगंगा, कालिन्दी और ईसन इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां हैं। पंडाबाग मंदिर यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसकी स्थापना पांडवों ने की थी। यहां एक प्राचीन किला भी है। श्री श्वेताम्बर जैन मंदिर, श्री दिगम्बर जैन मंदिर, पांचाल घाट, श्री शेखपुर जी की दरगाह यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

विधानसभा क्षेत्र

फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा सीटें आतीं हैं - अलीगंज, कायमगंज (एससी), अमृतपुर, फर्रुखाबाद और भोजपुर। इनमें कायमगंज सीट पर अपना दल का कब्जा है, जबकि बाकी भाजपा के पास हैं।



जातीय समीकरण

फर्रुखाबाद क्षेत्र में अनुमानतः क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या दो लाख, शाक्य मतदाताओं की संख्या करीब डेढ़ लाख, लोधी पौने तीन लाख और यादव वोटर सवा दो लाख हैं। मुस्लिम वोटरों की संख्या पौने दो लाख मानी जाती है। ब्राह्मण, कुर्मी और वैश्य समुदाय भी अच्छी संख्या में हैं।

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- आजादी के बाद से अब तक 17 बार हो चुके लोकसभा चुनाव व उपचुनाव में सात बार यहां कांग्रेस ने बाजी मारी है। समाजवादी नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अपनी कर्मभूमि फर्रुखाबाद से वर्ष 1962 में सांसद चुने गए थे। जनता पार्टी के दौर में दयाराम शाक्य ने दो बार संसद में जनपद का प्रतिनिधित्व किया। कांग्रेस नेता खुर्शीद आलम खां और उनके पुत्र सलमान खुर्शीद यहां से सांसद चुने गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान पाया। भाजपा से साक्षी महाराज दो बार सांसद रहे। वर्तमान में भाजपा के मुकेश राजपूत यहां से सांसद हैं।

- 1952 में कांग्रेस के मूलचंद दुबे और इसी साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस के ही वीएन तिवारी विजयी रहे।

- 1957 और 1962 में कांग्रेस के मूलचंद दुबे ने विजय हासिल की।

- 1962 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने जीत दर्ज की।

- 1967 और 1971 में कांग्रेस के अवधेश चन्द्र सिंह राठौर विजयी रहे।


- 1977 और 1980 में जनता पार्टी के दया राम शाक्य ने जीत दर्ज की।

- 1984 में कांग्रेस के खुर्शीद आलम खान यहाँ से संसद चुने गए।

- 1989 में जनता दल के संतोष भारतीय को जीत हासिल हुई।

- 1991 में कांग्रेस के खुर्शीद आलम खान ने वापसी की।

- 1996 और 1998 में भाजपा के साक्षी महाराज ने विजय हासिल की।

- 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के चन्द्र भूषण सिंह ने जीत दर्ज की।

- 2009 में कांग्रेस से सलमान खुर्शीद विजयी रहे।

- 2014 और 20 19 में भाजपा के मुकेश राजपूत ने इस सीट पर कब्जा जमाया।

इस बार के उम्मीदवार

इस बार भाजपा ने मुकेश राजपूत को उतारा है। वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी रहे हैं। इंडियन अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने डॉ नवल किशोर शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बसपा ने क्रांति पाण्डेय को उतारा है।



स्थानीय मुद्दे

गंगा और रामगंगा से घिरा यह जनपद तकरीबन हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलता है। यहां औद्योगिकीकरण शून्य है। यहां के लिए यह भी एक मुद्दा है। यहाँ पहले कई छपाई कारखाने हुआ करते थे। जो अब यहां से शिफ्ट हो रहे हैं। सीवरेज सिस्टम यहाँ नहीं है। आलू आधारित उद्योग भी प्रमुख मुद्दा है। आलू किसानों की समस्याओं का ठोस निराकरण नहीं हो सका है।

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