चुनाव की बातें: श्रीनगर में गज़ब का उत्साह, तिकोना मुकाबला

Lok Sabha Election 2024: श्रीनगर यहां के सबसे हॉट सीट मानी जा रही है जहां 13 मई को चौथे चरण में मतदान होने वाला है। इस क्षेत्र में एनसी, पीडीपी और ‘अपनी पार्टी’ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-10 11:53 GMT

आगा सैयद रुहुल्लाह-वहीद उर रहमान पारा- मोहम्मद अशरफ मीर: Photo- Social Media

Lok Sabha Election 2024: श्रीनगर: अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में पहली बड़ी चुनावी लड़ाई हो रही है। श्रीनगर यहां के सबसे हॉट सीट मानी जा रही है जहां 13 मई को चौथे चरण में मतदान होने वाला है। इस क्षेत्र में एनसी, पीडीपी और ‘अपनी पार्टी’ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है हालांकि 24 उम्मीदवार मैदान में हैं। नेशनल कांफ्रेंस के आगा सैयद रुहुल्लाह, पीडीपी के वहीद उर रहमान पारा और अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर प्रमुख दावेदार हैं।

एनसी के आगा सैयद रुहुल्ला ने 2000 में एक आतंकवादी हमले में अपने पिता को खो दिया था। जबकि पीडीपी के वाहिद पारा एक उग्रवाद मामले में एनआईए जांच के घेरे में हैं। उन्हें एनआईए ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं।

बदले हैं हालात

विश्लेषकों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में जमीनी हालात बदल गए हैं और चुनाव का फोकस मतदान प्रतिशत पर होगा। उग्रवादी हिंसा कम हो गई है, पथराव बंद हो गया है, अलगाववादी राजनीति पीछे चली गई है और कोई चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया गया है।

बदली हुई परिस्थितियों में, पार्टियां और उम्मीदवार पांच जिलों में फैले निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं। तीन दशकों में पहली बार, पार्टियां और उम्मीदवार स्वतंत्र रूप से प्रचार कर रहे हैं। उम्मीदवार पहले से निषिद्ध और संवेदनशील इलाकों का दौरा कर रहे हैं, खासकर श्रीनगर शहर और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिलों के कुछ हिस्सों में।

एनसी, पीडीपी और अपनी पार्टी ने पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर के ऊपरी और निचले इलाकों में कई चुनावी रैलियां की हैं। गुलाम नबी आजाद की पार्टी डीपीएपी ने भी श्रीनगर में रैलियां की हैं।

जानकारों के अनुसार, चुनावों के प्रति जनता का ऐसा उत्साह पिछले 30 वर्षों में पहले नहीं देखा गया था। चुनाव अभियान जमीन पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। रैलियों में अच्छी उपस्थिति हो रही है और घाटी में चुनावी हलचल लौट आई है। पार्टियों के बैनर, झंडे और पोस्टर नजर आ रहे हैं, लाउड स्पीकरों से सुसज्जित चुनाव प्रचार वाहन अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के लिए घूमते रहते हैं। रैलियों के अलावा, उम्मीदवार शाम के समय भी नुक्कड़ सभाएं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। लोगों का मूड और जिस तरह से वे चुनाव प्रचार में हिस्सा ले रहे हैं, उससे पता चलता है कि उनमें उत्साह है।

लोगों के उत्साह को देखने के बाद कहा जा सकता है कि इस चुनाव में मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में अधिक होगा। बहिष्कार की राजनीति के कारण श्रीनगर लोकसभा सीट पर 2019 के चुनावों में केवल 15.6 फीसदी और 2014 में 25.9 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, बेहतर सुरक्षा स्थिति, कोई बहिष्कार आह्वान नहीं होने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने सहित कई कारकों से श्रीनगर लोकसभा सीट पर बेहतर मतदान हो सकता है।

सबका फोकस अलग

रुहुल्लाह और पारा अपना अभियान अनुच्छेद 370 पर केंद्रित कर रहे हैं जबकि अपनी पार्टी के मीर राज्य का दर्जा बहाल करने, युवाओं को रोजगार मुहैया कराने और विकास की बात कर रहे हैं। एनसी और पीडीपी नेता कह रहे हैं कि यह चुनाव सड़क, बिजली या पानी के लिए नहीं है, बल्कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस दिलाने के लिए है, जिसे मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को खत्म कर दिया था।

खास खास

- देशभर में 1.13 लाख से अधिक कश्मीरी प्रवासी वोट डालने के लिए पंजीकृत हैं।

- धारा 370 हटने के बाद घाटी में जमीनी हालात बदल गए हैं और चुनाव का फोकस मतदान प्रतिशत पर होगा।

- उग्रवादी हिंसा कम हो गई है, पथराव बंद हो गया है, अलगाववादी राजनीति पीछे चली गई है और कोई चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया गया है।

- तीन दशकों में यह पहली बार है, जब पार्टियां और उम्मीदवार स्वतंत्र रूप से प्रचार कर रहे हैं।

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