Loksabha Election 2024: गाजीपुर लोकसभा सीट पर सभी दलों को मिला मौका, पारसनाथ जीतेंगे या अफजाल? जानें समीकरण

Ghazipur Seat Parliament Constituency: गाजीपुर लोकसभा सीट पर अंसारी परिवार का खास प्रभाव देखने को मिलता है। सपा ने मुख्तार अंसारी के भाई व वर्तमान सांसद अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दशकों से जुड़े शिक्षक पारसनाथ राय को चुनावी रण में मुकाबले के लिए उतारा है। वहीं बसपा ने उमेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां लड़ाई बहुत ही दिलचस्प हो गई है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update:2024-05-19 06:56 IST

Lok Sabha Election 2024: गंगा नदी के किनारे पर बसा गाजीपुर जिले का इतिहास बेहद गौरवशाली व क्रांतिकारी रहा है। इसे 'लहुरी काशी' भी कहा जाता है। स्थानीय बोली में लहुरी का अर्थ छोटी होता है। काशी के तरह ही यहां भी गंगा उत्तर वाहिनी है। यहां के गहमर गांव के युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए देश की सीमा पर अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते हैं। इसके अलावा इस जिले की आज के राजनीति में भी दबदबा है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और चंदौली के सांसद महेंद्र नाथ पांडेय इसी जिले का मूल निवासी हैं। एक कहावत है धारा के साथ सब बहते हैं, धारा के विपरीत तो तैर कर देखो। गाजीपुर की सियासी समीकरण भी कुछ ऐसा ही रहा है। यहां की जनता धारा के विपरीत बहने वाले चुनावी परिणाम देने में महारथी रही है। फिलहाल गाजीपुर लोकसभा सीट पर अंसारी परिवार का खास प्रभाव देखने को मिलता है। मुख्तार अंसारी की जेल में मौत के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। सपा ने मुख्तार अंसारी के भाई व वर्तमान सांसद अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दशकों से जुड़े शिक्षक पारसनाथ राय को चुनावी रण में मुकाबले के लिए उतारा है। ये जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी हैं। वहीं बसपा ने उमेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां लड़ाई बहुत ही दिलचस्प हो गई है।

Ghazipur Lok Sabha Election 2019


Ghazipur Vidhan Sabha Chunav 2022







Ghazipur Lok sabha Chunav 2014




अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने भाजपा के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा को एक लाख से अधिक वोट से हराकर सांसद बने थे। यह हार भी तब हुई थी, जब मनोज सिन्हा मोदी सरकार के रेल राज्यस मंत्री रहे और गाजीपुर में विकास के तमाम कार्य उनके ही कारण हुए। इस चुनाव में अफजाल अंसारी को 5,66,082 और मनोज सिन्हा को 4,46,690 वोट मिले थे। जबकि सुभासपा के रामजी को 33,877 और कांग्रेस के अजीत प्रताप कुशवाहा को 19,834 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के मनोज सिन्हा ने सपा के शिवकन्या कुशवाह को 32,452 वोट से हराकर इस सीट पर भगवा लहराया था। इस चुनाव में मनोज सिन्हा को 3,06,929 और शिवकन्या कुशवाह को 2,74,477 वोट मिले थे। जबकि बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव को 2,41,645 और राष्ट्रीय परिवर्तन दल के धर्मपाल यादव उर्फ डीपी यादव को 59,510 वोट मिले थे।

यहां जानें गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के बारे में



  • गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 75 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन गाजीपुर जिले के जखनियां, सैदपुर, ग़ाज़ीपुर सदर, जंगीपुर व जमानिया विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • गाजीपुर लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर सपा और 1 पर सुभासपा का कब्जा है।
  • यहां कुल 18,81,077 मतदाता हैं। जिनमें से 8,51,285 पुरुष और 10,29,733 महिला मतदाता हैं।
  • गाजीपुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,07,497 यानी 58.88 प्रतिशत मतदान हुआ था।

गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

गाजीपुर जिला वैदिक युग में घने जंगल ढ़का हुआ था। उस दौरान यहां संतों का आश्रमों होता था। यह स्थान रामायण काल से संबंधित है, जहां महर्षि यमदग्नी, महाश्री परशुराम का पिता यहां पर रहते थे। प्राचीन काल में प्रसिद्ध ऋषियों में शामिल गौतम और च्यवन को यहां पर शिक्षा और धर्मोपदेश दिए गए थे। यह क्षेत्र मुगल काल के दौरान मुख्य केंद्र था। जब बाबर ने गाजीपुर का प्रभार संभाला तो मुहम्मद खान नूहानी को यहां का प्रशासक बनाया। अकबर के शासनकाल में, अफगान अली कुली खान ने गाजीपुर का प्रभार संभाला और ज़मानिया शहर का विकास किया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद यह क्षेत्र जामंधर मानसा राम ने लिया था। इसके बाद, गाजीपुर बनारस राज्य के राजात्व और राजा बलवंत सिंह के अधीन आया। मानसा राम का पुत्र गाजीपुर का राजा बन गया। अंग्रेजों के शासनकाल में तत्कालीन गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के हमले के बाद इस क्षेत्र पर विभिन्न ब्रिटिश शासकों ने राज किया। कभी गंगा पार के इस इलाके में नील और अफीम की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। गाजीपुर फूलों के कारोबार के लिए भी जाना जाता था। 1820 में अंग्रेजों ने यहां बड़ा अफीम कारखाना स्थाुपित किया था। गंगा के किनारे होने के कारण यहां के उत्पाद जल मार्ग के जरिए देश के अलग-अलग कोनों में भेजे जाते थे।

लॉर्ड कॉर्नवॉलिस भूमि सुधार के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। जब वे यहां आए तो उनकी अकस्मात मौत हो गई। उनकी स्मृति में पर्यटक को आकर्षित करने वाली एक सुंदर कब्र गाज़ीपुर शहर में भी मौजूद है। इसके अलावा यह क्षेत्र महान स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मधरती रही है। सबसे पहले स्वतंत्रता आंदोलन के हीरो (जिसे लोकप्रिय रूप से सिपाही आंदोलन कहा जाता है) मंगल पांडे इस मिट्टी से ही आते हैं। प्रसिद्ध निला साहिब विद्रोह का इसी जगह से संबद्ध है, जहां किसानों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और उन्होंने विभिन्न इंडिगो गोदामों पर आग लगा दी थी। आजादी के बाद गाज़ीपुर के मिट्टी में जन्मे ब्रिगेडियर उस्मान, परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता वीर अब्दुल हमीद और राम उर्गरा पांडेय ने उल्लेखनीय बहादुरी दिखाई थी।

1990 में रामलहर के दौरान सीपीआई को मिली थी जीत

आजादी के बाद 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार हर प्रसाद सिंह पहले सांसद बने थे। अगले लोकसभा चुनाव में भी उनकी सीट बरकरार रही। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विश्वनाथ सिंह गहमरी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। अगले चुनाव में सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। 1967 और 1971 में लगातार दो बार भाकपा के सरजू पांडेय सांसद निर्वाचित हुए। इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में यह सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई। जनता पार्टी के गौरीशंकर राय सांसद चुने गए। 1980 में कांग्रेस ने सीट पर वापसी की और कांग्रेस उम्मीदवार जैनुल बशर सांसद बने। 1984 में बशर दोबारा सांसद चुने गए। 1999 में निर्दल उम्मीदवार जगदीश कुशवाहा ने इस सीट पर जीत हासिल किया। 90 के दशक में चल रहे राम लहर के दौरान यहां उल्टा हवा देखने को मिला। 1991 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विश्वनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की। लेकिन 1996 में मनोज सिन्हा पहली बार भाजपा के सिंबल पर सांसद बने थे। 1998 में सपा के ओम प्रकाश सिंह और 1999 में दोबारा भाजपा के मनोज सिन्हा इस सीट पर जीत हासिल किया। 2004 में सपा के टिकट पर अफजाल अंसारी सांसद बने। उसके बाद 2009 के चुनाव में सपा ने राधे मोहन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा और वह भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 

गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण

गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां यादव 4.50 लाख, दलित 4 लाख, मुस्लिम 2.70 लाख, राजपूत 2.70 लाख, कुशवाहा 1.20 लाख, बिंद 1 लाख, अन्य पिछड़े 1.50 लाख, ब्राह्मण 1.60 लाख, भूमिहार 0.40 लाख, वैश्य अगड़े 0.30, वैश्य पिछड़े 1.50 और अन्य 0.20 लाख हैं। बता दें कि कमोबेश इन्हीं आंकड़ों को केंद्र में रखकर राजनीतिक पार्टियां अपनी सियासी तैयारी करती हैं।

गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से हर प्रसाद सिंह 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से विश्वनाथ सिंह गहमरी 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सीपीआई से सरजू पांडेय 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से गौरी शंकर राय 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से जैनुल बशर 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल जगदीश सिंह कुशवाह 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सीपीआई से विश्वनाथ शास्त्री 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से मनोज सिन्हा 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से ओमप्रकाश सिंह 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से मनोज सिन्हा 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से अफजल अंसारी 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से राधे मोहन सिंह 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से मनोज सिन्हा 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से अफजल अंसारी 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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