Hot Seat Hyderabad: अपने गढ़ हैदराबाद में ही घिरे ओवैसी, BJP के सियासी दांव से कांग्रेस का हाथ पकड़ने को मजबूर
Hot Seat Hyderabad: तेलंगाना की हैदराबाद लोक सभा सीट पर भाजपा ने माधवी लता को प्रत्याशी बनाकर ऐसा दांव खेला है कि ओवैसी अपने ही गढ़ में ही घिरे हुए नजर आ रहे हैं।
Hot Seat Hyderabad: तेलंगाना की हैदराबाद सीट (Hyderabad Lok Sabha Seat) हर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में चर्चा का विषय बनी रहती है। इस बार इस सीट को लेकर कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है क्योंकि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Asaduddin Owaisi) को अपने गढ़ में इस बार भाजपा (BJP) की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। इस लोकसभा सीट पर पिछले करीब 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा रहा है मगर इस बार तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है।
भाजपा ने इस बार अपनी फायर ब्रांड नेता माधवी लता को चुनाव मैदान में उतार कर ओवैसी को फंसा दिया है। ओवैसी अपने गढ़ में ही घिरे हुए नजर आ रहे हैं। इस कारण ओवैसी अन्य चुनाव क्षेत्र में भी ज्यादा समय भी नहीं दे पा रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस को लेकर भी ओवैसी के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर तीखे हमले करने वाले ओवैसी अब एक-दूसरे की तारीफ करने में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस को लेकर बदला ओवैसी का सुर
तेलंगाना में कुछ महीने पूर्व हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ओवैसी ने केसीआर की पार्टी बीआरएस से हाथ मिलाया था। इस गठबंधन में उन्हें हैदराबाद और आसपास की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का मौका मिला था। उस समय ओवैसी कांग्रेस पर तीखा हमला करने में जुटे हुए थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला करने के साथ ही वे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को संघ का एजेंट बताया करते थे।
अब लोकसभा चुनाव के दौरान ओवैसी के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। इफ्तार दावतों के दौरान वे रेवंत रेड्डी के साथ दिखे। दोनों नेताओं के एक-दूसरे को का मुंह मीठा कराने का नजारा देखकर लोगों को हैरानी भी हुई। ओवैसी के सुर बदलने के पीछे हैदराबाद सीट की सियासी गणित को बड़ा कारण माना जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि भाजपा की ओर से मजबूत उम्मीदवार उतारे जाने के बाद ओवैसी अब कांग्रेस को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते। इसीलिए ओवैसी और कांग्रेस नेताओं की ओर से एक-दूसरे की तारीफ की जा रही है।
रेवंत और ओवैसी ने की एक-दूसरे की तारीफ
हाल में एक कार्यक्रम के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने ओवैसी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि हैदराबाद के लोगों की मदद से ओवैसी और उनकी पार्टी के एमएलए लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। हमने भी उन्हें हराने की कोशिश की मगर कामयाबी नहीं मिली। विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद हमने हैदराबाद के विकास के लिए एआईएमआईएम के साथ चलने का फैसला किया। इसके जरिए हम हैदराबाद का सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं।
दूसरी ओर ओवैसी ने भी कांग्रेस और रेवंत रेड्डी की शान में कसीदे पढ़े। कांग्रेस को समर्थन देने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश तेलंगाना में गंगा-जमुनी तहजीब को और मजबूत बनाने की है। नफरत पैदा करने वाली ताकतों से तेलंगाना की हिफाजत करनी है और इसके लिए हम पूरी मदद देने को तैयार हैं।
ओवैसी का मजबूत गढ़ है हैदराबाद सीट
हैदराबाद लोकसभा सीट देश में काफी चर्चित रही है क्योंकि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी इस सीट से सांसद हैं। ओवैसी की फैमिली ने इस सीट पर 1984 के लोकसभा चुनाव से ही कब्जा कर रखा है और इसे ओवैसी फैमिली का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। असदुद्दीन के पिता सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी 1984 में पहली बार इस सीट से सांसद बने थे।
इसके बाद उन्होंने 2004 तक की इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा। उसके बाद से असदुद्दीन ओवैसी इस सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ओवैसी ने इस सीट पर 5,17,471 वोट हासिल करते हुए भाजपा के भागवत राय को बुरी तरह हराया था। माना जा रहा है कि भाजपा ने इसी कारण इस बार प्रत्याशी बदलने का दांव खेला है। भाजपा ने इस बार मजबूत प्रत्याशी उतार कर ओवैसी की घेरेबंदी की है।
फायरब्रांड नेता पर भाजपा का दांव
भाजपा ने इस बार ओवैसी के खिलाफ नए चेहरे पर दांव खेला है। ओवैसी के खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतारी गई माधवी लता पेशे से डॉक्टर हैं और विरिंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन भी हैं। इसके साथ ही वे भरतनाट्यम की डांसर भी हैं। उनका एक और मजबूत पक्ष हिंदुत्व के मुद्दे पर उनका मुखर होना है। हिंदू धर्म को लेकर अपने भाषणों से वे काफी चर्चा बटोर चुकी हैं।
भाजपा की ओर से उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से साफ हो गया है कि पार्टी ने ओवैसी के खिलाफ हिंदुत्व कार्ड खेलने का प्रयास किया है। पिछले चुनाव में भाजपा की ओर से हैदराबाद लोकसभा सीट पर भगवत राव को उतारा गया था मगर इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति बदल दी है। भाजपा ने हैदराबाद में पहली बार चर्चित महिला चेहरे पर दांव लगाते हुए असदुद्दीन ओवैसी को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है।
ओवैसी ने मिलाया कांग्रेस से हाथ
कांग्रेस की ओर से हैदराबाद लोकसभा सीट पर मोहम्मद फिरोज खान को उतारने की तैयारी थी मगर ऐन वक्त पर इस बाबत ऐलान रोक दिया गया। दरअसल फिरोज खान को टिकट देने की स्थिति में मुस्लिम मतों के बंटवारे का खतरा पैदा हो सकता था और इससे भाजपा को सियासी फायदा होता।
हैदराबाद में भाजपा की बढ़त को कांग्रेस और ओवैसी दोनों रोकना चाहते हैं। कांग्रेस और ओवैसी के बीच गठजोड़ का कोई आधिकारिक ऐलान तो नहीं हुआ है मगर फिरोज का टिकट जरूर फंस गया है।
भाजपा की उम्मीदवार माधवी लता ने इसे लेकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि दोनों पार्टियों अलग-अलग उम्मीदवार उतारेंगी। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है मगर इसके बावजूद कांग्रेस ने एआईएमआईएम के साथ अनॉफिशियल गठबंधन कर रखा है। वोट के लिए ओवैसी कांग्रेस की ताकत का इस्तेमाल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
ओवैसी-कांग्रेस की मिलीभगत पर भाजपा भड़की
ओवैसी और कांग्रेस की इस मिलीभगत पर भाजपा और हमलावर हो गई है। तेलंगाना के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस ने ओवैसी का समर्थन करके उन्हें जिताने का फैसला किया है। अंदरखाने दोनों दल मिले हुए हैं। हमें उम्मीद है कि तेलंगाना की जनता ओवैसी और कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देते हुए भाजपा को जीत दिलाएगी। उन्होंने कहा कि जब केसीआर की पार्टी बीआरएस सत्ता में थी तो ओवैसी ने उसके साथ हाथ मिला रखा था। अब ओवैसी कांग्रेस की मदद लेने में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हैदराबाद के लोगों को यह समझना होगा कि कांग्रेस,ओवैसी की पार्टी और केसीआर की पार्टी बीआरएस तीनों का डीएनए एक ही है। तीनों मिलकर हिंदुओं के खिलाफ काम करने में जुटे रहते हैं।
ऐसे में हैदराबाद के लोगों को इन चेहरों की हकीकत समझनी होगी। उन्होंने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि इस बार भाजपा उम्मीदवार माधवी लता ओवैसी के दुर्गा को ढाने में कामयाब होंगी। हैदराबाद की सीट को लेकर कहा जा रहा है कि पहली बार ओवैसी मुश्किल में फंसे हुए दिख रहे हैं। हालत यह है कि वे अन्य क्षेत्रों में अपनी पार्टी का ज्यादा प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं।