UP Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत में होगा रोचक मुकाबला, जितिन के सामने भगवत गंगवार

UP Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत में इस बार मुकाबला रोचक होगा। भाजपा ने मौजूदा संसद सदस्य वरुण गांधी का टिकट काट कर जितिन प्रसाद को उतारा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-03-24 22:35 IST

पीलीभीत में होगा रोचक मुकाबला, जितिन के सामने भगवत गंगवार: Photo- Social Media

UP Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत में इस बार मुकाबला रोचक होगा। भाजपा ने मौजूदा संसद सदस्य वरुण गांधी का टिकट काट कर जितिन प्रसाद को उतारा है। जबकि इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज भगवत सरन गंगवार को मैदान में उतार कर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है।

क्षेत्रीय गणित

पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें पीलीभीत सदर, बरखेड़ा, बीसलपुर, पूरनपुर, जनपद बरेली की बहेड़ी शामिल है। अनुमान है कि पीलीभीत जिले में सदर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 60 से 70 हजार, बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र में 70 से 80 हजार, बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 30 हजार कुर्मी मतदाता हैं। पूरनपुर विधानसभा क्षेत्र में नाम मात्र के कुर्मी हैं जबकि लोकसभा क्षेत्र में शामिल बरेली के बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 85 हजार कुर्मी मतदाता हैं। पूरे लोकसभा क्षेत्र में 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।

पिछले चुनाव

-पीलीभीत लोकसभा सीट पर अब तक सात बार कुर्मी जाति के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। हालांकि मेनका-वरुण के पदार्पण के बाद यहां के नतीजे बदल गए।

-पीलीभीत सीट पर सबसे पहले वर्ष 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कुंवर मोहन स्वरूप चुनाव जीते थे। कुर्मी बिरादरी के कुंवर मोहन स्वरूप लगातार चार बार पीलीभीत के सांसद रहे।

-1980 में बरेली के हरीश कुमार गंगवार कांग्रेस से पीलीभीत के सांसद चुने गए।

-1984 का चुनाव बरेली के ही भानु प्रताप सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर जीता।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी यहां से छह बार सांसद रह चुकी हैं। मेनका गांधी ने 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर पीलीभीत लोकसभा सीट जीती। मेनका ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह को करारी शिकस्त दे दी। 1991 की राम लहर में भाजपा के टिकट पर परशुराम गंगवार ने बमुश्किल चुनाव जीता था। उसके बाद से कुर्मी बिरादरी के दिग्गज चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन संसद में दाखिल नहीं हो सके। उसके बाद 1996 से 2014 के बीच पांच बार मेनका गांधी इसी सीट से सांसद चुनी गईं।

उन्होंने 2009 में बेटे वरुण गांधी के लिए सीट खाली कर दी और सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा, लेकिन 2014 में वो वापस पीलीभीत आईं और चुनाव लड़कर जीत हासिल की। इस प्रकार वह छठी बार सांसद बनीं।

2019 में एक बार फिर से मेनका ने वरुण गांधी के साथ सीटों की अदला-बदली की। वरुण गांधी पीलीभीत से और मेनका सुल्तानपुर से संसद पहुंची।

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