- झांसी लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 46 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन झांसी जिले के झांसी सदर, बबीना व मऊरानीपुर और ललितपुर जिले के ललितपुर, महरौनी विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- झांसी लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है।
- यहां कुल 20,40,739 मतदाता हैं। जिनमें से 9,60,595 पुरुष और 10,80,079 महिला मतदाता हैं।
- झांसी लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 13,81,130 यानी 67.68 प्रतिशत मतदान हुआ था।
झांसी लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Jhansi Political History in Hindi)
वीरांगना लक्ष्मीबाई की वीरता, साहस और आत्म सम्मान का प्रतीक माने जाने वाले शहर झांसी की पहचान पूरी दुनिया में है। ब्रिटिश राज में राजा गंगाधर राव एक बहुत अच्छे प्रशासक हुआ करते थे। वह उदार और सहानुभूतिपूर्ण राजा थे। 1842 में राजा गंगाधर राव की मणिकर्णिका से शादी हुई। शादी के बाद मणिकर्णिका को नया नाम लक्ष्मीबाई दिया गया। लक्ष्मी बाई ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया। लेकिन 1857 में संघर्ष के दौरान अपना जीवन बलिदान कर दिया। प्राचीन काल में झांसी, छेदी राष्ट्र, जेजक भुकिट, झझोती और बुंदेलखंड क्षेत्र में से एक हुआ करता था। झांसी कभी चंदेल राजाओं का गढ़ हुआ करता था। तब इसका नाम बलवंत नगर था। इसके अलावा हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की कर्मस्थली, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त और उपन्यास सम्राट वृन्दावन लाल वर्मा जैसे साहित्यकारों की झांसी जन्मस्थली रही है। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान यहां स्थित है। रेल परिवहन का झांसी एक प्रमुख केंद्र है। यहां मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय भी स्थित है। झांसी कैंट और बबीना कैंट सेना की महत्वपूर्ण छावनियां हैं। झांसी लोकसभा सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में 9 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा और 1 बार सपा ने जीत का स्वाद चखा है। लेकिन बसपा का आजतक खाता नहीं खुला है।
झांसी लोकसभा सीट पर 1971 तक लगातार रहा कांग्रेस का कब्जा
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ विनायक धुलेकर सांसद बने। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के चुनावों में कांग्रेस के सुशीला नैय्यर ने लगातार जीत की हैट्रीक लगाईं। फिर 1971 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर गोविंद दास रिछारिया ने जीत हासिल की। इस चुनाव में सुशीला नैय्यर ने इंडियन नेशनल कांग्रेस ऑर्गनाइजेशन से चुनाव लड़ा और हार गईं। लेकिन कांग्रेस का यह विजय रथ 1977 के चुनाव रूक गया। इस चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर सुशीला नैय्यर ने कांग्रेस के गोविंद दास रिछारिया को हराकर जीत दर्ज की। फिर 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की। तब विश्वनाथ शर्मा सांसद बने। फिर 1984 में कांग्रेस के सुजान सिंह बुंदेला सांसद बने। लेकिन इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार राजेंद्र अग्निहोत्री दूसरे स्थान पर रहे।
भाजपा ने 1989 में पहली बार खिलाया कमल
भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री ने 1989 के चुनाव में कांग्रेस के सुजान सिंह बुंदेला को हराकर पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया। फिर उनके जीत का विजय रथ 1991, 1996, 1998 के चुनावों में भी चला। इस तरह राजेंद्र अग्निहोत्री लगातार चार बार सांसद चुने गए। लेकिन 1999 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और सुजान सिंह बुंदेला सांसद चुने गए और उन्होंने भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री को 82,521 वोट से हराकर जीत हासिल की। फिर 2004 के चुनाव में सपा ने इस सीट पर खाता खोला। चंद्रपाल सिंह यादव सांसद बने। इस चुनाव में बसपा के उम्मीदवार बाबू लाल कुशवाह दूसरे स्थान पर रहे। फिर 2009 में कांग्रेस के प्रदीप जैन 'आदित्य' ने चुनाव जीता था। बता दें कि इस सीट पर कभी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका है। 1991 के चुनाव में निर्दल उम्मीदवार ओमप्रकाश रिछारिया दूसरे स्थान पर रहे।
यूपी के सियासत का प्रमुख केंद्र है झांसी
बुंदेलखंड इलाके में स्थित झांसी प्रदेश के सियासत का प्रमुख केंद्र रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती सहित सभी दिग्गज नेताओं की इस क्षेत्र में समय-समय पर सक्रियता देखने को मिलती रही है। पृथक बुंदेलखंड राज्य आंदोलन, बुंदेलखंड से श्रमिकों का पलायन, किसानों की ख़ुदकुशी, पीने और सिंचाई के पानी की किल्लत जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर इस क्षेत्र के राजनीतिक और सामाजिक संगठन अक्सर आंदोलनरत दिखाई देते हैं। वर्तमान समय में यहां चल रही विकास परियोजनाओं की बात करें तो झांसी के एरच में डिफेंस कॉरिडोर को विकसित करने पर काम चल रहा है। झांसी नगर निगम को स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित किया गया है और विकसित किया जा रहा है। हर घर नल से जल पहुंचाने की परियोजना पूरा होने की अवस्था में है। रेल कोच नवीनीकरण कारखाना बनकर तैयार है। ललितपुर जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा होने के करीब है। झांसी-ग्वालियर रोड पर रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज बनाने का काम चल रहा है। उसे भी जल्द पूरा कर लिए जाने का अनुमान है। दूसरी ओर किसानों की खुदकुशी, रोजगार के लिए पलायन, पीने के पानी का संकट और आवारा जानवरों की समस्या अभी भी यहां की राजनीति के मुख्य मुद्दे हैं।
झांसी लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण (Jhansi Caste Equation in Hindi)
झांसी लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर हिंदू मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। यहां पर बड़ी संख्या में कुशवाहा, जैन, ब्राह्मण, कोरी और साहू बिरादरी के लोग रहते हैं, ऐसे में ये लोग चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं।
झांसी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Jhansi MP List in Hindi)
- कांग्रेस से रघुनाथ विनायक धुलेकर 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सुशीला नैय्यर 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- कांग्रेस से गोविंद दास रिछारिया 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भारतीय लोकदल से सुशीला नैय्यर 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- कांग्रेस से विश्वनाथ शर्मा 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सुजान सिंह बुंदेला 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से राजेंद्र अग्निहोत्री 1989, 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सुजान सिंह बुंदेला 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से चंद्रपाल सिंह यादव 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से प्रदीप जैन 'आदित्य' 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से उमा भारती 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- भाजपा से अनुराग शर्मा 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।