Lok Sabha Election: कल्याण सीट पर शिवसेना के दोनों गुटों के बीच दिलचस्प मुकाबला, CM शिंदे और उद्धव की प्रतिष्ठा दांव पर
Lok Sabha Election 2024: कल्याण लोकसभा सीट शिवसेना का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है मगर इस बार शिवसेना के दोनों गुटों के बीच हो रहे दिलचस्प मुकाबलः पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में कल्याण लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस लोकसभा सीट पर शिवसेना के शिंदे और उद्धव ठाकरे गुटों के बीच मुकाबला हो रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में उद्धव ठाकरे गुट ने वैशाली दरेकर को चुनाव मैदान में उतारा है। कल्याण लोकसभा सीट शिवसेना का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है मगर इस बार शिवसेना के दोनों गुटों के बीच हो रहे दिलचस्प मुकाबलः पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
इस क्षेत्र के भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ और मनसे विधायक श्रीकांत पाटिल श्रीकांत शिंदे से नाराज हैं। कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात भी सामने आई है। भाजपा कार्यकर्ताओं की यह नाराजगी श्रीकांत शिंदे के लिए मुसीबत बनी हुई है। इस नाराजगी को दूर करने के लिए ही इस लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 मई को बड़ी रैली भी कराई गई थी। शिंदे गुट की ओर से भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश की जा रही है और अब यह देखने वाली बात होगी कि शिंदे गुट इसमें कहां तक कामयाब हो पाता है।
हैट्रिक लगाने उतरे हैं सीएम के बेटे श्रीकांत
कल्याण लोकसभा क्षेत्र में शिंदे गुट के टिकट पर उतरे श्रीकांत शिंदे पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। पिता के मुख्यमंत्री होने का उन्हें इस लोकसभा क्षेत्र में फायदा मिलता दिख रहा है और उन्हें इस सीट का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। बेटे की सियासी जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है।
श्रीकांत शिंदे को टिकट मिलना पहले से ही तय माना जा रहा था और इस कारण उन्होंने पहले से ही चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी। उन्हें इसका फायदा मिलता दिख रहा है। कल्याण लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होने वाला है। क्षेत्र में चुनावी शोर थम चुका है और अब सबकी निगाहें मतदाताओं के फैसले पर लगी हुई हैं।
शिवसेना के दोनों गुटों के बीच दिलचस्प भिड़ंत
कल्याण लोकसभा सीट को शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है और 2009 में इस सीट के बनने के बाद से ही शिवसेना लगातार इस सीट पर जीत हासिल करती रही है। इस इलाके में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का काफी असर माना जाता है और इसी असर का फायदा उठाने के लिए उन्होंने 2014 में अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को इस लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा था। 2014 और 2019 में एकनाथ शिंदे की ताकत के दम पर श्रीकांत शिंदे चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।
हालांकि इस बार इस लोकसभा क्षेत्र में सियासी हालात बदले हुए हैं। पहली बार शिवसेना के दोनों गुटों के बीच ही इस लोकसभा क्षेत्र में सियासी भिड़ंत हो रही है। ऐसे में श्रीकांत शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। मुकाबला तो श्रीकांत शिंदे और वैशाली दरेकर के बीच में हो रहा है मगर इसे श्रीकांत शिंदे और उद्धव ठाकरे की भिड़ंत के रूप में देखा जा रहा है।
विकास कार्यों के दम पर जीत का दावा
कल्याण लोकसभा क्षेत्र में हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे श्रीकांत शिंदे का कहना है कि हम विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरे हैं और इसी आधार पर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि ठाकरे गुट की ओर से मेरे खिलाफ डमी कैंडिडेट के रूप में वैशाली दरेकर को उतारा गया है और उन्हें क्षेत्र से जुड़े मुद्दों की पूरी जानकारी तक नहीं है।
श्रीकांत शिंदे का कहना है कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे खिलाफ उद्धव गुट की ओर से किस उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा गया है। अपने दो कार्यकाल के दौरान मैंने क्षेत्र का काफी काम किया है और मैं अपने काम को क्षेत्र के मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि अपने काम के दम पर इस बार भी हम जीत हासिल करने में कामयाब होंगे।
मजबूत चुनौती दे रही हैं उद्धव गुट की वैशाली
कल्याण लोकसभा सीट से पहले उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा थी। हालांकि आखिरकार उद्धव ठाकरे ने वैशाली दरेकर पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया। पिछले 19 साल से राजनीति के मैदान में सक्रिय वैशाली दरेकर ने 2009 का लोकसभा चुनाव मनसे के टिकट पर लड़ा था। बाद में 2018 में उन्होंने मनसे इस्तीफा देकर शिवसेना की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
उनका कहना है कि शिवसेना के शिंदे गुट की ओर से मुझे डमी उम्मीदवार बताया जा रहा था मगर मेरी मजबूती से शिंदे खेमा घबरा गया। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाकर उनकी सभा करानी पड़ी।
इससे समझा जा सकता है कि कल्याण लोकसभा क्षेत्र में कौन उम्मीदवार अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के बेटे के चुनाव लड़ने के कारण क्षेत्र में तानाशाही की जा रही है। मैं पहले भी चुनाव लड़ चुकी हूं मगर मैंने पहले ऐसी तानाशाही कभी नहीं देखी। क्षेत्र के मतदाता शिंदे गुट की ओर से की जा रही इस तानाशाही का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
उद्धव और शिंदे दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर
सियासी जानकारों का मानना है कि वैशाली दरेकर ने पूरी ताकत लगा रखी है मगर मौजूदा सियासी माहौल में श्रीकांत शिंदे भारी पड़ते हुए नजर आ रहे हैं। क्षेत्र के कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात सामने आई है और इन कार्यकर्ताओं को मैनेज करना शिंदे गुट के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा। भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ अपनी गिरफ्तारी को लेकर श्रीकांत शिंदे से काफी नाराज हैं और उनकी पत्नी वैशाली दरेकर के चुनाव प्रचार में सक्रिय दिखी थीं।
अब ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि श्रीकांत शिंदे भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं। वैसे कुल मिलाकर उनकी सियासी स्थित वैशाली दरेकर की अपेक्षा ज्यादा मजबूत मानी जा रही है। एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच प्रतिष्ठा की इस जंग के चुनावी नतीजे पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।