Loksabha Election 2024: कानपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस कर रही भाजपा के विजय रथ को रोकने की तैयारी, जानें समीकरण

Loksabha Election 2024 Kanpur Seats Details: क्रांतिकारियों की धरती रही कानपुर के मिजाज में एक खास तेवर देखने को मिलता है। लड़ने और अड़ने का। इस अलमस्ती वाले शहर ने सियासत में भी यह खासियत कायम रखी है। जानें यहां का समीकरण

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-04-30 14:00 GMT

Lok Sabha Election Kanpur Seats Parliament Constituency Details

Lok Sabha Election 2024: यूपी के हॉट सीटों में शामिल कानपुर लोकसभा सीट पर चुनावी हलचल तेज हो गया है। कभी कानपुर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन भाजपा ने अब यहां पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी सांसद रह चुके हैं। इस बार भाजपा ने वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काटकर रमेश अवस्थी पर विश्वास जताया है। जबकि इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस के उम्मीदवार आलोक मिश्रा चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हैं। बसपा ने कुलदीप भदौरिया को उम्मीदवार को बनाया है। इस बार यहां लड़ाई भाजपा को अपने जीत की हैट्रिक लगाने की है तो कांग्रेस को अपना गढ़ वापस लेने की है। वहीं बसपा इस सीट पर अपना खाता खोलना चाहती है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के सत्यदेव पचौरी ने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जयसवाल को 1,55,934 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सत्यदेव पचौरी को 4,68,937 और श्रीप्रकाश जयसवाल को 3,13,003 वोट मिले थे। जबकि सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार राम कुमार को महज 48,275 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस के उम्मीदवार रहे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल को 2,22,946 वोट से हराकर 15 साल बाद यह सीट भाजपा के खाते में डाला था। इस चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 और श्रीप्रकाश जयसवाल को 2,51,766 वोट मिले थे। जबकि बसपा के सलीम अहमद को 1,08,947 और सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को महज 25,723 वोट मिले थे।


Kanpur Vidhan Sabha Chunav 2022 Details




Kanpur Lok Sabha Chunav 2014


यहां जानें कानपुर लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Kanpur Seats Parliament Constituency Details Hindi)

  • कानपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 43 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन कानपुर जिले के गोविंद नगर, सीसामऊ, आर्य नगर, किदवई नगर और कानपुर कैंट विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • कानपुर लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 3 पर सपा का कब्जा है।
  • यहां कुल 16,32,983 मतदाता हैं। जिनमें से 7,39,169 पुरुष और 8,93,684 महिला मतदाता हैं।
  • कानपुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 8,42,994 यानी 51.62 प्रतिशत मतदान हुआ था। 

कानपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Kanpur Seats Political History Details)

राजधानी लखनऊ से करीब 80 किमी पश्चिम में गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा कानपुर शहर की स्थापना सचेंदी राज्य के राजा हिंदू सिंह ने की थी। इस शहर का मूल नाम ‘कान्हपुर’ हुआ करता था और बाद में यह कानपुर हो गया। क्रांतिकारियों की धरती रही कानपुर के मिजाज में एक खास तेवर देखने को मिलता है। लड़ने और अड़ने का। इस अलमस्ती वाले शहर ने सियासत में भी यह खासियत कायम रखी है। अपने मुद्दों और जरूरतों पर मुखर रहने वाला कानपुर लंबे समय तक सत्ता के विपरीत धारा में बहा, लेकिन शहर ने हवा के बदलते रुख को पहचान लिया है। कभी औद्योगिक नगरी वाले कानपुर का यूपी की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान था। इसीलिए कानपुर को मैनचेस्टर ऑफ यूपी के नाम से जाना जाता था। लेकिन मैनचेस्टर ऑफ यूपी के नाम से मशहूर कानपुर, अब अपना यह पहचान खो चुका है। लोकसभा चुनाव 1989 के बाद से कानपुर के उद्योगों पर ग्रहण लग गया है। जब जेब मजबूत थी तो कानपुर की राजनीतिक हैसियत भी काफी ऊंची थी। पिछले चार दशक में कानपुर ने हर क्षेत्र में गिरावट देखी तो इसका असर घटते सामाजिक और राजनीतिक रुतबे पर भी दिखा। कभी वामपंथियों का गढ़ रहा कानपुर 1991 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच सिमट जाता है। 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान रह चुके हैं सांसद (Kanpur Me Sansad Kaun Hai)

आजादी के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कानपुर सेंट्रल सीट से कांग्रेस के हरिहर नाथ शास्त्री सांसद बने। इसके बाद हुए दो उपचुनावों में क्रमश: शिवनारायण टंडन और प्रोफेसर राजाराम शास्त्री जीते। 1957 के दूसरे चुनाव में मजदूर नेता निर्दलीय एसएम बनर्जी ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। मिलों के उत्कर्ष के दौर में एसएम बनर्जी को वामपंथी पार्टियों से भरपूर समर्थन मिलता था। अगले 20 साल तक एसएम बनर्जी कानपुर के सांसद रहे। आपातकाल के बाद 1977 में कानपुर ने जनता पार्टी के मनोहर लाल को चुना। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर आरिफ मोहम्मद खान कानपुर से जीते। आरिफ फिलहाल केरल के राज्यपाल हैं। 1984 में कांग्रेसी नरेश चंद्र चतुर्वेदी और 1989 में CPI(M) की सुभाषिनी अली जीतीं। देश में 90 के दशक में चल रहे रामलहर के दौरान कानपुर के राजनीतिक परिदृश्य का टर्निंग पॉइंट था। मंदिर आंदोलन का असर यहां भी दिखा। 1991, 1996 और 1998 में भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण दिल्ली पहुंचे। लेकिन 1999 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने भाजपा को हरा दिया। लगातार तीन चुनाव जीतकर श्रीप्रकाश केंद्र में गृहराज्य मंत्री और कोयला मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने।

कानपुर में चुनावी मुद्दे 

कानपुर में मिलों की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन बेकार पड़ी है। कुछ महीने पहले सांसद सत्यदेव पचौरी ने लाल इमली के मजदूरों को 36 महीने बाद वेतन दिलवाया था। लोगों की उम्मीद है कि इन जमीनों को शहर में पार्क, पार्किंग और हाउसिंग प्रॉजेक्ट के लिए इस्तेमाल किया जाए। साथ ही लखनऊ की तर्ज पर केडीए नियोजित शहर बसाए। प्रदेश की जीएसडीपी में कानपुर का घटता हिस्सा भी बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा का विषय है। 836 करोड़ के खर्च के बावजूद शहर में पानी की गड़बड़ सप्लाई, मेन सिटी में मेट्रो के अलावा कोई बदलाव न होना और बदहाल यातायात भी समस्या है।

कानपुर लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

कानपुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यह ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है। यहां सामान्य वर्ग के करीब 5 लाख मतदाता हैं। जबकि ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 3 लाख है। वहीं अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख और अनुसूचित जाति 3 लाख 80 हजार है। सबसे खास बात यह है कि मुस्लिम और अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं का वोट जिसके खाते में गया उसकी जीत सुनिश्चित है।

कानपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से हरिहर नाथ शास्त्री 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से शिव नारायण टंडन 1952 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से राजा राम शास्त्री 1952 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल एसएम बनर्जी 1957, 1962, 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से मनोहर लाल 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से आरिफ मोहम्मद खान 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से नरेश चन्द्र चतुर्वेदी 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से सुभाषिनी अली 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से जगत वीर सिंह द्रोण 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से श्रीप्रकाश जायसवाल 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से डॉ. मुरली मनोहर जोशी 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से सत्यदेव पचौरी 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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